ग्वालियर चिडिय़ाघर से सफेद बाघ शावक पहुंच मुकुंदपुर , फिलहाल क्वॉरेंटाइन
दो सांभर के बदले जू अथॉरिटी सेंटर ने दी थी सफेद बाघ देने की अनुमति
विशेष संवाददाता, रीवा
महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी एण्ड जू मुकुंदपुर में एक सफेद बाघ शावक को लाया गया है। यह शावक पाँच महीने का है। इसे अभी जू के क्वारंटाइन बाड़े में रखा गया है। यह सफेद बाघ इस चिडिय़ाघर का चौथा सफेद बाघ होगा।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि व्हाइट टाइगर सफारी में अभी तीन सफेद बाघ रघु, टीपू और सोनम हैं। नए सफेद बाघ के आने के बाद इनकी संख्या 4 हो गई है। सफेद बाघ शावक को गांधी प्राणी उद्यान ग्वालियर से लाया गया है। वहीं मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी से दो मादा सांभर गांधी प्राणी उद्यान ग्वालियर को दिए गए हैं। यह एक्सचेंज प्रोग्राम केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण से मिली अनुमति के बाद किया गया है।
सामान्य और सफेद बाघों को मिलाकर अब कल 10 बाघ यहां पर अटखेलिया करते हुए नजर आएंगे और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्रीय बिंदु बनेंगे। चीता तेंदुआ सहित कई और जानवर पहले से ही मुकुंदपुर के इस चिडिय़ाघर में रहकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए हैं तथा कई बार मनोरंजन भी करते हैं। इस एक्सचेंज प्रोग्राम का कार्य मुख्य वन संरक्षक राजेश राय, वन मण्डलाधिकारी सतना मयंक चांदीवाल के निर्देशन एवं संचालक सूरज सिंह सेन्द्राम के नेतृत्व में किया गया। वन्य प्राणी चिकित्सक नितिन गुप्ता, क्येरेटर रंजन सिंह परिहार, वनरक्षक लोके दुबे, अखिलेश मिश्रा एवं प्रकाश मिश्रा द्वारा ट्रान्लोकेशन का कार्य किया गया।
लग गए पूरे 1 साल
इस सफेद बाघ को लाने में मुकुंदपुर चिडिय़ाघर को लगभग 1 साल लग गए। बताया गया है कि 1 साल पहले केंद्रीय जू अथॉरिटी सेंटर को इस संबंध में पत्र लिखा गया था और लगातार रिमाइंडर किया जाता रहा, तब जाकर ग्वालियर के चिडिय़ाघर से सफेद बाघ लाए जाने की अनुमति मिली। बताया गया है कि साल भर पहले पत्र लिखा गया था और उसके बाद अथॉरिटी सेंटर ने ग्वालियर से बाघ ले जाने की अनुमति दी थी। इसके बाद बुधवार 15 जनवरी से यह नया बाघ मुकुंदपुर सफारी का नया मेहमान बना है। इसके पहले भी यहां पर चार सफेद भाग हुआ करते थे जिनमें से एक की मौत के बाद तीन ही बचे थे। अब यह चौथा सफेद बाघ नया होगा। आने के बाद इसे कॉलिंग टाइम कर दिया गया है ताकि वह यहां की आबो हवा में ढल सके। इससे अलग हटकर खास बात यह भी है कि मुकुंदपुर चिडिय़ाघर में लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा सभी प्रजातियों के बाद मौजूद हैं। जो निश्चित तौर पर पर्यटकों की आकर्षण का केंद्र बनेंगे।