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आम जनता को कानून का पाठ, वीआईपी को विशेष छूट

रीवा में हूटरबाजी पर नवागत आईजी, डीआईजी लगा पायेंगे रोक ?
क्या सफेदपोश नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों के आगे नियम बेबस हैं ?
माननीयों का हूटर प्रेम, पुलिस मुख्यालय का आदेश बेअसर

विशेष संवाददाता, रीवा

विंध्य के जिलो में हूटर बजाने की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारीयो सहित उनके रिश्तेदार और करीबी भी हूटर के शोर में अपनी ताकत दिखाने से पीछे नहीं हट रहे। भोपाल पुलिस मुख्यालय से स्पष्ट आदेश जारी हो चुके हैं कि हूटर का उपयोग गाडिय़ों में नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके, रीवा में नेताजी और प्रशासनिक अधिकारीयो एवं उनके करीबियों की गाडिय़ों पर हूटर बज रहे हैं, और पुलिस प्रशासन मौन बना देख रहा है। पुलिस प्रशासन के लिए यह आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित होकर रह गया है। 15 मार्च तक चले विशेष अभियान में सोशल मीडिया में यातायात प्रभारी ने अपनी वाहवाही तो जरूर लूटी लेकिन माननीयों के हुटर गाडिय़ों को नजर अंदाज कर दिया ! न कोई कार्रवाई हुई , न ही नियमों का पालन कराया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि यातायात पुलिस शहर में सडक़ों पर दौड़ते इन हूटरबाज वाहनों पर लगाम कब लगाएगी?
सच्चाई यह है कि विंध्य के सभी जिला सहित रीवा में जितने भी नेता और प्रशासनिक अधिकारीयो एवं रिटायर्ड अधिकारी सहित उनके करीबी हैं, उनके वाहनों में हूटर लगे होते हैं, जिनमें वे बिना किसी रोकटोक के घूमते नजर आते हैं। आम जनता के लिए बनाए गए नियम-कानून क्या इन सब पर लागू नहीं होते? आखिर प्रशासन इनकी गाडिय़ों से अवैध हूटर कब हटवाएगा?अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता है या फिर माननीयों की मनमानी इसी तरह जारी रहेगी।
जिम्मेदारों के सामने हो रहा सब कुछ, लेकिन बने धृतराष्ट्र
रीवा में प्रशासनिक एवं नेताओं एवं उनके करीबियों की गाडिय़ों में हुटर लगे हुए हैं ।रीवा में उनकी गाडिय़ां धमा चौकड़ी मचाते हुए प्रतिदिन निकलती है यहां तक कि कलेक्टर कार्यालय में ऐसी सैकड़ो गाडिय़ां आती जाती है जिनमें अवैध रूप से हूटर लगे हुए है यहां तक कि जब कोई बड़ा नेता या प्रशासनिक बैठक आयोजित होती है तो सैकड़ो की तादाद में विभिन्न ओहेदेदर पदो के नाम की पट्टी एवं हुटर लगी गाडिय़ां रहती है जिसकी अगुवाई स्वयं यातायात प्रभारी करते हैं! लेकिन कार्यवाही करने एवं अपनी कुर्सी को बचने के लिए धृतराष्ट्र बने रहते हैं ।

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