Headlines

“जब ज़रूरत पड़ी, राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपिंग ग्लव्स भी पहन लिए – भारतीय क्रिकेट का वह साइलेंट वॉरियर जिसे टीम के लिए कुछ भी मंजूर था!”

✍️शिवेंद्र तिवारी 9179259806

90 के दशक के अंत और 2000 के शुरुआती वर्षों में भारतीय क्रिकेट एक अजीब दौर से गुज़र रहा था। बल्लेबाज़ी क्रम में तो विकल्प थे, लेकिन विकेटकीपर-बल्लेबाज़ का संतुलन टीम में एक बड़ी कमी बन चुका था। नयन मोंगिया के बाद अजय रात्रा, विजय दहिया, सबा करीम, समीर दिघे, और कई अन्य विकल्प आज़माए गए, लेकिन कोई भी विकेट के पीछे और बल्ले से दोनों जिम्मेदारियों को निभाने में निरंतरता नहीं ला सका।

तब सामने आए राहुल द्रविड़ — टीम मैन इन ट्रू सेंस

1999 में ताउंटन में श्रीलंका के खिलाफ, जब नयन मोंगिया उपलब्ध नहीं थे, तो कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने राहुल द्रविड़ से कीपिंग की जिम्मेदारी संभालने को कहा। और बिना किसी शिकवे-शिकायत के द्रविड़ ने वह भूमिका निभाई — टीम पहले वाला जज़्बा पूरी तरह उन पर सटीक बैठता है।

🏏 गांगुली ने बनाया ODI में नियमित कीपर

जब सौरव गांगुली कप्तान बने, तब टीम को एक ऐसे खिलाड़ी की ज़रूरत थी जो कीपिंग के साथ-साथ बल्लेबाज़ी में भी भरोसेमंद हो, ताकि प्लेइंग इलेवन में एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ या ऑलराउंडर को जगह दी जा सके। ऐसे में द्रविड़ को फुल-टाइम कीपर बना दिया गया।

🔹 राहुल द्रविड़ की कीपिंग में खास बातें:

उन्होंने 1999 से लेकर 2004 तक भारत के लिए वनडे में कई मैचों में विकेटकीपिंग की।

विकेट के पीछे उन्होंने 196 कैच और 14 स्टंपिंग की।

2003 वर्ल्ड कप में, बतौर कीपर उनका योगदान मैच विनिंग साबित हुआ। इससे भारत को बल्ले और गेंद के अलावा रणनीतिक संतुलन भी मिला।

विकेटकीपिंग करते हुए भी, उन्होंने शानदार बल्लेबाज़ी की — जैसे 1999 में केन्या के खिलाफ 104 रन, या श्रीलंका के खिलाफ साझेदारियों में महत्वपूर्ण योगदान।

🧠 एक बल्लेबाज़ की सोच वाला कीपर

राहुल द्रविड़ ने कीपिंग को सिर्फ एक ज़रूरत नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हथियार बना दिया। उनकी चालाकी, सजगता और विकेट के पीछे का शांत व्यवहार बॉलिंग यूनिट को आत्मविश्वास देता था।

💬 “मैंने ये भूमिका टीम के लिए निभाई… और मुझे खुशी है कि मैंने भारतीय क्रिकेट को किसी भी तरह मदद की।” — राहुल द्रविड़

राहुल द्रविड़ की कीपिंग का दौर भले ही अस्थायी था, लेकिन उसकी महत्ता स्थायी है। वो ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने टीम की ज़रूरत के लिए अपनी भूमिका बदली — बल्लेबाज़, स्लिप फील्डर, कप्तान, और जब ज़रूरत पड़ी तो विकेटकीपर भी।

🙏 सलाम उस खिलाड़ी को जिसे हम ‘द वॉल’ कहते हैं, लेकिन जिसे हम ‘द टीम का नींव’ कहना कभी नहीं भूल सकते।

RahulDravid

Vindhya Bharat

विंध्य भारत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *