Headlines

मृतक के परिजनों का आरोप : प्रशासन से अगर मिली होती सुरक्षा तो मेरे पिता जी का नहीं होता कत्ल, आरोपियों के दहशत में पूरा गांव, परीक्षा देने नहीं निकले बच्चे

नगर प्रतिनिधि, रीवा

घर में दो लोगों की हत्या हो चुकी है। बच्चों ने सालभर स्कूल जाकर पढ़ाई की। अब वार्षिक परीक्षा के समय ऐसा हो गया कि डर के मारे वे एग्जाम देने नहीं जा पाए। डर इस बात का है कि रास्ते में उनके साथ भी कहीं कोई वारदात न हो जाए। रातभर नींद नहीं आती। पूरा परिवार डर के साए में जी रहा है। खेत में पानी लगाने गए मेरे पिता को सिर से लेकर पैर तक चाकुओं से गोद डाला…. इसलिए अब खेत जाना भी बंद कर दिया है। बिना पानी के खेती सूखती जा रही है, पर उस ओर कदम बढ़ाने की अब हिम्मत नहीं हो रही है। एक तरफ अपनों को खोने का गम और दूसरी तरफ डर… जिंदगी नर्क हो गई है। ” यह दर्द है, उस परिवार का जिसके घर दो हत्याएं हो चुकी हैं।
बहू के मर्डर का मुख्य गवाह था ससुर
मनगवां थाना क्षेत्र के रघुनाथगंज चौकी के मनिकवार नंबर- 2 गांव में एक साल पहले सहसकली की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में ससुर हीरामणि वर्मा (58) मुख्य गवाह थे। आरोपी ससुर पर केस वापस लेने के लिए प्रेशर बना रहे थे। उन्होंने परिवार को जान से खत्म करने की धमकी भी दी थी, हालांकि ससुर ने केस वापस लेने से मना कर दिया था। 19 फरवरी 25 को पेशी होनी थी, लेकिन तारीख आगे बढक़र 6 मार्च हो गई। 19 फरवरी को ही आरोपियों ने फिर से केस वापस लेने के लिए धमकाया, 7 दिनों में अंजाम भुगतने को तैयार रहने को कहा। 7 दिनों के भीतर ही आरोपियों ने फसल को पानी देने खेत पहुंचे हीरामणि को चाकू से गोद दिया। सिर से लेकर पैर तक 50 से ज्यादा वार कर निर्मम हत्या कर दी। हत्याकांड के बाद पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया है, लेकिन आरोपी फरार हैं।
कहासुनी को वर्चस्व की लड़ाई मानकर दो हत्या कर दी
पीडि़त प्रकाश मणि वर्मा कहते हैं, 2022 बीत ही रहा था। नया साल आने वाला था। गांव के ही की कुछ वर्चस्वशाली लोग लगातार हमें दबाने की कोशिश करने लगे। वो ऊंची जाति के थे और हम पिछड़े समाज से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन समय ने धीरे-धीरे हमें भी मुख्य धारा में जोड़ दिया। हालांकि हम अभी भी कच्चे मकान में रहते हैं। लेकिन मेरे पिता प्रकाश मणि वर्मा एक स्वाभिमानी इंसान थे। जो अक्सर हमारे समाज और अन्य पिछड़े लोगों की आवाज उठाते थे। गांव में आज भी निकलने के लिए ढंग का रास्ता नहीं है। आधी दूर तक पीसीसी सडक़ है, लेकिन उसके बाद खेत की पगडंडियों से होकर आना पड़ता है। मेरे पिता अक्सर इन्हीं सब बातों पर खुलकर बोलते थे और लोगों की पीड़ा सुनकर वर्चस्व वाले लोगों की परवाह किए बिना विरोध भी जता देते थे। कई बार आरोपियों ने धमकाया था कि अगर जुबान पर लगाम नहीं लगाई तो बोलती हमेशा के लिए बंद कर दी जाएगी। कहते थे, अपनी औकात से ज्यादा उडऩे की कोशिश मत करो। एक दो बार हल्की कहासुनी भी हो गई थी, जिसे उन्होंने अपना अपमान समझा।
आरोपियों ने घर में घुसकर मुझे और पत्नी को चाकू मारे
10 दिसंबर 2022 को गांव के ही रहने वाले जयप्रकाश दुबे, किशन दुबे, संजीव दुबे और विजय दुबे चाकू लेकर हमारे घर पहुंचे। चाकू के अलावा उनके हाथों में लाठी डंडे भी थे। उन्होंने मेरे पेट में धारदार चाकू घोंप दिया। अंदर से मेरी पत्नी सहसकली भागती हुई आई। उसने आवाज दी तो चाचा प्रकाश भी भागकर पहुंचे। पत्नी ने आरोपियों के पैर पकड़ लिए, लेकिन जयप्रकाश और किशन ने उनके बाल पकडक़र उसे ऊपर उठाया और उसके पेट में चाकू डालकर घुमा दिया। धारदार और लंबा चाकू बच्चेदानी तक पहुंच गया। डॉक्टर्स ने अस्पताल ले जाने पर पहले ही बता दिया कि अब बचने की संभावना नहीं है। चाकू ने बच्चेदानी में घाव कर दिया है। अंत में 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई। आरोपियों ने चाचा पवन का सिर भी डंडे से मारकर फोड़ दिया। इस दौरान मैं भी लगभग मरणासन्न था। चाकू से मेरे पेट में गहरी चोंट पहुंची थी। किसी तरह ईश्वर की असीम कृपा से मेरी जान बच पाई, लेकिन पत्नी को खो दीया
हत्या से पहले मांगी थी सुरक्षा
पवन कुमार वर्मा का कहना है कि भाई को उन्होंने बेहरमी से मार डाला। पुलिस-प्रशासन मामले को गंभीरता से लेता तो शायद हमारे घर में दूसरी हत्या नहीं होती। हर पेशी के पहले जब धमकी मिलती भाई पुलिस को सूचना देते। वे बताते की आज फिर धमकी मिली है, लेकिन कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया। बहू की हत्या जैसी सनसनीखेज वारदात करने के बाद भी 2 आरोपी जयप्रकाश और किशन एक साल से फरार हैं। पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाई, यदि उन्हें पकड़ लेती तो आज मेरे भाई जिंदा होते।
पुलिस बोली- हम दिलाएंगे कड़ी सजा
एडिशनल एसपी विवेक लाल ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी आरोपियों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी। लोगों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है, जिसके लिए पुलिस सदैव तत्पर रहती है। हालांकि मामला पहले से पंजीबद्ध था। पहली घटना के बाद 5 आरोपी गिरफ्तार हो गए थे। पहली घटना में जयप्रकाश और किशन दो आरोपी फरार थे। जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
ग्रामीण बोले- घर से बाहर निकलने में डर लगता है
ग्रामीण कुसुम वर्मा, संजू केवट और ऋतु वर्मा ने बताया कि गांव में खुलेआम दो लोगों को चाकू से गोदकर मार डाला गया। पूरे गांव में डर का माहौल है। महिलाएं और बच्चे अब घर से निकलने में डरने लगे हैं। पता नहीं कब किसके साथ कौन सी वारदात हो जाए। हम सब दहशत और डर के साए में जी रहे हैं। घर के भीतर ही खुद को ज्यादा सुरक्षित समझ रहे हैं। बाहर निकलने से पहले 100 बार सोचना पड़ता है। मन में बुरे-बुरे ख्याल आते हैं। भला इस तरह से कैसे चल पाएगा। हम चाहते हैं कि हत्याकांड के सभी आरोपियों को पुलिस जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दे, ताकि आरोपी सलाखों के पीछे रहें और गांव में लोग चैन की सांस ले पाएं।
डर के मारे बच्चे वार्षिक परीक्षा देने नहीं जा पाए
प्रकाश का कहना है कि हम दोनों पति-पत्नी पर आरोपियों ने चाकू से वार किया था। मैं तो मौत के मुंह से लौट आया, लेकिन मेरी पत्नी ने अस्पताल में तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। चाकू उसकी बच्चेदानी को फाड़ता हुआ निकल गया था। मैं भी बुरी तरह से जख्मी था, इसलिए अपने हाथों से उसका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाया। मेरे पिता ने अंतिम संस्कार किया था। मुझसे ज्यादा बदनसीब कौन होगा, जो पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल होना तो छोडि़ए उसे आखिरी बार देख भी नहीं पाया। हमारी बर्बादी के जिम्मेदार वे आरोपी हैं, उनके अहंकार ने हमारे घर को तबाह कर दिया। पहले पत्नी फिर पिता को बेरहमी से तड़पा-तड़पाकर मार डाला। पूरा परिवार अब डरा सहमा है। इस खौफनाक मंजर के बाद मेरे चारों बच्चे पूनम वर्मा (14), विक्रमादित्य वर्मा (12), हिमांशी वर्मा (8) और सचिन वर्मा (6) खौफजदा हैं। उनकी धमकी से डरकर तीन बच्चे तो वार्षिक परीक्षा देने तक नहीं गए। हमें भी डर है कि वे अब बच्चों को टारगेट नहीं कर लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *