शिवेंद्र तिवारी 9179259806

जब अबला बनी अत्याचारियों का काल
पिछले पार्ट में मैंने बताया था फूलन के जन्म से लेकर उसकी शादी. पति के छोड़ने और अपहरण की कहानी.. अबला फूलन को डाकू बाबू गुर्जर अग़वा कर ले आया.. बाबू गुर्जर का चेला था फूलन का बिरादर विक्रम मल्लाह.. अब कहानी आगे की..
फूलन अब बाबू गूजर के कब्जे में थी। बाबू उसके साथ बलात्कार करने लगा..। वह फूलन को बहुत गिरी अवस्था में रखता था, जैसे धूप निकलने तक नंगे लिटाए रखना, दल के लोगों के सामने उसके साथ रेप करता..। इन स्थितियों में विक्रम मल्लाह का जातीय स्वाभिमान जाग उठा.. उसमें जातीय स्वाभिमान की आग सुलगने लगी। वह मौके की तलाश में रहने लगा। बाबू के तीन सहयोगी थे। एक दिन बाबू का एक विशिष्ट सहयोगी राइफल ठीक कराने चला गया तथा दो सहयोगी जमुना में नहाने चले गए। जो व्यक्ति बाबू की देखरेख के लिए या यह रात भर की थकावट के कारण खुमारी में झूम रहा था कि भारत सिंह और विक्रम मल्लाह ने इस मौके का फायदा उठाते हुए बाबू गुर्जर पर गोली चला दी। बाबू अपने तीन सोते हुए साथियों सहित मारा गया। अब फूलन देवी मात्र विक्रम की हो गई थी.. इसलिए कि उसने उसे अत्याचारी बाबू गुर्जर से मुक्त कराया था..
लेकिन अब फूलन और विक्रम के दिन और बुरे शुरू होने वाले थे..बाबू गुर्जर के मरने के बाद विक्रम के गिरोह की स्थिति काफी कमजोर हो गई। भारत ने साथियों के साथ गिरोह की स्थिति संभाली, पर इस गिरोह पर एक बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा था। वह खतरा था मलखान सिंह का। दरअसल, बाबू गुर्जर मलखान के गिरोह से उसकी बेंचेस्टर राइफल और दुनाली बन्दूक धोखे से लेकर भाग आया था, जिस पर मलखान ने उसे अपना दुश्मन करार दे दिया था। वह वेंचेस्टर राइफल और दुनाली यन्दूक अब विक्रम मल्लाह के पास थी। उस समय मलखान-घनश्याम का गिरोह सबसे पॉवरफुल था.विक्रम मल्लाह ने मलखान-घनश्याम के समने सरेन्डर कर दिया..उसने वेंचेस्टर राइफल और दुनाली बत्त्दूक समर्पित कर दी। घनश्याम ने विक्रम से कहा, ‘मुझे इसका दुख नहीं है कि बाबू मारा गया, क्योंकि वह मेरा शत्रु था। पर वह साहसी आदमी था। ऐसे बहादुर आदमी की तुमने कुत्ते की मौत मार डाला। यदि तुम उसे आमने-सामने मारकर आए होते तो तुम्हें में वह इनाम देता लेकिन तुमने उसे धोखे से मारा। तुम घृणा के पात्र हो।’ तमाम मिन्नतों व सफाइयों के बावजूद घनश्याम नहीं पिधला। तब एक ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति पर निर्णय छोड़ दिया गया जिसकी दस्यु दलों में एक अलग ढंग की प्रतिष्ठा थी.. उस व्यक्ति ने विक्रम को घनश्याम के साथ रहने की आज्ञा दे दी। अब घनश्याम के नेतृत्व में विक्रम मल्लाह और फूलन देवी डाका डालने लगे। इनके साथ हरदास उर्फ गब्बर सिंह नामक एक शातिर डकैत भी था।
कालपी थाने से 2 किलोमीटर दूर देवकली गाँव में डकैती के दौरान पुलिस से मुठभेड़ हुई और घनश्याम, गब्बर और विक्रम तीन दलों में बंट गए। गब्बर की टुकड़ी एक नए गिरोह के रूप में जोरों से उभरने लगी। इसी समय गब्बर के सम्पर्क में माया आई. उसे गब्बर ने अपने साथ रख लिया। इसी दौरान कुख्यात डाकू छोटेलाल मिश्रा भी गब्बर से आ मिला
गब्बर बहुत अत्याचारी डकैत था . वह कम उम्र की लड़कियों को अग़वा कर उनके साथ रेप करता था.. उसके अत्याचारों से अजीज आ चुके छोटेलाल मिश्रा ने उसकी हत्या कर दी.
: छोटेलाल मिश्रा उस दौर का सबसे दुस्साहसी डकैत था.. वो विक्रम मल्लाह से आकर मिल गया.. विक्रम, फूलन और छोटेलाल तीनो परिस्थितियों के मारे डकैत थे.. तीनो सरेंडर करना चाहते थे लेकिन सरेडर का रास्ता नहीं मिल रहा था.

अब जब बीहड से लौटने का मौका ही नहीं मिला तो विक्रम मल्लाह के गिरोह ने अंधाधुंध डकैतियां डालनी शुरू की.. यूपी में ये वही दौर था जब वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे और डकैतों को मारने के लिए पुलिस को फ्री हैंड कर दिया गया था लेकिन आरोप थे कि ठाकुर डकैत खुल्ला छोड़े जा रहे थे बाकी चुन चुन कर मारे जा रहे थे.. इसके लिए विशेष तौर पर ठाकुर अधिकारियों को तैनात किया गया था. इन्ही अधिकारियों में एक था इंस्पेक्टर श्यामवीर सिंह तोमर जिसने विक्रम मल्लाह गिरोह के दो सदस्यो लालाराम सिंह और श्रीराम सिंह को जातिवाद के आधार पर साध लिया..लालाराम और श्रीराम दोनों की ससुराल बैरामउ गांव में थी.. चाल चलकर दोनों गिरोह को ससुराल ले गए और सोते समय विक्रम मल्लाह और उसके साथी बारेलाल की हत्या कर दी और फूलन को अग़वा कर ले गए.. लालाराम और श्रीराम की कई रिश्तेदारियां ठाकुर बाहुल्य बेहमई गांव में थी. फूलन को बेहमई गांव में रखा गया.. गांव के बीच में स्थिति एक घर में उसे बंद कर दिया गया.. लालाराम, श्रीराम उनके साथियों के साथ बेहमई गांव के लोग दिन रात उसके साथ बलात्कार करने लगे.. जब जिसका मन होता उसके जिस्म को नोंचने लगता.. बेहमई ही नहीं इस इलाके के 72 गांव मेव ठाकुर बाहुल्य थे जिन्हे कभी मेवात से लाकर इन्हे बसाया गया था.. पुलिस इनके साथ थी.. फूलन को कौन बचाता.. 22 दिन उसके साथ गैंग रेप रेप होता रहा..फूलन जानवरों सी कराहती रहती.. पुरुष उसके जिस्म को नोचते तो महिलाएं उसकी खिल्ली उड़ाती.. फूलन 21 दिन नारकीय माहौल में रही.. 22 वें दिन उसे शौच के लिए निर्वस्त्र यमुना के किनारे के लिए ले जाया गया.. इस जिंदगी से बेहतर मौत मानकर फूलन ने यमुना में छलांग लगा दी… आज इतना ही आगे पढ़ना चाहेंगे तो आगे बतायेंगे
“फूलन का बदला “