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रीवा में अनुकम्पा नियुक्ति घोटाले ने बिहार के चारा घोटाले को पीछे छोड़ा,भाजपा राज में शिक्षा विभाग में एक वर्ष में हुई 36 अनुकम्पा नियुक्तियां जिसमें दस संदिग्ध मामले आए सामने

✍🏻शिवेंद्र तिवारी

नियुक्ति पाने वाले सभी कोल जाति के,इसी वर्ष अप्रैल माह में जारी हुए सभी के नियुक्ति आदेश
रिकॉर्डों की जांच होने की भनक लगते ही सभी हुए लापता,जांच का जिम्मा अभी भी नियुक्ति की अनुशंसा करने वाले नोडल अधिकारी अखिलेश मिश्रा को

पिछले एक वर्ष में हुई अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों की जांच के दौरान अनुकम्पा नियुक्ति घोटाले की परतें एक एक कर खुलने लगी हैं।ऐसे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिन्हें सुनकर लगता है कि रीवा के शिक्षा विभाग ने घोटाले में बिहार के चारा घोटाले को भी पीछे छोड़ दिया। ये सभी नियुक्तियां विशेष भर्ती अभियान बताकर की गई हैं,जिसमें प्रति कंडीडेट पांच से सात लाख रुपए वसूलने की बातें सामने आ रही हैं।जिसमें नीचे से ऊपर तक पूरे सिस्टम के शमिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का एक मामला सामने आने के बाद प्रभारी लिपिक को निलंबित कर दिया गया था।उसके बाद पिछले एक वर्ष में हुई अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों एवं उनके दस्तावेजों की जांच शुरू हुई थी। नियुक्ति पाने वालों को रिकॉर्डों के साथ डी ई ओ कार्यालय में तलब किया गया था।जिसमें 26 लोग रिकॉर्डों के सत्यापन के लिए उपस्थित हुए ।लेकिन एक ही जाति के दस लोग रिकॉर्ड लेकर नहीं पहुंचे।बताया गया है कि जांच की भनक लगते ही ये सभी स्कूल से नदारद हो गए और पिछले पांच दिन से स्कूल नहीं आ रहे।
शिविर में कोल जाति के दस और संदिग्ध मामले सामने आए है।तिघरा में एक, बीड़ा में एक, अटरिया में दो,सेमरिया में एक,गंगेव में नियुक्ति के दो संदिग्ध मामले सामने आए हैं।ये सभी कोल जाति के हैं।वही जांच के दौरान एक ऐसा मामला भी सामने आया जिसमें एक ही परिवार के भाई बहन दोनों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई है।एक को कन्या गंगेव में तो दूसरे को प्रवीण कुमारी संदीपनी विद्यालय में नियुक्ति मिली थी।जहां भाई अंजेश रावत पिता रामसखा रावत को 2023 में पी के स्कूल में नियमानुसार नियुक्ति प्रदान की गई , वहीं उसकी सगी बहन साधना कोल पिता रामसखा कोल को तत्कालीन डी ई ओ गंगा उपाध्याय ने मार्च 2024 में कन्या गंगेव में नियुक्ति दे दी।इसी तरह सुषमा कोल पिता श्याम लाल कोल को अप्रैल 2025 में बालक गंगेव में नियुक्ति दी गई।मृतक को त्यौंथर में शिक्षक पद पर पदस्थ बताकर अनुकम्पा नियुक्ति दी गई।लेकिन उस नाम का कोई शिक्षक त्यौंथर में पदस्थ ही नहीं था।बालक गंगेव के संकुल प्राचार्य ने शंका होने पर जब सुषमा कोल से उसके पिता श्याम लाल के पीपीओ की मांग की तो वह भी लापता हो गई।
।इसमें एक बड़े गिरोह सहित उच्च अधिकारियों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।
डी ई ओ ऑफिस के कई अधिकारी ,जे डी आफिस के भी कुछ संदिग्ध लोगों के शामिल होने की आशंका है।वर्तमान डी ई ओ सुदामा से लेकर पूर्व डी ई ओ गंगा उपाध्याय के हस्ताक्षर से ये आदेश जारी हुए हैं।गंगा उपाध्याय ने तो डी ई ओ के पद से मुक्त होने के दिन भी अनुकम्पा नियुक्ति के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े मामले के उजागर होने के बाद भी जिला प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है।न ही फर्जी नियुक्ति लेने वालों को गिरफ्तार कर उनके बयान ही लिए गए।जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए की किसे कितने रुपए दिए गए।
वही जांच का जिम्मा अभी भी लिंक अधिकारी अखिलेश मिश्रा को बनाया गया है। जिम्मेदारों द्वारा फर्जी नियुक्ति लेने वालों की नियुक्ति निरस्त करने की बात कही गई है।लेकिन फर्जी नियुक्ति देने वालों पर क्या कार्यवाही होगी इस पर विभाग और प्रशासन मौन है।
ऐसा लगता है कि रीवा के शिक्षा विभाग ने बिहार के चारा घोटाले को भी पीछे छोड़ दिया है।लेकिन उप मुख्यमंत्री के गृह जिले में इतने बड़े घोटाले के सामने आने के बाद भी ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।ऐसा लगता है कि रीवा में जिला प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है।

जे डी ने गठित की जांच समिति

मामले की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग नीरव दीक्षित ने अनुकंपा नियुक्ति के मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है।जिसमें पी जी बी टी के प्राचार्य डॉ आर एन पटेल,सीधी के पूर्व डी ई ओ एवं गवर्न्मेंट 1 के प्राचार्य डॉ प्रेमलाल मिश्रा तथा मार्तण्ड 3 के लेखापाल हीरा सिंह को शामिल किया गया है।जांच समिति में डॉ पटेल एवं डॉ मिश्रा को शामिल किए जाने से जिम्मेदारों के हांथ पाँव फूलने लगे हैं।जल्द ही विभाग के अब तक के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।

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