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सडक़ की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने जमाया डेरा, बना लिए पक्के मकान, अब घर गिराने में राजस्व अमले का छूट रहा पसीना

मुआवज के बाद शासन ने नहीं लिया कब्जा, कई जगह कामर्शियल उपयोग भी हो रहा
शासन ने 1992 में जमीन का किया था अधिग्रहण

नगर प्रतिनिधि, रीवा

चोहटा से लेकर रतहरा तक बने वाईपास को लेकर शासन ने जिस भूमि का अधिग्रहण किया है वह जमीन अब अतिक्रमणकारियों को जागीर बन गई है तथा बाईपास की सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा करते हुए अतिक्रमणकारियों ने अपना डेरा रा जमा लिया तथा सडक़ के लिए चिन्हित रास्ते में लोगों ने अपने रहने के लिए भवन का निर्माण करा लिया है कई स्थानों पर तो कॉमर्शियल उपयोग भी शुरू हो गया है और प्रशासनिक अमले की अब तक इसकी कोई खबर ही नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी अब भी बुलडोजर लेकर जाएं और शासन की जमीन में बने भवन को गिराकर उसे अपने कब्जे में कर लें।
फोरलेन के लिए जमीन की गई थी अधिग्रहित
असल चोरहटा से रतहरा के लिए बने सडक़ बाईपास के लिए शासन ने करीब 1992 में जमीनों का अधिग्रहण किया फिर सडक़ मार्ग का अंश भूभाग कुछ दिनों बाद परिवर्तित कर दिया गया जिसके कारण वर्ष 2004-05 में कुछ जमीनों का अधिग्राण हुआ तथा इसके बाद सम 2007-08 में भी शेष भाग का अधिग्रहण किया गया। जिसके बाद शासन ने 2 लेन बाईपास सडक़ का निर्माण करा दिया और लोगों को आवागमन में सुगमता होने लगी परंतु इस सडक़ के लिए शासन ने उसी समय पर करीब 4 लेन सडक़ बाईपास बनाने के लिए जमीनों का अधिग्रहण किया था ऐसे में 2 लेन सडक़ बनने के वाद भी जमीन का भाग शेष रह गया जहां सडक़ निर्माण का कार्य नहीं किया गया और अब एक बार फिर लोगों की सडक़ समस्या को दृष्टिगत रखते हुए शासन में उसी मार्ग को फोर लेन बाईपास सडक़ बनाने की तैयारी की है परंतु अब उसमें अतिक्रमणकारी प्रशासन के लिए सबसे बड़ी अड़चन बन कर सामने आ रहे हैं। अधिग्रहित जमीनों पर बने पक्के मकान: बताया जा रहा है कि शासन ने बाईपास के लिए अधिग्रहीत जमीन के नक्शे में सुधार नहीं किया जिसकी वजह से लोगों के द्वारा वहां पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया गया और शासन द्वारा सडक़ के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि पर लोगों ने अपने लिए आलिशान भवन निर्माण कर लिया वहीं कई ने तो सरकारी जमीन का कॉमर्शियल उपयोग शुरू कर दिया। और अब उस जमीन को खाली कराने में प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की रुचि नहीं दिखाई जा रही है जबकि शासन ने ऐिसी जमीनों को चिन्हित भी कर लिया है। जिससे अतिक्रमणकारी भी सुकून में बैठे हैं।
ढाई दशक बाद शासन की टूटी निद्रा
25 वर्षों बाद दृट्टी निद्रा आपको बता दें अब जबकि जमीनों के अधिग्रहण के 25 वर्षों बाद लोगों की शिकायत पर प्रशासन की नींद टूटी है जिसके बाद राजस्व अमले ने सडक़ के लिए चिन्हित जमीनों के रकबे में सुधार कर उस जमीन को मध्य प्रदेश शासन के नाम किया है बावजूद इसके अब भी उसे खाली करा पाने में भी प्रशासन की असमर्थता ही दिखाई दे रही तथा अधिग्रहित जमीनों पर किए गए अवैध अतिक्रमण पर अधिकारियों ने चुप्पी साधी है।

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