विंध्यभारत, रीवा
श्यामशाह चिकित्सा एवं शिक्षा महाविद्यालय डीन चिकित्सकों के बीच सामंजस्य बनाने व चिकित्सकीय व्यवस्था बनाने में असफल साबित हुए। माना जा रहा था कि मेडिकल कॉलेज को नियमित डीन मिलने से जहां अस्पताल में मरीजों को चिकित्सा की सुविधाएं मिलने लगेगी वहीं चिकित्सा स्टाफ के बीच सामंजस्य स्थापित होगा। बहरहाल निजी प्रैक्टिस में व्यस्त वरिष्ठ चिकित्सकों पर लगाम लगेगी और वह भर्ती मरीजों को सेवाएं देने लगेंगे ताकि मरीज राहत की सांस ले सकेंगे। लेकिन डॉक्टर सुनील अग्रवाल के कुर्सी संभालते ही ग्वालियर वाद का ऐसा असर हुआ कि जाने-माने वरिष्ठ चिकित्सकों को स्थानांतरण का दंश झेलना पड़ा। वहीं चिकित्सकों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढऩे से चिकित्सकीय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया। जानकारी अनुसार गायनी विभाग के अब तक तीन चिकित्सकों ने पद से इस्तीफा दिया वहीं एक महिला चिकित्सक ने भी डीन के पास अपना इस्तीफा भेज दिया गया है। इसके बावजूद भी दिन डॉक्टर अग्रवाल का ध्यान चिकित्सकीय व्यवस्था की ओर नहीं जा पा रहा है। जिसके चलते संजय गांधी अस्पताल से लेकर सुपर स्पेशलिटी तक के वरिष्ठ डॉक्टर कर तो सरकारी नौकरी रहे हैं लेकिन निजी प्रैक्टिस में व्यस्त हैं?
अस्पताल के ओपीडी से लेकर आईपीडी तक इनका कोई मतलब नहीं रह गया है। सिर्फ कोल्हू के बैल की तरह ग डॉक्टर ही पिसते हुए मोर्चा संभाले हुए हैं। अगर यह ना होते तो भर्ती मरीजों का अस्पताल में भगवान ही मालिक होता? पता चला है कि डीन सबसे ज्यादा रुचि अपने निजी शौक पूरे करने व अतिरिक्त कमाई के लिए निर्माण कार्यों से लेकर उपकरण खरीदी तक में ज्यादा खरीदी और कमीशन पर फोकस रहता है। मेडिकल कॉलेज सहित अस्पताल में क्या हो रहा है इससे कोई मतलब नहीं रह गया है। ताजुब की बात तो यह है कि यह सब प्रदेश के चिकित्सा एवं शिक्षा मंत्री के विधानसभा स्थित मेडिकल कॉलेज में हो रहा है इसके बावजूद भी चिकित्सा व्यवस्था सुधारने के लिए अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा सके।
नौकरी छोडऩे वाली चौथी चिकित्सक शीतल पटेल
गायनी विभाग में पदस्थ डॉ शीतल पटेल वर्तमान समय में सीसीएल में चल रही हैं। उनके अवकाश पर जाते ही यहां विभाग में हंगामा मच गया। विभाग में काम करने जैसा माहौल ही नहीं बचा। ऐसे में डॉ शीतल पटेल ने भी काम करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने डीन को इस्तीफा भेज दिया है। इस्तीफा में उन्होंने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए वह सहायक प्राध्यापक पद से त्याग पत्र दे रही हैं। इस इस्तीफा ने हडक़ंप मचा दिया है। गायनी विभाग की चौथी महिला चिकित्सक बन गई हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है। इसके पहले शुरुआत डॉ कल्पना यादव ने की थी। वह भी एचओडी के व्यवहार से दुखी थी। इसके बाद तो जैसे लाइन ही लग गई। डॉ पूजा गंगवार ने मानसिक प्रताडना का आरोप लगाते हुए नौकरी छोड़ दी। इसके अलावा डॉ सरिता सिंह ने भी इस्तीफा सौंप दिया है। जब इस मामले में डॉ शीतल पटेल से बात की गई तो उन्होंने हालांकि इस बात को स्वीकार नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि वह फिलहाल अवकाश पर चल रही हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। लेकिन इस्तीफा डीन तक पहुंच गया है। उन्होंने सीसीएल में होने के कारण डॉ शीतल पटेल का इस्तीफा स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।