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विंध्य के किसानों को रास नहीं आया सरकारी रवैया सरकार की अनदेखी से ठगे गए किसान !

पहली बार ऐसा हुआ जब गेहूं की खरीदी कर दी गई 5 मई को ही बंद
अब किसान मजबूरी में बेच रहे 2300 और 2400 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं
गांव में सक्रिय हैं लोकल व्यापारी, मजबूर किसान उनकी शरण में

अनिल त्रिपाठी, रीवा

जब से प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी खरीदी का उपार्जन शुरू किया गया है तब से ऐसा पहली बार हुआ है जब 5 मई को ही खरीदी बंद करा दी गई। खेतों की कटाई और गहाइ से जब तक किसान फुर्सत हुआ तब तक सरकारी खरीदी केदो में खरीदी ही बंद कर दी गई। अब किसान अपना खाद्यान्न औने पौने दामों में बेचने को मजबूर है।
यह सर्व विदित है कि विंध्य क्षेत्र में गेहूं की बुवाई दिसंबर के अंतिम दिनों तक चलती रहती है। निश्चित तौर पर इसके परिणाम स्वरूप गेहूं की फसल 4 महीने में तैयार होती है और अप्रैल के अंत तक कटाई हो पाती है। फिर प्रक्रिया के अंतिम चरण में गहाई मैं भी हफ्ते 10 दिन का टाइम लग जाता है। इस साल किस थोड़ा सा खुश था क्योंकि उसे मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 2600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिलने वाला था।
उधर मध्य प्रदेश सरकार ने 15 मार्च से ही खरीदी का ऐलान कर दिया और 5 मई को बंद करने की घोषणा कर दी थी। क्योंकि मालवा इलाके के हिसाब से यह तारीख तो सही थी लेकिन विंध्य के हिसाब से कम से कम 20 दिन का मौका किसानों को गेहूं बेचने के लिए दिया जाना चाहिए था। अगर पिछले रिकॉर्ड देखे जाए तो स्पष्ट होता है कि कभी भी 25 मई के पहले गेहूं की खरीददारी बंद नहीं हुई। लेकिन प्रदेश की मोहन सरकार ने इस बार जहां पहले किसानों का मन मोहा, वहीं दूसरी ओर अंतिम क्षणों में किसानों के दिल को झकझोर कर रख दिया।
रीवा जिले के विभिन्न गांवो में किसान बेचैन है कि अब वह घर में पड़े इस गेहूं का क्या करें। सरकार से 2600 मिलने वाले थे, लेकिन खरीदी बंद हो गई। उधर गांव में आने वाला लोकल व्यापारी गेहूं को देखकर कहीं 2300 रुपए तो कहीं पर 2400 रुपए प्रति क्विंटल लेने की बात कह रहा है। जिन किसानों के घर में गेहूं रखने की जगह है वह तो एक-दो महीने बाद ही बेचने का मूड बना रहे हैं लेकिन जिनके घरों में जगह नहीं है वह अब किसी प्रकार इसी भाव में देने को तैयार हो रहे हैं।

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