मामला सिरमौर के उमरी मोड़ का, फिलहाल दुकान हुई बंद
पुलिस पहुंची, मामले से अवगत कराया प्रशासन को
जिले में संचालित कई दुकानों का लगातार किया जा रहा
विशेष संवाददाता,रीवा
बीते 1 अप्रैल से शुरू हुए नए शराब के ठेके कई जगह प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं। आज फिर एक ऐसी ही विवादास्पद स्थिति सिरमौर थाना अंतर्गत उमरी मोड़ के सामने उत्पन्न हो गई जहां पर गांव की पहुंची महिलाओं ने शराब दुकान का शटर ही गिरा दिया। बाद में पुलिस भी पहुंची लेकिन आधा सैकड़ा से ज्यादा मौजूद महिलाओं के आगे वह भी बेबस थी।
घटना के संबंध में बताया गया है कि सिरमौर के पास उमरी मोड़ मैं कंपोजिट शराब की दुकान का नया ठेका शुरू हुआ है। यहां पर बस्ती स्थापित है तथा यह दुकान भी बस्ती से लगी हुई है। यहां पर आदिवासी समाज के लोग ज्यादा रहते हैं। महिलाओं का कहना था कि शराब की दुकान खोले जाने के जहां क्षेत्र के युवा नशे के शौकीन होंगे वहीं दूसरी ओर अपराधिक गतिविधियां भी बढ़ेगी। यह भी कहा गया कि अधिकांश लोग कमाने खाने के उद्देश्य से बाहर रहते हैं यहां पर केवल महिलाएं रहती हैं जिससे वह असुरक्षित रहेगी। वहीं स्थानीय जनों ने भी कहा है कि वह शराब की दुकान का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन जहां पर स्थापित की गई है वह जगह गलत है। दोपहर लगभग 12:00 बजे के आसपास पहुंची महिलाओं ने पहले शराब की दुकान में कार्यरत कर्मचारियों से कहा कि वह बाहर हो जाए लेकिन जब वह नहीं माने तो महिलाओं ने जबरदस्ती ही उनकी दुकान का शटर गिरा दिया और दुकान के सामने ही बैठ गई। घटना की जानकारी मिलने के आधे घंटे बाद स्थानीय पुलिस पहुंची और उसने महिलाओं तथा मौजूद लोगों को समझाइस देने का प्रयास किया लेकिन उत्तेजित लोगों का कहना था कि इस संबंध में वह प्रशासन को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं और जुबानी तौर पर अवगत भी कर चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई , इसके बाद अब आंदोलन धरना के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया है कि यहां पर शराब की दुकान अब नहीं चलने दी जाएगी। उधर पुलिस प्रशासन ने मामले से जिला प्रशासन और आबकारी विभाग को अवगत कराया है।
नियम का पालन होता नहीं, फिर शुरू होती है झंझट
आबकारी नीति में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि शराब की दुकान बीच बस्ती में नहीं होगी इसके अलावा मुख्य मार्ग से 500 मी अंदर स्थापित कराई जाएगी जहां पर लोगों की बसाहट नहीं होगी। लेकिन इस नियम का कहीं पर पालन नहीं होता। जिसकी वजह से हर जगह विवाद की स्थितियां उत्पन्न हो रही है। दुकान खोलने के पूर्व प्रशासन द्वारा यह जांच नहीं की जाति की दुकान की स्थापना कहां पर होने वाली है जब दुकान का संचालन शुरू हो जाता है, तब इस तरह आंदोलन प्रदर्शन की स्थितियां उत्पन्न होती है जिससे ठेकेदार का भी नुकसान होता है, वहीं दूसरी और प्रशासन को भी बेवजह मशक्कत का सामना करना पड़ता है।
लगातार हो रहे आंदोलन
उल्लेखनीय है कि शराब दुकानों की गलत स्थापना को लेकर जगह-जगह विरोधी की स्थितियां उत्पन्न हो रही है। रीवा शहर के झिरिया, करहिया और समान थाना क्षेत्र की दुकान का विरोध लगातार हो रहा है इसी प्रकार मऊगंज की दुकानों का भी लोग लगातार जमकर विरोध कर रहे हैं। अब वह सिरमौर क्षेत्र के उमरी गांव की इस दुकान का लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। वहीं सूत्रों नहीं है अभी बताया है की दुकान की स्थापना जहां पर हो चुकी है , शराब की दुकान वहीं पर रहेगी, आंदोलन प्रदर्शन धरना के बारे में प्रशासन यह मान रहा है कि वह कुछ घंटे या चंद दिनों की बात रहती है समझाइस इसके बाद सभी के समझ में आ जाता है।
अभी से शुरू हो गई गांव-गांव पैकारी
नए शराब ठेके की दुकान स्थापित होने के बाद अब पैकारी के लिए भी क्षेत्रीय ठेकेदार तेजी से सक्रिय हो चुके हैं। गांव गांव में इनका नेटवर्क इतना तेजी से फैल चुका है कि लोग शराब की अवैध बिक्री देखकर दंग रह जाते हैं। अकेले सिरमौर इलाके में ऐसा कोई गांव नहीं होगा जहां पर हर गांव में एक शराब ठेका अलग से न संचालित होता हो। गांव के लोग दुकानों में जाने की वजह 10 रुपए ज्यादा देकर यहीं पर शराब खरीदते हैं और पीने के बाद गांव में उत्पात भी मचाते हैं। हर गांव के शराब के अवैध ठेके की जानकारी पुलिस को भी रहती है लेकिन सिस्टम के साथ उनके द्वारा गांव की पैकारी नहीं रोकी जाती है। कार्यवाही के नाम पर छोटी-मोटी कार्रवाई कर पुलिस अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेती है।