नगर प्रतिनिधि, रीवा
सुविधा परेशानी का सबब कैसे बन जाती है, ये देखना है तो एमपी का 53वां जिला मऊंगज आपके लिए सबसे मुफीद जगह है। कहने को तो ये जिला है, लेकिन यहां की सरकारी दफ्तरों की हालत बद से बदतर है। कहने को तो यहां सबकुछ है, लेकिन बातों और कागजों में। इतना कहते ही यहां के अगस्त क्रांति मंच के संयोजक कुंज बिहारी तिवारी की आंखें भर आती हैं। गले में पड़े गमछे से आंसू पोछते हुए कुंज बिहारी कहते हैं, मऊगंज के जिला बनने के बाद आशाएं जगी थीं। खुशी भी हो रही थी कि अब किसी सरकारी काम के लिए 80 किलोमीटर दूर रीवा नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन एक साल के भीतर यह भ्रम टूट गया। मऊगंज के जिला बनने से लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई है। अब दूरदराज से आने वालों को एक काम के लिए दो जिलों में जाना पड़ता है। पहले वो यहां आते हैं। जब कहीं कुछ नहीं होता तो उन्हें रीवा जाना पड़ता है। चाहे शिक्षा की बात हो या स्वास्थ्य की या राजस्व की, कहीं भी एक प्रतिशत सुधार नहीं दिख रहा है।
मऊगंज के जिला बनने से लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई है। अब दूरदराज से आने वालों को एक काम के लिए दो जिलों में जाना पड़ता है। पहले वो यहां आते हैं। जब कहीं कुछ नहीं होता तो उन्हें रीवा जाना पड़ता है। चाहे शिक्षा की बात हो या स्वास्थ्य की या राजस्व की, कहीं भी एक प्रतिशत सुधार नहीं दिख रहा है। कुंज बिहारी कहते हैं, एसपी और कलेक्टर को बैठा दिया गया। उनके पास कोई कर्मचारी नहीं है। थानों में न तो पुलिस है और न ही वाहन। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय होते हुए भी यहां अच्छे इलाज की सुविधा नहीं है।
13 अगस्त 2023 को रीवा जिले के हिस्सा मऊगंज को 53वां नया जिला बनाया गया था। इस जिले में डेढ़ साल बाद भी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। कलेक्टर और एसपी के आफिस लॉ कॉलेज की बिल्डिंग से चल रहे हैं। हालात ये हैं कि कलेक्ट्रेट में स्वीकृत 100 पदों में से दो अधिकारी ही तैनात हैं। अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ जैसे पदों पर अभी तक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। यहां 96 पद मंजूर हैं, इनमें से 94 खाली हैं। अधिकांश विभागीय कार्यालय अभी भी रीवा से ही संचालित हो रहे हैं। रीवा से कई कर्मचारियों की लिस्ट जारी की गई, लेकिन सिर्फ एक ही कर्मचारी मऊगंज कलेक्ट्रेट को मिला। कलेक्ट्रेट में कलेक्टर की ही सारे काम करते पड़ते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के हाल तो और भी बुरे हैं। जिला अस्पताल तो दूर, इसकी घोषणा तक नहीं की गई। इसलिए मरीजों को इलाज के लिए पहले की तरह ही 70 किलोमीटर दूर रीवा जाना पड़ता है।
टीएल मीटिंग में पहुंचते हैं अधिकारी-कर्मचारी
रीवा के अधिकारी सिर्फ एक दिन टाइम लिमिट मीटिंग के लिए मऊगंज आते हैं। जमीन से जुड़े कार्यों को फीडिंग से लेकर पीएम किसान सम्मान निधि के हितग्राहियों की फार्मर रजिस्ट्री का काम जोरों पर है। सारा काम प्रभावित हो रहा है। इसके बाद भी सरकार कार्यालय खोलने और पदस्थापना में समय लगा रही है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
जिले का प्रशासनिक और पुलिस कार्यालय अस्थायी रूप से लॉ कॉलेज की बिल्डिंग में चल रहा है। कलेक्टर कार्यालय भूतल और पुलिस अधीक्षक कार्यालय दूसरी मंजिल पर है। बता दें कि कलेक्टर कार्यालय में अपर कलेक्टर का एक, डिप्टी कलेक्टर का 5 में से 4 पद, सहायक लेखाधिकारी का एक, अधीक्षक का एक, सहायक अधीक्षक के दो, ऑडिटर का एक, निज सहायक का एक, स्टेनोग्राफर का एक, सहायक ग्रेड-2 के 13, सहायक ग्रेड-3 के 25, स्टेनोटायपिस्ट के 3, कंप्यूटर ऑपरेटर के 3, वाहन चालक के 6, जमादार का 1 और भृत्य के 31 पद खाली हैं।
पी डब्ल्यू डी पी एच ई समेत जिला पंचायत सीईओ भी नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर पीडब्ल्यूडी ईई, पीएचई ईई, आरईएस, डीपीसी, जिला पंचायत सीईओ तक नहीं हैं। सारा काम रीवा से ही चल रहा है। हालात यह है कि जनपद पंचायत हनुमना और मऊगंज तक में स्थायी सीईओ नहीं हैं। यहां प्रभारी सीईओ के भरोसे काम चल रहा है। इसके अलावा, वन विभाग रीवा वन मंडल से संचालित हो रहा है। जिला भू अभिलेख अधिकारी नहीं है। सहायक के भरोसे काम चल रहा है। जिला खनिज कार्यालय, जिला कृषि कार्यालय, उद्यान विभाग, सीएमएचओ कार्यालय भी नहीं है।
सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. प्रद्युमन शुक्ला के मुताबिक मऊगंज जिला बना है, परंतु हमारे अस्पताल को जिला अस्पताल की घोषणा नहीं की गई है। अभी भी हमारी अस्पताल सिविल अस्पताल के नाम पर चल रहा। सिविल अस्पताल के हिसाब से भी हमारे पास स्टाफ नहीं है। स्पेशलिस्ट, नर्सिंग स्टाफ और ड्रेसर की कमी है। वार्ड बॉय नहीं है। जिला अस्पताल नहीं बनने से सिविल सर्जन नहीं हैं। सीएमएचओ भी नहीं है। अभी हम लोग सीएमएचओ रीवा के अंडर काम कर रहे हैं। हालांकि काम का संचालन बेहतर तरीके से हो प्रयासरत है।
जिले में इन विभाग में हैं अधिकारी
मऊगंज में पदस्थ अधिकारियों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। यहां महिला बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी के रूप में प्रवेश मिश्रा हैं। इसी तरह, वेटरनरी विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर डॉ. साकेत हैं। पीडब्ल्यूडी और आरईएस विभाग वहां के एसडीओ चला रहे हैं। अन्य विभाग और पद रीवा से संचालित किए जा रहे।
1 हजार 189 पुलिस बल की मांग
जिले में पुलिस बल भी कम है। यहां 310 का पुलिस बल मंजूर हुआ था, लेकिन 195 का पुलिस बल मिला था। वाहन भी पर्याप्त नहीं हैं, जिससे पुलिस को काम करने में कठिनाई होती है। पुलिस अधीक्षक रसना ठाकुर ने विभिन्न पदों के लिए 1 हजार 189 पुलिस बल की मांग की है।