मामला चोर हटा हवाई पट्टी में आयोजित बैठक की फोटो का, सोशल मीडिया में वायरल हो रही फोटो
आरोप – मनगवा विधायक नरेंद्र प्रजापति के मोबाइल से छेड़छाड़ , विधायक ने किया इनकार
विशेष संवाददाता , रीवा
अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध रहने वाली भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों अपनों पर ही छींटाकसी का माहौल चल रहा है। पार्टी के विधायकों में ही कहीं न कहीं मनभेद की स्थिति बनी हुई है और वह जनता के सामने तक आ जाती है। फिर सोशल मीडिया उसे बात का बतंगड़ बना देता है।
यह मामला कोई बहुत बड़ा नहीं था। पूरे घटना क्रम से जब विंध्य भारत की टीम अवगत हुई तो पता लगा कि बीती रात मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हवाई अड्डा चोरहटा में इंडस्ट्रियल एनक्लेव की एक बैठक ले रहे थे। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री के अलावा विधायक नरेंद्र प्रजापति और सिद्धार्थ तिवारी अगल-बगल बैठे हुए थे। इस बीच नरेंद्र प्रजापति के एक कार्यकर्ता ने वह फोटो खींची और यह दिखाने के लिए कि हमारे विधायक जी विशेष रूप से बैठक में मौजूद हैं, लिहाजा उसने विधायक सिद्धार्थ तिवारी की फोटो अलग करने की बजाय ऊपर चेहरे में साइलेंट व्हाइट कलर डाल दिया। उधर देर रात घर पहुंचे नरेंद्र प्रजापति ने मकर संक्रांति 2025 की बधाई देने के साथ इसी फोटो को टैग कर दिया। सुबह तक यह फोटो चारों ओर चर्चा का विषय बनी थी। तत्परता के साथ नरेंद्र प्रजापति ने वस्तु स्थिति समझी लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि वह फोटो सैकड़ो जगह वायरल हो चुकी थी। इस मामले में जब श्री प्रजापति से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता की एक छोटी सी गलती के चलते आज पूरा दिन कई फोन आए और लोगों को वस्तु स्थिति से अवगत कराया है। जहां तक सिद्धार्थ तिवारी की फोटो डिलीट करने का मामला है वह मैं सपने में भी व्यक्तिगत तौर पर नहीं सोच सकता, मेरे राजनीति की शुरुआत उसी परिवार के दिग्गज नेता स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी और स्वर्गीय सुंदरलाल तिवारी के सानिध्य में शुरू हुई थी, बाद में मैं भाजपा में आ गया था अब तो सिद्धार्थ तिवारी भी भाजपा के ही विधायक हैं और मैं उन्हें मार्गदर्शन के तौर पर देखता हूं। मैंने उसे कार्यकर्ता को जमकर फटकार भी लगाई लेकिन जो होना था वह हो चुका है। लेकिन किसी की भावना को ठेस पहुंचाने वाली नहीं थी। मैं स्वयं भी इस घटनाक्रम से दुखी हूं।
दूसरी ओर सोशल मीडिया ने पूरे घटनाक्रम को अपने तरीके से प्रचारित और प्रसारित किया। यह सत्य है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था और हो गया लेकिन वास्तविकता की स्थितियां को जाने बिना जिस प्रकार की स्थितियां निर्मित हुई उससे दोनों पक्ष आहत हुए। अगर जानबूझकर किया गया मामला होता तो निश्चित तौर पर उसमें संगठन अपनी कार्यवाही करता। अलबत्ता शिव प्रजापति ने इतना जरूर कहा कि मैं उसे परिवार का दिल से सम्मान करता हूं और उन्हीं के गृह क्षेत्र से मैं विधायक हूं, इसलिए जानबूझकर ऐसा कुछ करने का सवाल ही नहीं उठता। मामले को लेकर भाजपा का ही एक और ग्रुप भी चटकारे ले लेकर चर्चाओं में ला रहा है, अब उनकी मंशा क्या है यह समझ से परे है।