
रीवा: सेमरिया का बाज़ार एक बार फिर चोरी की वारदात से सहम गया है। दिनदहाड़े, लगभग दोपहर 12 बजे, स्थानीय दुकानदार की दुकान से सोने का लॉकेट और ज़ेवरात लूटकर चोर फरार हो गया। यह घटना न केवल व्यापारियों के लिए एक झटका है, बल्कि पुलिस व्यवस्था की पोल खोलती है। क्या सेमरिया धीरे-धीरे अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है? क्या पुलिस की गश्त और नाकाबंदियाँ महज दिखावे की चौकसी हैं? यह पहली बार नहीं है जब सेमरिया में ऐसी घटना हुई है। पूर्व में भी चोरी और लूटपाट के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई अब तक धरातल पर नगण्य ही दिखाई देती है। अपराधियों का बढ़ता दुस्साहस इस ओर इशारा करता है कि उन पर कानून का कोई भय नहीं रह गया है। क्या थाना प्रभारी श्रृंगेश सिंह राजपूत की मौजूदगी भी अपराधियों को रोकने में अक्षम साबित हो रही है?
इस घटना के बाद स्थानीय व्यापारी आक्रोशित हैं। उनका मानना है कि यदि दिन के उजाले में ऐसी वारदातें हो रही हैं, तो रात के समय सुरक्षा की क्या गारंटी है? पुलिस का यह कहना कि जल्द ही कार्रवाई होगी यह अब एक पुराना रटा-रटाया बयान लगने लगा है। क्या यह ज़रूरी नहीं कि ऐसे मामलों में त्वरित और ठोस कदम उठाए जाएँ, न कि सिर्फ़ आश्वासन दिए जाएँ?
सेमरिया की यह घटना केवल एक चोरी की वारदात नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता का प्रतीक है। यदि अभी भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में अपराधियों का साहस और बढ़ेगा। जनता की सुरक्षा राज्य का प्राथमिक दायित्व है, और यह दायित्व तभी पूरा होगा जब पुलिस भय नहीं, कर्रवाई दिखाएगी।