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शैक्षणिक व्यवस्था गेस्ट फैकल्टी के सहारे, फिर भी उनके भविष्य की चिंता नहीं, अतिथि शिक्षक नियुक्ति आदेश में इस वर्ष भी शोषण की बू

आदेश में अतिथि शिक्षकों के कर्तव्यों का उल्लेख, लेकिन स्थायी रोजगार पर कोई टिप्पणी नहीं
ऑनलाईन हाजिरी का प्रावधान बहुतायत अतिथियों के पास है सिर्फ की-पैड मोबाइल

नगर प्रतिनिधि, रीवा

अतिथि शिक्षक संगठन के दबाव के चलते बहुप्रतीक्षित अतिथि शिक्षक भर्ती आदेश लोक-शिक्षण संचालनालय भोपाल के द्वारा 26 जून को जारी कर दिया गया है। आखिर इस आदेश के अनुसार भर्ती होने में भी बच्चों को कम से कम एक महीने पढ़ाई का नुक्सान उठाना ही पड़ेगा ।
अतिथि शिक्षक संगठन के दबाव के चलते दस -बारह वर्षों में पहली बार है,जब जून के महीने में आदेश जारी हो सके हैं। अब तक जुलाई – अगस्त में आदेश जारी होने की परंपरा चली आ रही थी। जिससे बच्चों की पढ़ाई कम से कम दो महीने पीछे हो जाती थी। इसमें संशोधन कर बारह महीने सेवा पर रखे जाने वाले आदेश जारी करने की मांग की गई है।
स्थाई रोजगार को लेकर कोई उम्मीद नहीं
आदेश की निंदा का विषय यह,कि यह आदेश अनुभवी अतिथि शिक्षकों का विरोधी है। इसमें आदेश में अतिथि शिक्षकों के कर्तव्यों को तो स्पष्ट करना जरूरी समझा गया है, पर उम्मीदों के उलट उनके हित में स्थाई रोजगार को लेकर कोई भी नियम नहीं बनाए जा सके हैं, जिससे कि निकट भविष्य में नियमित रोजगार पाने की थोड़ी सी भी उम्मीद जाग सके। इस भर्ती आदेश की हर कंडिकाओं में भारी शोषण की बू आ रही है। जिससे मध्यप्रदेश के दशकों के अनुभवी लाखों अतिथि शिक्षकों का भारी शोषण होना नहीं रुकेगा, जिससे इनके परिवारों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। आदेश को देखकर ऐसा प्रतीत होता है,कि आदेश तैयार करने वाले आला अधिकारी अतिथि शिक्षक विरोधी हैं या फिर बेहोशी में पड़े यह भूल ही गए हैं, कि अस्थाई अतिथि शिक्षकों को नाम मात्र का मानदेय मिलते आ रहा है, कितनी भी इमरजेंसी आ जाने के बाद भी किसी भी प्रकार के अवकाश की पात्रता भी नहीं होती है। इसके पूर्व में इन्हीं जिम्मेदार अधिकारियों ने कोर्ट में भी अतिथि शिक्षक व्यवस्था को वैकल्पिक व्यवस्था होने की दलील दे चुके हैं, बावजूद इसके यही अधिकारी ऐसे बेआधार अतिथि शिक्षक विरोधी फरमान जारी कर रहे हैं। न जाने ये माननीय न्यायालय को भी गुमराह करने से नहीं चूकते हैं।
शिक्षकों की भारी कमी के बावजूद अनुभवी अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण क्यों नहीं विचारणीय है,जब अतिथि शिक्षकों से सारा काम नियमित शिक्षक के समान लिया जाता है,तो नियमित शिक्षकों की भारी कमी के चलते दशकों के अनुभवी अतिथि शिक्षकों को समान काम का समान वेतन और शिक्षक जैसा पदनाम देने में सरकार को समस्या क्या है ? यह बड़ा सवाल है।
शोषण बयां करता है नया आदेश
बता दें,कि 26 जून को जारी आदेश के बिंदु क्रमांक 4.3 व 4.4 के अनुसार अतिथि शिक्षकों को स्कूल में प्रति कार्यदिवस उपस्थिति हमारे शिक्षक एप पर सुबह-शाम दो बार दर्ज करने की बाध्यता होगी।जबकि अतिथि शिक्षक का मानदेय कालखंड के हिसाब से भुगतान किए जाने का नियम भी नियुक्ति आदेश में स्पष्ट होता है। जिस समय अतिथि शिक्षक का कालखंड आता है,उस समय उसको शाला में उपस्थित रहकर पढ़ाना अतिथि शिक्षक भर्ती नियम कहता है। बाकी समय संस्था में बने रहने की बाध्यता नहीं होती है। दूसरी बात आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के लिए कीमती एंड्रॉयड स्मार्टफोन की जरूरत होती है,जबकि बहुत ही कम मानदेय पाकर पूरे समय काम करते आने वाले बहुतायत अतिथि शिक्षकों के पास की पैड मोबाइल ही हुआ करता है, एंड्रायड स्मार्टफोन होने के बाद भी कई बार डाटा रिचार्ज कराने समय पर रुपये की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण आनलाइन काम नहीं हो पाता है। तीसरी बात बहुतेरे अतिथि शिक्षकों के निज निवास और स्कूल की दूरी ज्यादा और इंटीरियर में होने के कारण आवागमन के साधनों के अभाव के चलते भी हमेशा समय पर स्कूल पहुंच पाना या समय तक शाला में ठहर पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में आनलाइन उपस्थिति दर्ज कर पाने से अतिथि शिक्षक कई दिन चूक जाएंगे और मानदेय से वंचित रह जाएंगे।
आदेश के बिंदु क्रमांक 2.5 में लिखा हुआ है,कि शासन के मापदंड अनुसार किसी स्कूल के दो में से किसी एक अतिथि शिक्षक को बाहर होना पड़ा तो कम अनुभव के आधार पर नहीं बल्कि स्कोरकार्ड में कम अंक के आधार पर बाहर होना पड़ेगा। इस तरह अनुभव को किसी भी प्रकार का तवज्जो नहीं दिया गया है,जो अधिकतर अनुभवी अतिथि शिक्षकों के खिलाफ हैं।जबकि दुनिया में किसी भी पद की बढ़ोत्तरी या अपनी जगह बनाए रखने के विकल्प के लिए अनुभव ही एक ऐसा आधार है, जिसमें कोई पक्षपात की गुंजाइश नहीं होती।
नियमित रोजगार पाने की उम्मीद पर फिरता पानी
बहरहाल सरकार के द्वारा अतिथि शिक्षकों के लिए नियमित रोजगार देने के लिए दो वर्ष पहले की गई घोषणा पर बिल्कुल भी विचार नहीं करके रोजगार से वंचित करने वाला शोषण भरा आदेश जारी कर अधिकांश अतिथि शिक्षकों का भविष्य खराब कर दिया जा रहा है।

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