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यह रीवा है…. बिक गई सरकारी सडक़ भी

बैसा गांव के एक सैकड़ा लोगों ने जनसुनवाई में कलेक्टर को घेरा

शहर से लगा यह गांव भू माफिया के निशाने पर, चारों ओर हो रहा कब्जा
जनसुनवाई में 41 बार दिए गए आवेदन, मिलता है केवल आश्वासन

विशेष संवाददाता, रीवा

संभागीय मुख्यालय रीवा में भू माफिया इस कदर हावी हो चुका है कि राजस्व अमले से जुगाड़ करके सडक़ तक अपने नाम करा लेता है। शिकायत का यहां पर कोई मतलब नहीं क्योंकि जिस राजस्व अधिकारी के द्वारा यह कब्जा कर दिया जाता है उसी के हवाले जांच दे दी जाती है , ऐसे में जांच क्या होगी हर आदमी स्वयं जानता है।
मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान आज एक ऐसा मामला आ गया कि जिसने भी सुना, भौचक रह गया। इस समय भू माफिया के निशाने पर वैसा गांव है। क्योंकि यह एक तो मुख्यालय से लगा हुआ है दूसरा इस इलाके में रेलवे स्टेशन बनने के साथ रिंग रोड भी निकल रही है। परिणाम स्वरुप भू माफी और यहां पर जमीन खरीद कर अपने हिसाब से प्लाटिंग कर उसे बेचने की फिराक में है। जनसुनवाई के दौरान आज आधा सैकड़ा से ज्यादा स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक एवं अन्य लोग आए हुए थे। इनका कहना था कि जिस रास्ते से वह पिछले 50 सालों से निकलते रहे हैं उस रास्ते को ही अब एक व्यक्ति द्वारा अपनी जमीन बताया जा रहा है। पहले यह जमीन सरकारी हुआ करती थी लेकिन अब रिकॉर्ड में वह प्राइवेट लैंड बता रही है। लोगों का कहना है कि जब वह सरकारी जमीन थी तभी वहां पर सडक़ का निर्माण हुआ था उसमें पीसीसी सडक़ भी बनाई गई। अब वह रास्ता रोका जा रहा है। इस रास्ते में अब इतना कीचड़ हो गया है कि आम आदमी निकल नहीं सकता। अगर कोई बीमार हो जाए और एंबुलेंस बुलाई तो वह जार नहीं सकती है। जनसुनवाई में पहले से 40 बार आवेदन दिया जा चुका था कोई कार्यवाही नहीं हुई तो आज 41वीं बार पुन: ग्रामीण बच्चों समेत पहुंच गए। लोगों ने बताया कि हर बार कलेक्टर मैडम द्वारा जांच के लिए कहा जाता है लेकिन आज तक मामले का निराकरण नहीं हो सका है। अब इन लोगों का कहना है कि अगर अब प्रशासन इस सरकारी सडक़ को यथावत नहीं रख पाती है तो वह सामूहिक आत्मदाह करेंगे।
भू माफिया की नजर में वैसा गांव
खास बात यह है कि रीवा के करोड़पति हो चुके भू माफिया की नजर में वैसा गांव है। अभी कुछ दिनों पहले ही सरकारी तालाब बेचने का मामला सामने आया था। यह सरकारी तालाब कभी किसी ने खुद का पट्टा बनवा लिया अब उसे बेचा जा रहा है। यहां पर लगभग डेढ़ सौ घर आदिवासियों के हैं जो तालाब की मेड़ पर बसे हुए हैं। उन्हें भी वहां से हटाए जाने की योजना चल रही है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि भू माफिया पर लगाम कौन लगाएगा। राजस्व अमला तो उन्हीं का साथ देता है। जनसुनवाई केवल नाम की है, कार्यवाही कुछ नहीं हो पा रही है। ऐसे में वैसा गांव के लोग काफी चिंतित हैं।
सरपंच ने बताया…
वैसा गांव के सरपंच शुभम पांडे ने बताया कि यहां पर अरसे पहले सरकारी सडक़ बनाई गई थी लेकिन वहां की जमीन किसी ने खरीद ली है अब वह सरकारी सडक़ का उपयोग करने से रोक रहा है। संबंधित का कहना है कि यह प्राइवेट लैंड है और उसने खरीद रखी है। इन्होंने कहा जब सरकारी जमीन थी तभी वहां पर सडक़ बनपाई होगी, लेकिन उसको अब प्राइवेट लैंड बताया जा रहा है। यह कैसे हो गया समझ से परे है। इस मामले में इन्होंने बताया कि लोगों ने अब तक 40 बार आवेदन दिया लेकिन कोई निराकरण नहीं हो पाया है। आज 41वी आवेदन दिया गया है।

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