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आयुर्वेद के अनुसार ‘पान’ कब खाना चाहिए?

©शिवेंद्र तिवारी 9179259806

आयुर्वेद के मुताबिक पान के पत्ते की तासीर गर्म होती है लेकिन इसमें गुलकंद, नारियल और सौंफ के साथ खाया जाए तो यह ठंडक पहुंचाता है।
आयुर्वेद के अनुसार ‘पान’ कब खाना चाहिए?
आयुर्वेद के मुताबिक पान के पत्ते की तासीर गर्म होती है लेकिन इसमें गुलकंद, नारियल और सौंफ के साथ खाया जाए तो यह ठंडक पहुंचाता है।

पान को खाने के बाद खाना चाहिए, ताकि खाना जल्दी पच सके।

मांसाहारी खाना खाने के बाद पान खाना चाहिए ताकि मुंह की दुर्गंध को रोकी जा सके।

सुबह खाली पेट पान के पत्ते चबाने से डायबिटीज़ कंट्रोल में रहने में मदद मिलती है।

तनाव में होने पर सादा या मीठा पान खाया जा सकता है। आजकल तम्बाकू या जर्दा डाल कर पान खाने का प्रचलन बढ़ा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

कब्ज़ से राहत पाने के लिए पान के पत्तों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पीना चाहिए।

सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है।

पान को खाने के बाद खाना चाहिए, ताकि खाना जल्दी पच सके।

मांसाहारी खाना खाने के बाद पान खाना चाहिए ताकि मुंह की दुर्गंध को रोकी जा सके।

सुबह खाली पेट पान के पत्ते चबाने से डायबिटीज़ कंट्रोल में रहने में मदद मिलती है।

तनाव में होने पर सादा या मीठा पान खाया जा सकता है। आजकल तम्बाकू या जर्दा डाल कर पान खाने का प्रचलन बढ़ा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

कब्ज़ से राहत पाने के लिए पान के पत्तों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पीना चाहिए।

सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है।

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