शिवेंद्र तिवारी

नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आते ही भारत के साथ सहयोग पर जोर दिया. उनके इस भरोसे के साथ ही कनाडा में पल रहे सिख उग्रवादियों के हौसले पस्त हो गए. पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के विवादास्पद बयानों और सिख उग्रवादियों के साथ उनकी कथित सहानुभूति के विपरीत, कार्नी का दृष्टिकोण अधिक संतुलित है.
शुक्रवार की तीन बड़ी सूचनाएं भारत के मनोबल को बढ़ाने वाली हैं. एक तो जम्मू कश्मीर के घाटी इलाके में ट्रेन सेवा का संचालन. प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कटरा से श्रीनगर के बीच वन्दे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. चिनाब नदी पर रेलवे पुल बनवा लेना भारत की एक बड़ी तकनीकी जीत है. यह विश्व में सबसे ऊंचा रेलवे आर्च पुल है. एफिल टावर से कहीं अधिक ऊंचा यह रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) रियासी जिले में दो पहाड़ियों को जोड़ता है. 4314 फुट लंबा यह ROB रेलवे के एक नए अध्याय का सूत्रपात करता है.
भारत ने साबित कर दिया कि रेलवे ट्रैक निर्माण में उसकी दक्षता किसी से भी कम नहीं. श्रीनगर तक ट्रेन चल जाने से अब घाटी को मुख्यधारा में लाने के रास्ते में हर आने वाली हर बाधा को भारत ने दूर कर दिया है. अब कश्मीर के दूरस्थ इलाकों से शेष भारत में आना-जाना सुगम हो जाएगा.
G-7 की बैठक में भारत को न्योता
दूसरी खबर ऑटवा (CANADA) से आई है. वहां अलबर्टा प्रांत के कनानैसिक्स में 15 से 17 जून को होने वाले G-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री को न्योता मिल गया है. विश्व के सात विकसित देशों G-7 गुट के शिखर सम्मेलन में भारत को पिछले छह वर्षों से लगातार विशेष आमंत्रित देशों के तौर पर बुलाया जा रहा था. इस बार अभी तक यह निमंत्रण न मिलने भारत के शत्रु देश मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे. यह सच है कि 2018 से भारत और कनाडा के रिश्ते सामान्य नहीं थे. वहां पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसी न किसी बहाने भारत पर आरोप लगाते ही रहते थे. भारत की सरकार उन्हें पसंद नहीं करती थी. 2023 की सितंबर में G-20 देशों के सम्मेलन में भाग लेने जब जस्टिन ट्रूडो नई दिल्ली आए थे तब उनका स्वागत बहुत फीके तरीके से हुआ था. मगर मौजूदा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अलग राह पकड़ी.
ट्रंप और मस्क का झगड़ा
तीसरी खबर अकेले भारत के लिए ही नहीं पूरे विश्व को राहत देने वाली है. अमेरिका (USA) में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उद्योगपति एलन मस्क के बीच जो तनाव हुआ है, उसमें हर देश अपने लिए राहत का कोई न कोई कोना तलाश रहा है. कनाडा, मैक्सिको, चीन, भारत और यूरोप को बाजार के खुलने की आस है. भले एलन मस्क राजनीतिक तौर पर कोई ताकत न रखते हों किंतु अमेरिका की अर्थव्यवस्था की वे बड़ी रीढ़ हैं. वे अगर अपना पैसा और कारखाने किसी अन्य देश में ले जाने को उद्यत हो उठे तो ट्रंप के लिए अमेरिका फ़र्स्ट बताना महंगा सौदा हो जाएगा. पहले तो वे सिर्फ सरकारी पद से ही अलग हुए थे. तब ट्रंप ने टेस्ला को सब्सिडी देनी बंद करने की घोषणा की. बदले में एलन मस्क ने अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम NASA के लिए स्पेक्सएक्स देने से मना कर दिया.
मस्क का तुर्की-ब-तुर्की जवाब
एलन मस्क प्रेसिडेंट ट्रंप को हटाने की भी मांग कर रहे हैं. अगर ख़ुदा-न-ख़ास्ता ट्रंप को हटना पड़ा तो प्रेसिडेंट का पद उप राष्ट्रपति जेडी वेंस को स्वतः मिल जाएगा. वेंस की पत्नी भारतीय मूल की हैं. इसलिए भारत को भी कहीं न कहीं इस झगड़े में उम्मीद दिख रही है. इसीलिए पिछले दिनों भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी जब अमेरिका गए तब वे उप राष्ट्रपति जेडी वेंस से काफी देर तक मिले थे. ट्रंप शुरू से हर झगड़े को व्यक्तिगत स्वरूप देते आए हैं. लेकिन अब उनका झगड़ा एक ऐसे व्यक्ति से हो गया है जो अपने धन से अमेरिका की अर्थ व्यवस्था को काफी हद तक कंट्रोल करता है. वह अपना पैसा पड़ोसी देश कनाडा में लगा सकता है. यूं भी कनाडा टैरिफ बढ़ने से USA से सख्त नाराज है. कनाडा में भंडारण की भी क्षमता है और विशाल भू-भाग होने के कारण जगह की कमी नहीं.
भारत से सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाने का वायदा
कनाडा में मार्क कार्नी इसी वर्ष 14 मार्च को अंतरिम प्रधानमंत्री बने थे. जस्टिन ट्रूडो की अलोकप्रियता को देखते हुए लिबरल पार्टी ने जस्टिन ट्रूडो को इस्तीफा देने के लिए विवश किया. उनके विरुद्ध कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिव्रे और NDP ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का इरादा जाहिर किया था. इसलिए भी ट्रूडो ने इस्तीफा दे दिया था. मार्क कार्नी को लिबरल पार्टी ने नेता चुना और उन्हीं की अगुआई में मई में पार्टी ने पार्लियामेंट का चुनाव लड़ा. लिबरल पार्टी ने यह चुनाव जीता. मार्क कार्नी बैंक ऑफ कनाडा के अध्यक्ष और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके थे. वे शांत प्रकृति के नेता हैं. वैसे वे राजनेता कम आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ अधिक हैं. ट्रंप के टैरिफ प्लान से निपटने के लिए उन्होंने नई रणनीति बनाई. उन्होंने भारत के सौहार्दपूर्ण रिश्ते रखने का वायदा भी किया था.
ट्रूडो ने चला था सिख दांव
कनाडा रूस के बाद दुनिया का दूसरे नम्बर का विशाल देश है. मगर जनसंख्या बहुत कम है. उसकी आबादी चार करोड़ से कुछ अधिक है. इसमें भी भारत वंशी लोगों की आबादी आठ प्रतिशत के आसपास है. पंजाबियों के लिए तो वह भारत के बाद दूसरा सबसे बड़ा निकट का देश है. ओंटारियो में टोरंटो के पास ब्रम्पटन और ब्रिटिश कोलम्बिया (BC) में वैंकूवर के करीब हरे में तो 90 प्रतिशत आबादी सिख है. गरमुखी लिपि में लिखी पंजाबी भाषा को वहां मान्यता मिली हुई है. अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद गरमुखी पंजाबी भाषा का ज्ञान कनाडा में नौकरी पाने के लिए सहायक होता है. इसलिए पंजाबी हर वर्ष हजारों की संख्या में कनाडा चले जाते हैं. सिखों की आबादी अधिक होने के कारण जस्टिन ट्रूडो 2018 में जब भारत आए तो स्वर्ण मंदिर भी गए और ऑपरेशन ब्लू स्टार की याद उन्हें दिला आए.
भारत के अंदरूनी मामलों में दखल
इसके बाद 2020 में जब कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसानों ने दिल्ली के किनारों पर धरना दिया तब सिख किसानों की तरफ़ से ट्रूडो ने फिर भारत सरकार के विरुद्ध एक बयान दे दिया. इससे नरेंद्र मोदी सरकार नाराज हो गई और उन्होंने ट्रूडो को दूसरे संप्रभु देश के अंदरूनी मामले में दखल देने का आरोप लगाया. जस्टिन ट्रूडो की सरकार सिख सांसदों और अतिवादी पार्टी NDP के उस वक्त के अध्यक्ष जगमीत सिंह के सहयोग से चल रही थी इसलिए वे वही करते जो जगमीत उनसे कहते. इसके अलावा वे अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन के मोहरे थे. इसलिए उन्होंने एक कनाडाई सिख नागरिक निज्जर की हत्या में भारत पर अंगुली उठाई. इस वजह से भारत से उनके रिश्ते बहुत कटु हो गए थे. नवंबर में जब USA में बाइडेन हारे तब ट्रूडो की विदाई भी तय मानी जा रही थी.
सिख अतिवादियों के हौसले पस्त
नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आते ही भारत के साथ सहयोग पर जोर दिया. उनके इस भरोसे के साथ ही कनाडा में पल रहे सिख उग्रवादियों के हौसले पस्त हो गए. फिर ट्रंप के टैरिफ वार ने भी कनाडा को दुनिया में अन्य देशों के साथ दोस्ती और भरोसे का रिश्ता बनाने की तरफ प्रेरित किया. भारत एशिया में तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. हालांकि चीन से वह पीछे है. लेकिन चीनी चालबाजियों से कार्नी भी वाकिफ हैं. टोरंटो के कई इलाकों में चीन ने अपने थाने खोल रखे हैं. तीन साल पहले जब यह खबर मीडिया में आई तब कनाडा सरकार के कान खड़े हुए. चीन ने सफाई दी कि ऐसा उसने अपने देश के प्रवासियों की सुरक्षा के लिए किया था. किंतु इसके बाद शक की सुई चीन की तरफ मुड़ गई थी.
कार्नी भारत से अच्छे संबंध रखेंगे
कनाडा की नई संसद के पहले सत्र का उद्घाटन करने जब किंग जॉर्ज ऑटवा गए, तब उन्होंने कार्नी को भारत से बेहतर रिश्ते रखने को भी कहा था. इंग्लैंड के संवैधानिक प्रमुख किंग जॉर्ज कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कुछ अफ्रीकी तथा कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों के भी संविधान प्रमुख हैं. उनकी संसद को शुरू करने वे या उनका कोई प्रतिनिधि इन देशों में जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी किंग से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे पर उन्होंने अलग से समय नहीं दिया. कार्नी अपने देश में भारतवासियों की ताकत पहचानते हैं, इसीलिए उन्होंने अनिता आनंद को अपना विदेश मंत्री बनाया हुआ है. जो लोग नरेंद्र मोदी को G-7 में अभी तक न बुलाए जाने से खुशियां मना रहे थे, उन पर जरूर वज्रपात हुआ है.