अनिल त्रिपाठी, रीवा
अभी हाल फिलहाल मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार जैन लग्न कथा पुरस्कार 2023 के लिए रीवा के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रमोद जैन को चयनित किया गया है। इसमें डॉक्टर जैन को 51000 की नगद राशि के साथ प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा। यह जानकारी प्राप्त होने के बाद विंध्य भारत ने उनसे मुलाकात की और उनके बारे में तथा विभिन्न अनुच्छेद पहलुओं के बारे में जानकारी ली। उन्हें यह पुरस्कार पुस्तक सेल्फी के लिए दिया गया है जो लघु कथा से समाहित है।
डॉक्टर चैन से चाचा चुप की गई तो रोने कहां की ओशो को पढ़ते-पढ़ते और ध्यान साधना करते-करते कविताएं और कहानी दिलो दिमाग में उतरने लगी तो लिखने लगे। पढऩे का शौक बचपन से था वर्ष 2001 में जब वह अपने एक दोस्त के यहां गए तो वहां टेबल पर ओशो टाइम्स की किताब रखी हुई थी मैं उसको पढ़ा और घर ले आया और उसकी गहन अध्ययन किया वहीं से परिवर्तन की स्थिति बनी और ओशो साहित्य को लगातार पढऩे लगा फिर शिवा आईआर में शामिल होने लगा वर्ष 2002 से लगातार शिविर में शामिल हो रहा हूं मैं नहीं 2008 से 2019 तक स्वयं सिविल लेट रहा अब दैनिक जीवन में ही यह साधना समाहित हो चुकी है।
चर्चा के दौरान इन्होंने बताया कि अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में आना-जाना बना रहता है रेडियो टीवी में भी कविताएं आती रहती हैं। एक सवाल की जवाब में डॉक्टर जैन ने कहा कि चिकित्सा और काव्य दोनों के लिए कवि हृदय होना अत्यंत आवश्यक है दोनों में समानता नजर आती है। दोनों की भूमिकाओं में मैं न्याय करने का प्रयास करता हूं।
अपनी किताब सेल्फी के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सेल्फी का मतलब हम अपनी फोटो स्वयं उतारे। ओशो कहते हैं कि अपने सुख-दुख का कारण व्यक्ति स्वयं होता है अगर वह सुखी है तो अपनी वजह से और दुखी है तो अपनी वजह से बाकी कहानियों में हम अपने दुख को सुख और आनंद में कैसे परिवर्तित करें यह कहानियों के माध्यम से बताया गया है। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने भी इसे गंभीरता के साथ देखा और प्रदेश स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किया।
एक सवाल के जबाव में इन्होंने कहा कि अध्ययनशीलता जीवन में अति आवश्यक है और रचनाओं के लिये एकांतता आवश्यक है। कई बार दोनों गतिविधिओं में सामंजस्य बैठाना मेरे लिये मुश्किल हो जाता है लेकिन इसके बावजूद भी कई बार मेरी कलम अपने आप ही चलती है और चलती जाती है।
एक नजर डा. प्रमोद जैन के बारे में
नाम- डॉक्टर प्रमोद जैन पिता स्व रूपचंद
जैन
पत्नी – डॉ मधु जैन स्वयं का नर्सिंग होम
शिक्षा – एमबीबीएस, डीसीएच और डीएनबी
ओशो से जुड़े 2001 में और 2002 में
संन्यास ले लिया
24 जनवरी 2009 को पहली कविता का
प्रकाशन विंध्य भारत रीवा में
पहली काव्य रचना – यादें पिछले जन्मों की
वर्ष 2010
अब तक प्रकाशित 20 किताबें दो भाषा
अंतरण (आत्माओं की यात्रा आत्माओं की
महायात्रा)
अभी हाल में – मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का जैनेंद्र कुमार जैन लघु कथा पुरस्कार
अब तक प्रकाशित रचनाओं के बारे में
व्यंग : शिक्षा में शांति, कुर्सीनामा, राजनीतिनामा
कहानी संग्रह: फेसबुक फ्रेंडस एवं छत्तीस
कहानिया, सेल्फी, लक्ष्य, ठिठके रास्ते, पुरुषार्थ
काव्य संग्रह: गुलदस्ता, जिंदगी एक गजल,
यात्रा, मोड़, दोस्ती दुनिया एवं भंगिमाएं
ई-काव्य बुक: ओशो के इस्क में, ओशो तुम
कितने हो प्यारे, ओशो की राहों में, ओशो
सहस्त्र अलंकार
भाषान्तरण: आत्माओं की यात्रा और आत्माओं
की महायात्रा
प्रसारण: कहानी, कविताएं अखबार पत्रिकाओं
में नियमित रूप से प्रकाशित, रेडियो व दूरदर्शन
से प्रसारित, कई गीत संगीतबद्ध
सम्मान: भाषा भारती, विंध्य शीर्ष शिखर
सम्मान दिगम्बर जैन परिषद, शांति सद्भावना सम्मान आदि