किस विवशता के चलते रामचन्द्र को छोड़ अकबर के दरबार पहुंचे तानसेन!
आज विश्व संगीत दिवस भी.. पुनर्वालोकन/जयराम शुक्ल विधिना यह जिय जानि के शेषहि दिये न कान।धरा मेरू सब डोलि हैं, सुनि तानसेन की तान।। अर्थात- “ब्रह्मा ने यह जानकर ही शेषनाग को कान नहीं दिए क्योंकि तानसेन की तान से मुदित होकर शेषनाग नाचने लगते व पहाड़ों समेत यह धरती डोलने लगती” तानसेन की महानता…