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पावर जनरेटिंग कम्पनी में 18.74 लाख का घोटाला, भ्रष्टाचारियों पर गिरेगी गाज तीन गुना मंहगी बैट्री खरीदी, अफसर सहित 5 पर एफआईआर

मुख्य अभियंता द्वारा 110 बैट्रियों की निविदा की गई थी आमंत्रित, निष्पक्षता और पारदर्शिता का नहीं किया गया पालन
7325 प्रति नग बैट्री की है वास्तविक कीमत, खरीदी में कीमत बताई गई 24715 रूपये
अधिकारियों के विरूद्ध धोखाधड़ी सहित कई अपराध हुए पंजीबद्ध

नगर प्रतिनिधि, रीवा

जनहित की निधियों पर गिद्ध दृष्टि जमाए भ्रष्ट तंत्र के काले कारनामों पर आखिरकार न्याय का सूर्य उदित हुआ। वर्षों से सत्य की लौ को कुंठित कर कर्तव्यपथ से भटके भ्रष्ट अधिकारियों पर ईओडब्ल्यू ने अपनी कठोर दृष्टि डालते हुए भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया है। रीवा स्थित टोन्स जल विद्युत परियोजना में हुए बैटरी खरीदी घोटाले ने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है। यह घोटाला केवल एक आर्थिक अपराध भर नहीं, अपितु एक ऐसी वीभत्स साजिश है, जिसने जनहित की निधियों को छलपूर्वक लूटा।
अधिकारियों की काली करतूत उजागर!
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के मुख्य अभियंता कार्यालय द्वारा 110 बैटरियों की खरीदी हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी, किंतु निष्पक्षता और पारदर्शिता को ताक पर रखकर, नियमानुसार प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। एकल निविदा मिलने के बावजूद उसे स्वीकृत किया गया, जिससे भ्रष्टाचार की कालिमा स्पष्ट हो गई। इस षड्यंत्र के केंद्र में मेसर्स अशोक इलेक्ट्रिकल्स एवं हार्डवेयर, कोरबा छत्तीसगढ़ का नाम सामने आया है, जिसे अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए योजनाबद्ध षड्यंत्र रचा गया। भ्रष्टाचार की गहराई तब उजागर हुई जब यह पता चला कि एक्साइड ब्रांड की बैटरियों को बाज़ार दर से तीन गुना अधिक मूल्य पर खरीदा गया। इस कपटपूर्ण लेन-देन के माध्यम से 18 लाख 74 हजार 495 रुपये का गबन किया गया।
षड्यंत्रकारी अधिकारी बेनकाब
इस काले खेल में संलिप्त जिन अधिकारियों पर भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, वे इस प्रकार हैं—
तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य अभियंता – जवाहर लाल दीक्षित सिरमौर, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता – इन्द्रिय दमन कौशिक, सहायक यंत्री – नितिन मिश्रा, गौरव मोदी प्रोपराइटर, अशोक इलेक्ट्रिकल्स। इन अधिकारियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420 धोखाधड़ी, 409 विश्वास का आपराधिक हनन, 120बी षड्यंत्र सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित 2018 की धारा 13(1) ए एवं 13(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
न्याय की चौखट पर खड़े दोषी
धनलोलुपता की अंधी दौड़ में, जनहित को ताक पर रखने वाले ये अधिकारी अब कानूनी कठघरे में खड़े होने को विवश हैं। ईओडब्ल्यू की इस त्वरित कार्रवाई ने उन तमाम भ्रष्टाचारियों के लिए एक कठोर संदेश प्रेषित किया है जो जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी ऐयाशी का साधन समझते हैं। रीवा में गूंज रही यह कार्रवाई उन समस्त भ्रष्टाचारियों के लिए एक चेतावनी है, जो प्रशासन की आड़ में काले धंधों को बढ़ावा देते हैं। अब न केवल सत्य की विजय होगी, बल्कि उन प्रत्येक हाथों को बेनकाब किया जाएगा, जो जनता के अधिकारों पर डाका डालने की जुर्रत करते हैं। ईओडब्ल्यू एसपी अरविंद सिंह राठौर ने स्पष्ट किया कि यह मामला भ्रष्टाचार की जड़ें हिलाने का एक बड़ा कदम है और इस घोटाले की पूरी तह तक जाकर दोषियों को कठोरतम दंड दिलाया जाएगा। अब देखना यह होगा कि कानूनी प्रक्रिया कितनी तेजी से इन दोषियों को न्याय की सजा तक पहुंचाती है, परंतु एक बात तय है- अंधकार कितना भी घना क्यों न हो, सत्य का सूर्य उसे चीरकर अपनी स्वर्णिम आभा अवश्य बिखेरेगा!
ईओडब्ल्यू की जांच से चौंकाने वाले तथ्य उजागर
ईओडब्ल्यू की गहन छानबीन में यह तथ्य सामने आया कि एक्साइड इंडस्ट्रीज के जोनल मैनेजर के अनुसार, इन बैटरियों की वास्तविक कीमत मात्र ?7,325 प्रति नग थी। किंतु भ्रष्ट अधिकारियों ने जनता के धन पर गिद्ध दृष्टि डालते हुए इन्हें ?24,415 प्रति नग की अत्यधिक कीमत पर खरीदा। यह महज एक वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का खुला उल्लंघन था।

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