नगर प्रतिनिधि, रीवा
जिले में शिक्षा विभाग के एक सहायक शिक्षक अपने ही विभाग के लिए चुनौती बन गए हैं। पिछले 10 वर्षों से स्कूल नहीं आने वाले इस शिक्षक को लेकर अब जिला शिक्षा अधिकारी ने भी हार मान ली है। मामला जिले के कुम्हरा (जुड़वानी) गांव का है, जहां शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। परिजनों का आरोप है कि सहायक शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण उनके बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है।
स्कूल में शिक्षक की जगह अतिथि शिक्षक कुम्हरा गांव की आबादी करीब एक हजार है। यहां का शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कक्षा आठवीं तक के 120 छात्रों को शिक्षा देता है। इनमें से 115 छात्र कोल आदिवासी समुदाय से हैं। विद्यालय में प्राथमिक कक्षाओं की जिम्मेदारी संभालने वाले सहायक शिक्षक सरदार प्रसाद पांडेय पिछले 10 साल से स्कूल से गायब हैं। वह सिरमौर एसडीएम कार्यालय में निर्वाचन प्रभारी के तौर पर अटैच हैं। उनकी जगह प्रशिक्षणहीन अतिथि शिक्षक स्कूल संभाल रहे हैं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
एसडीएम कार्यालय का अटैचमेंट आदेश
परिजनों का कहना है कि पांडेय को वापस स्कूल भेजने की मांग को लेकर सेमरिया संकुल प्रभारी महेश साकेत ने कुछ महीने पहले एसडीएम कार्यालय को पत्र लिखा था। लेकिन जवाब में उनकी मांग को दरकिनार करते हुए 22 अगस्त 2024 को पांडेय के परमानेंट अटैचमेंट का नया आदेश जारी कर दिया। सिरमौर एसडीएम आरके सिन्हा इस मुद्दे पर बात करने से कतराते दिखे।
जिला शिक्षा अधिकारी की मजबूरी
जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने कहा कि “एसडीएम जैसे जिम्मेदार अधिकारी जब शिक्षकों को अटैच कर रहे हैं, तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं। उनका कहना है कि विभाग के प्रयासों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल रहा। पालक कम पढ़े-लिखे होने के कारण विरोध नहीं कर पा रहे, जिसका फायदा उठाकर शिक्षक अपनी सुविधानुसार नौकरी कर रहे हैं। मामला संज्ञान में आने पर स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय गोयल ने कहा कि आपने प्रकरण उठाया है। मुझे जानकारी भेजें, मैं इसे दिखवाता हूं।
अब देखना होगा कि क्या इस मामले में कोई कार्रवाई होती है या बच्चों का भविष्य यू ही अधर में लटका रहेगा।