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टेक्नोलॉजी या टेरर की चाल?

भावभीनी श्रद्धांजलि
यह दृश्य केवल एक विमान दुर्घटना का नहीं, बल्कि मानवता को झकझोर देने वाला पल है। एक सुरक्षित यात्रा, चंद पलों में त्रासदी में बदल गई। धुएं की ऊँची लपटों के बीच कहीं मासूम सपने, यात्रियों की मुस्कानें और परिवारों की आशाएं जलकर राख हो गईं।

आज हमारे सामने एक गंभीर प्रश्न खड़ा है—क्या यह केवल तकनीकी चूक थी या कोई “टेक्निकल टेरर” जैसा संगठित भय? जब तकनीक ही आतंक का माध्यम बन जाए, तो ऐसे हादसों के पीछे केवल यंत्रों की विफलता नहीं होती, कभी-कभी उसमें किसी अदृश्य साजिश की छाया भी हो सकती है। हमें हर संभावना पर सोचने और सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सतर्क बनाने की आवश्यकता है।

हम उन सभी दिवंगत आत्माओं को गहरी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने इस अकल्पनीय पीड़ा में अपने प्राण गंवाए। ईश्वर उनके परिवारों को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। यह क्षति केवल उन परिवारों की नहीं, हम सबकी है।

अब समय आ गया है कि हर दुर्घटना को महज “दुर्घटना” मानने की आदत से बाहर निकलकर हम उसकी तह तक जाएं। ताकि भविष्य में कोई और माँ अपने बेटे की राह न देखती रहे… कोई और मासूम बिना आखिरी अलविदा दिए न चला जाए।
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*श्रद्धांजलि के साथ चेतावनी भी

शिवेंद्र तिवारी 9179259806

विंध्यभारत Vindhyabharat

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