:-त्वरित टिप्पणी-:
विंध्य भारत समाचार पत्र

31 मई 2025 –तारीख याद रखिएगा क्योंकि यही वह ऐतिहासिक दिन होगा जब सतना के लोग फिर एक बार अपने सपनों को पंख लगाएंगे…भले ही हवाई जहाज अब तक नियमित रूप से न उड़ पाया हो पर सपने तो फुल चार्ज हैं!सतना हवाई अड्डा जिसे बनाने में सरकार ने मात्र 37 करोड़ रुपये की मामूली रकम झोंकी है दरअसल एक ऐसा सपना है जो हर कुछ साल में नया रूप धरकर सामने आता है-कभी छह महीने, कभी नौ महीने, कभी छह सीटों वाला प्लेन और कभी सिर्फ उद्घाटन!
इतिहास से भविष्य की उड़ान तक… या कम से कम कोशिश तक
सतना की यह 85 साल पुरानी हवाई पट्टी जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने अपने जहाजों के लिए बनाया था अब भारतीय लोकतंत्र के वादों के युद्ध में अपनी भूमिका निभा रही है। तब से लेकर अब तक विमान कभी-कभार यहाँ उतरते रहे-शायद किसी पायलट ने रास्ता भटक लिया हो। 2014 में सेवा शुरू हुई-छह महीने में दम तोड़ दी। 2017 में प्रभातम आई-नौ महीने चली, फिर सेवा प्रभात से पहले ही अस्त हो गई। 2025 में फ्लाई ओला आई-छह सीटर जहाज लेकर और छह दिन में ही “उड़न छू” हो गई।
रनवे छोटा, सपना बड़ा!
एक ज़माना था जब सतना का रनवे 1800 मीटर लंबा था-अब वह सिकुड़कर 1200 मीटर का हो गया है। यानी विमान छोटा हो गया पर वादों के पंख और चौड़े हो गए हैं। लगता है विकास की योजना बनाने वाले सोचते हैं “अगर हवाई जहाज नहीं आएगा तो बड़ा रनवे क्यों चाहिए?”
अतिक्रमण की उड़ान:
451.93 एकड़ में फैले हवाई अड्डे में से 150 एकड़ तो अतिक्रमण के हवाले है। यानी जितनी जमीन पर प्लेन उतरना चाहिए वहाँ फिलहाल ट्रैक्टर, ठेले या शायद बकरी चर रही हो। एयरपोर्ट के पास अगर चाय की दुकान चलती हो तो वहाँ ‘एयर-फ्लेवर्ड’ चाय भी मिलती होगी।
उद्घाटन का महत्व:
सतना के लोगों को अब असली हवाई सेवा मिले न मिले, फाइबर ऑप्टिक के ज़रिए वर्चुअल उड़ान तो तय है। DGCA की मुहर, जनता की कदर नहीं? 20 दिसंबर 2024 को लाइसेंस मिला था, और तब से जून आ गया है- सेवा शुरू नहीं हुई पर उम्मीद अब भी ज़िंदा है। सतना के लोग समझ गए हैं कि यह हवाई अड्डा असल में ‘उड़ान योजना’ के तहत नहीं, ‘उड़ता ताना योजना’ के तहत आता है।
निष्कर्ष:
सतना एयरपोर्ट अब सिर्फ एक इमारत नहीं है-यह एक भावना है, एक सपना है, एक प्रतीक है उस वादे का जो हर चुनाव में फिर से उड़ान भरता है। जहाज भले न उड़े पर नेताओं के भाषण और जनता की उम्मीदें बिना फ्यूल के भी हवा में हैं। तो अगली बार जब कोई कहे “सतना से विमान कब उड़ेंगे?”-तो मुस्कुराकर कहिए, “अभी नहीं, हम सिर्फ सपने उड़ाते हैं!”
शिवेंद्र तिवारी
9179259806