विशेष संवाददाता, रीवा
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये कराये गये शराब दुकानों की टेंडर प्रक्रिया में आबकारी विभाग के अधिकारियों की धांधली सामने आने लगी है। बताया गया है कि सिरमौर दुकान के ठेकेदार ने समय सीमा में लाइसेंस फीस नहीं जमा की है। जिससे उक्त समूह का टेंडर नियमानुसार निरस्त होना चाहिये। लेकिन सहायक आबकारी आयुक्त ने समय बीतने के बाद गुपचुप तरीके से लाइसेंस फीस को जमा करा लिया है। लिहाजा मामला सामने आने के बाद कलेक्टर से शिकायत की गई है। कहा गया है कि यदि उक्त मामले में कार्रवाई करते हुये टेंडर निरस्त नहीं किया जाता तो उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
शिकायत करते हुये अधिवक्ता बीके माला ने बताया कि सिरमौर समूह की कम्पोजिट शराब दुकान में 8 मार्च को टेंडर की प्रक्रिया के माध्यम से माँ भगतवी ट्रेडर्स को टेंडर प्रदान किया गया था। सहायक आबकारी आयुक्त रीवा के द्वारा इन्हें पत्राचार के माध्यम से सूचित किया गया था कि दिनांक 13 मार्च तक लायसेंस फीस जमा करना है। लेकिन संविदाकार के द्वारा दिनांक 17 मार्च को शेष लायसेंस फीस जमा की गई है, जो कि आबकारी के राजपत्र क्रमांक. 11.6 और 11.7 के अनुसार लायसेंस निरस्त माना जाएगा और धरोहर राशि जप्त की जाएगी। जबकि आबकारी विभाग रीवा के द्वारा ऐसी कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है।
अधिवक्ता बीके माला का आरोप है कि लगातार आबकारी विभाग द्वारा नियमों को ताक में रखकर अपने निजी स्वार्थ व दबाब में शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इन्हीं अधिकारियों के द्वारा फर्जी बैंक गारंटी मामले को भी दबाया गया था। जिसकी जांच अभी भी चल रही है। उच्च न्यायालय ने मामले को संज्ञान में लेते हुये ईओडब्ल्यू को 6 सप्ताह में जांच पूरी कर प्रतिवेदन सौंपने को कहा है। लेकिन इसके बाद भी स्थानीय अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ाने में मसगूल हैं।
आबकारी विभाग के राजपत्र में यह है नियम
शराब दुकानों के टेंडर प्रक्रिया पर आबकारी विभाग ने राजपत्र जारी किया था, जिसमें नीलामी संबंधी नियमावली है। नियम के अनुसार कंडिका 9.6 में नवीनीकरण के माध्यम से निष्पादन की तिथि में सफल आवेदक चयनित लॉटरीदाता को वार्षिक लाईसेंस फीस की शेष राशि निष्पादन के तिथित से 3 दिवस के ई-आबकारी पोर्टल पर ऑन लाइन जमा करनी होगी। 3 दिवस की गणना में निष्पादन कार्रवाही का दिन एवं अवकाश के दिन को गणना में नहीं लिया जायेगा। इसी प्रकार राजपत्र के कंडिका 9.9 में टेंडर के माध्यम से मदिरा दुकानो को निष्पादन की स्थिति में, वार्षिक लाईसेंस फीस की शेष राशि कंडिका 9.8 में वर्णित अवधि में जमा न किये जाने पर ऑफर निरस्त किया जाकर उसकी धरोहर राशि जप्त की जायेगी और ऐसी स्थिति में मदिरा दुकान के एकल समूह पुननिष्पादन पर रखे जायेंगे।
चर्चा का विषय बन गया पत्र
समय सीमा पर लाईसेंस फीस जमा न हो पाने पर जिला आबकारी कार्यालय से एक पत्र जारी हुआ जो चर्चा का विषय बन गया है। बताया जाता है कि जारी पत्र में मां भगवती ट्रेडर्स को लाईसेंस फीस जमा किये जाने की नोटिस जारी हुई जिसमें बकायदा आबकारी अधिकारी के हस्ताक्षर तो है पर मजे की बात तो यह है कि उक्त पत्र में जारी दिनांक का उल्लेख ही नहीं है। जिससे यह विदित होता है कि जिला आबकारी अधिकारी ने अपनी कुर्सी बचा कर मां भगवती ट्रेडर्स को लाभ दिलाने और घात लगाकर बैठे शराब कारोबारियो को गुमराह करने का प्रयास किया है। लेकिन उक्त पत्र इन दिनो सोशल मीडिया में जबरदस्त वायरल हो रहा है।