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“कभी-कभी किस्मत इंसान को इतना ऊपर ले जाती है कि वो सितारों में चमकने लगता है… लेकिन जब वो टूटता है, तो ज़मीन भी उसे गले लगाने से पहले सोचती है। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कहानी कुछ ऐसी ही है — शोहरत, प्यार, विवाद और फिर एक गहरी खामोशी का सफर।”

✍️शिवेंद्र तिवारी 919179259806

8 फरवरी 1963 को हैदराबाद में जन्मे मोहम्मद अज़हरुद्दीन, भारतीय क्रिकेट के वो खिलाड़ी बने जिनकी बल्लेबाज़ी में नज़ाकत थी, क्लास था, और एक अजीब-सी खामोशी थी जो मैदान पर उतरते ही तहलका मचा देती थी। 1984 में टेस्ट डेब्यू करने वाले अजहर ने शुरुआत कुछ ऐसी की जिसे किस्मत कहते हैं — अपने पहले तीन टेस्ट मैचों में लगातार तीन शतक! इतिहास में ऐसा करने वाले वो अकेले भारतीय बने। लोग उन्हें “कलाइयों का जादूगर” कहने लगे। उनकी बैटिंग में जैसे संगीत बहता था। हर कवर ड्राइव, हर फ्लिक में एक कविता होती थी।

1990 के दशक की शुरुआत में, अज़हर भारत के कप्तान बने। वो भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे, जिन्होंने भारत को घरेलू मैदान पर कई ऐतिहासिक जीत दिलाई। उनकी कप्तानी में भारत ने घर में 14 में से 13 टेस्ट मैच जीते, और ODI क्रिकेट में भी उनका रिकॉर्ड बेहतरीन रहा। उनकी मौजूदगी में टीम में सचिन, द्रविड़, कुंबले और गांगुली जैसे सितारे उभरने लगे थे। वो एक शांत नेता थे, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर सख्त भी।

अज़हर के खेल के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी भी चर्चा में रही। उनकी पहली शादी टूटने के बाद, उन्होंने बॉलीवुड एक्ट्रेस संगीता बिजलानी से शादी की। स्टाइल, रुतबा और पहचान — अज़हर सब कुछ जी रहे थे।

2000 में एक तूफान आया — भारत में मैच फिक्सिंग की जांच के दौरान, मोहम्मद अज़हरुद्दीन का नाम सामने आया। CBI की रिपोर्ट में उन्हें दोषी ठहराया गया और BCCI ने उन पर आजीवन प्रतिबंध (life ban) लगा दिया।

एक ऐसा खिलाड़ी, जिसने भारत को दर्जनों जीत दिलाई, वो अचानक गुनहगार करार दिया गया। फैन्स टूट गए। क्रिकेट जगत सन्न रह गया। “एक पल में सब कुछ छिन गया… मेरे सपने, मेरी पहचान, मेरी मेहनत।” अज़हर खुद को निर्दोष बताते रहे, लेकिन वो शोर थमने का नाम नहीं ले रहा था।

जिन स्टेडियमों में हजारों लोग उनके लिए तालियां बजाते थे, वहां अब सिर्फ सन्नाटा था। जिन दोस्तों ने कंधे पर हाथ रखा था, वो भी दूर हो गए। वो दौर अज़हर के लिए सबसे कठिन था। उन्होंने खुद को लोगों की निगाहों से दूर कर लिया।

कुछ सालों बाद, अजहर ने राजनीति का रास्ता अपनाया। 2009 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से सांसद चुने गए। 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने उन पर लगा लाइफ बैन हटा दिया। ये एक देर से मिला न्याय था — लेकिन उनके लिए बहुत मायने रखता था।

मोहम्मद अजहरुद्दीन की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं है, ये कहानी है एक इंसान की जो बहुत ऊँचा उठा, गिरा, तोड़ा गया, लेकिन फिर भी खुद को समेटकर आगे बढ़ा।

उनकी ज़िंदगी में भले ही विवाद रहा हो, लेकिन उनका क्रिकेटीय जादू आज भी फैन्स के दिलों में जिंदा है।

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