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एक बार यम की मौत क्यों हुई ?

एक बार यम की मौत क्यों हुई ?
🌺अद्भुत कथा / शिव महिमा 🌺
( कथा ब्रह्म पुराण से पृष्ठ 174 गीताप्रेस गोरखपुर)


हे शिव जी ! हे दयासागर! इन यमदेव को क्यों मार दिया
इन पर दया करके कृपया इनको जीवित करें आप तो मृत्युंजय हैं । आपके भय से मृत्यु भी भयभीत रहती है आपके कोप से मृत्यु की भी मृत्यु हो सकती है। हे आशुतोष श्री नीलकंठ! ये सूर्य के पुत्र हैं जो समस्त देहधारियांका नियन्त्रण करते हैं। इन्हें धर्म और अधर्मकी व्यवस्थामें नियुक्त किया गया है। ये लोकपाल हैं। अपराधी और पापी नहीं हैं। अतः इनका वध नहीं होना चाहिये। इनके बिना ब्रह्माजीका कोई कार्य नहीं चल सकता। इसलिये सेना और वाहनोंसहित यमराजको जीवित कर दीजिये। नाथ ! महात्माओंके सामने की हुई प्रार्थना सफल ही होती है। वह कभी व्यर्थ नहीं जाती।

भगवान् शिव बोले- “देवताओ ! मेरी बात सुनो-
जो मेरे तथा भगवान् विष्णुके भक्त हैं, गौतमी गङ्गाका निरन्तर सेवन करनेवाले हैं, उनके स्वामी हमलोग स्वयं ही हैं न कि यम। हम तीनों के भक्तों की मृत्यु या रोग शोक देने का अधिकार मात्र हमारा ही है हम चाहें इनको ब्रह्मा बना दें चाहें इनके पापों को देखकर रोगी या दरिद्र। पर यह मात्र हमारा ही कार्य है । मेरे भक्तों , हरि के भक्तों अथवा शक्ति के पराभक्ति प्राप्त भक्तों को ये यम कभी भी कोप दृष्टि से न देखें न ही दण्ड दे , उनकी मृत्यु या काल आये तो भी वे यम अपने किंकरों को न भेजें। भक्त पर मात्र उनके स्वामी ( शिव , शक्ति , हरि आदि ) का अधिकार है न कि आपके तुच्छ किंकरों का। मैं इनको जीवित अवश्य कर दूँगा पर वे पुनः न माने तो ये
ये यम अपने पद से ही हाथ धो बैठेंगे।
मृत्युका मेरे भक्तों के ऊपर कोई अधिकार नहीं है। यमराजको तो कभी उनकी बाततक नहीं चलानी चाहिये। व्याधि-आधिके द्वारा उनका पराभव करना कदापि उचित नहीं है। जो मेरी शरणमें आ जाते हैं, वे तत्काल मुक्त हो जाते हैं। यमराजको तो चाहिये अपने अनुचरोंसहित उन्हें प्रणाम करे।”
सुनकर…..
‘बहुत अच्छा’ कहकर देवताओंने भगवान् शिवकी बातका अनुमोदन किया। तब भगवान् शिवने अपने वाहन नन्दीसे कहा- ‘तुम गौतमीका जल लेकर मरे हुए यमराज आदिके शरीरपर छिड़क दो।’ आज्ञा पाकर नन्दीने यम आदि सब लोगोंपर गोदावरीका जल छिड़का। इससे वे जीवित होकर उठ बैठे और दक्षिण दिशाकी ओर चले गये।

©शिवेंद्र तिवारी 9179259806

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