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मामला राज्य वन विकास निगम रीवा सीधी परियोजना का कटने के बाद गायब हो गई 24 घन मीटर लकड़ी…!

मामला सीधी के गांधीग्राम का, कटाई हुई 27 घन मीटर यूकेलिप्टिस की, जमा हुई केवल तीन घन मीटर
पिछले 4 महीने से चल रही मामले की जांच की लीपा पोती किए जाने के प्रयास हुए तेज
3 रेंज के प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी पर लगे हैं गंभीर आरोप

अनिल त्रिपाठी , रीवा

जंगल ठूंठ होते जा रहे हैं, हर साल वन विभाग और राज्य वन विकास निगम लाखों पर लगवाता है, लेकिन उसे पर्यावरण को ज्यादा फायदा इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि जब वह बड़े हो जाते हैं तो इलाके में तैनात रहने वाला मैदानी अमला खुद उन्हें चट कर जाता है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें सरकारी तौर पर सीधी जिला के गांधीग्राम में यूकेलिप्टस के पेड़ों की कटाई होनी थी, पेड़ तो कट गए लेकिन 90 फ़ीसदी पेड़ कट जाने के बाद गायब हो गए। अब 4 महीने से विभाग इसकी जांच कर रहा है। अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है। लगातार खिंचती चली जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जब पेड़ सूख जाते हैं तो विभाग उन्हें सुरक्षित करने और राजस्व आय के उद्देश्य से कटवा कर बेचता है। सीधी जिले के गांधी ग्राम चढ़ाई इलाके में ऐसे ही यूके लिप्टस के पेड़ सूख से गए थे। विभाग ने यह माना था कि इन पेड़ों को कटवा कर चे के रूप में लगवा कर नीलामी कराई जाएगी और जो राजस्व आय की प्राप्ति होगी वह सरकार के खाते में जमा करवाई जाएगी। इस चे की नीलामी 30 दिसंबर को होनी थी। इसके पहले फेस वन अंतर्गत तैनात प्रभारी रेंजर शिवकुमार पटेल ने 27 घन मीटर यूकेलिप्टस के पेड़ कटवाने शुरू किये, कटाई पूरी हो गई लेकिन जब टिकरी डिपो में लकड़ी की माप की गई तो वह केवल तीन घन मीटर ही निकली। प्रभारी रेंजर शिवकुमार पटेल ने यहां पर जल्दबाजी भी दिखाई थी और फटाफट नीलामी कराने में महती भूमिका अदा की। जब मामले की पोल खुली और विभाग द्वारा उक्त संबंध में जानकारी मांगी गई तो संबंधित प्रभारी रेंजर द्वारा अनमोल जवाब दिया गया। प्रभारी रेंजर की माने तो लकड़ी की चोरी हो गई। अब सवाल यह उठता है कि अगर एक ट्रक लकड़ी की चोरी हो गई तो क्या उसकी एफआईआर दर्ज नहीं कराया जाना था। दूसरा सवाल यह उठता है कि अगर रेंजर द्वारा लकड़ी के साथ खयानत की गई है तो संबंधित के खिलाफ तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए थी। लेकिन विभागीय जांच के नाम पर पिछले चार महीने से फाइल घूम रही है। इससे भी कई संदेह के सवाल अपने आप ही उठ खड़े होते हैं।
गौरतलब है कि प्रभारी रेंजर शिवकुमार पटेल पर और भी कई भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। सीधी फेस वन में रूट सूट का कार्य कराया गया था इसमें सूत्रों ने बताया है कि कई कार्य तो कराई ही नहीं गए केवल उनका भुगतान निकाल लिया गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्री पटेल जन्म तिथि और नियुक्ति दिनांक के मामले में भी विभागीय तौर पर चर्चाओं में है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि एक वन परिक्षेत्र अधिकारी इतनी लंबी मनमानी अकेले अपने दम पर कैसे कर सकता है, सूत्रों का कहना है कि इस मामले में ऊपर तक के अधिकारियों की संलिप्तता है। अन्यथा अभी तक सारे मामलों की जांच हो चुकी होती।
इनका कहना है…
मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम रीवा सीधी परियोजना मंडल सीधी के मंडल प्रबंधक राकेश कोड़ापे से जब उक्त मामले के संबंध में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि मामला संज्ञान में है, मामले की जांच जारी है। अगर गड़बड़ हुई है तो संबंधित से वसूली की जाएगी। उन्होंने धीरे से यह भी स्वीकार की इस मामले में तो कार्यवाही होनी ही होगी।

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