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मुकुंदपुर चिडिय़ाघर में जल्दी ही दिखेगा एक और व्हाइट टाईगर, ग्वालियर से आकर वंशजों के डेरा में रहेगा नया सफेद बाघ

मुकुंदपुर चिडिय़ाघर से जाएंगे सांभर उसके बदले वहां से आएगा एक सफेद बाघ
पहले से मौजूद हैं चिडिय़ाघर में तीन सफेद बाघ और 7 बंगाल टाइगर

विशेष संवाददाता, रीवा

वर्ष 2025 का जनवरी माह मुकुंदपुर स्थित मार्तंड सिंह जू देव चिडिय़ाघर के लिए एक अच्छी खबर लेकर आया है, यानी की चिडिय़ाघर को एक नई सौगात मिलने जा रही है। यह सौगात है चिडिय़ाघर में एक नए सफेद बाघ का आना। इस बाघ के आने के बाद टाइगर सफारी मुकुंदपुर में कुल मिलाकर चार बाघ हो जाएंगे। खास बात यह है कि आने वाला यह बाघ सफेद बाघ प्रजाति का है जो वंशानुगत रूप से सबसे पहली बार छुहिया घाटी में पाया गया था।
चिडिय़ाघर के लिए 2025 एक नई सौगात लेकर आ रहा है यहां पर लंबी इंतजार के बाद सफेद बाघ की तलाश पूरी हो चुकी है। ग्वालियर के चिडिय़ाघर से दूसरा सफेद बाग यहां स्थानांतरित किया जा रहा है पहले मिलने के कुछ महीनो के भीतर ही मर गया था इस संबंध में ग्वालियर चिडिय़ाघर ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है यह भी जानकारी मिली है कि आने वाले हफ्ते में यहां से टीम जाएगी और ग्वालियर से सफेद बाघ को लेकर आएगी। इस बाघ के आ जाने के बाद चिडिय़ाघर में बाघों की संख्या चार हो जाएगी जिसमें से दो सफेद किस्म के रहेंगे।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मार्तंड सिंह चिडिय़ाघर में कई सफेद बाघ मौजूद थे लेकिन उनमें से कई की मौत हो चुकी थी। इसके बाद से देश के कई राज्यों से सफेद बाघ के लिए चिडिय़ाघरों में संपर्क किया जाता रहा लेकिन कहीं से भी सफेद बाघ की उपलब्धता नहीं हो पा रही थी। गौर तलब है कि सबसे पहले दिल्ली चिडिय़ाघर ने यहां के प्रथम सफेद बाघ टीपू को दिया था इसके बाद अब ग्वालियर से नया सफेद बाघ आने वाला है। यह भी जानकारी दी गई है कि ग्वालियर का चिडिय़ाघर इस सफेद बाघ के बदले सांभर लेगा, क्योंकि वहां पर सांभर काफी कम संख्या में है। इसके लिए दोनों चिडिय़ाघरों के बीच में आपस में सहमति भी हो गई है। नई जानकारी के अनुसार ग्वालियर से सफेद बाघ को लाने की तिथि भी विभागीय रूप से तय हो गई है जो अगले हफ्ते तक यहां पर पहुंचने की उम्मीद है।
सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि शनिवार या रविवार को यानी की मुकुंदपुर से 10 जनवरी के आसपास एक टीम रवाना की जाएगी जो यहां से कई सांभर लेकर जाएगी। वहां पर सांभर को चिडिय़ाघर वालों के हवाले करते हुए सफेद बाघ अपने कब्जे मिलेगी और लेकर मुकुंदपुर चिडिय़ाघर पहुंचेगी। लेकिन इस मामले में अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रीवा आने वाला सफेद बाघ नर है अथवा मादा। इस संबंध में जानकारी सूत्र बताते हैं कि ग्वालियर चिडिय़ाघर के प्रभारी चिकित्सक फिलहाल छुट्टी में है, उनके लौटने के बाद यह न्यायालय लिया जाएगा। फिलहाल मुकुंदपुर चिडिय़ाघर की टीम ग्वालियर जाने की तैयारी शुरू कर चुकी है। साथ ही सांभर ले जाने के लिए बांधवगढ़ से वहां का इंतजाम किया जा रहा है। ्र
फिलहाल तीन बाघ और 7 बंगाल टाइगर
अभी तक की जो स्थितियां हैं उसके अनुसार मार्तंड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर मुकुंदपुर में वर्तमान में तीन सफेद बाघ विचरण करते हैं। इनके नाम क्रमश: रघु, सोनम और टीपू हैं । यह भी जानकारी दी गई है कि इन तीन बाघों के अलावा यहां पर साथ बंगाल टाइगर पांच तेंदुआ तीन मगर मैच और तीन भालू मौजूद हैं एक जोड़ा बब्बर शेर भी है। इसके साथ ही शाकाहारी वन्यजीवों में बारहसिंगा सांभर, आमीन, डियर और काला हिरण मौजूद है। ग्वालियर से सफेद बाघ आने के बाद यहां पर बाघों की संख्या चार हो जाएगी।
तो इसलिए हो रही थी लेट लतीफी
लगातार हो रही देरी के मामले में जानकार बताते हैं कि मुकुंदपुर चिडिय़ा घर के पास मांसाहारी वन्य जीव नहीं के बराबर हैं, इसके साथ ही चिडिय़ाघर के प्रबंधन को एक लंबे समय से सफेद बाघ की तलाश थी। प्रदेश और देश के कई चिडिय़ा घरों से संपर्क भी किया गया लेकिन बात नहीं बन पा रही थी। सभी जगह में सफेद बाघ के बदले वन्य जीव की डिमांड की जा रही थी। मुकुंदपुर के चिडिय़ाघर में मांसाहारी वन्य जीव देने के लिए नहीं थे इसके बदले में सफेद बाघ उन्हें उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। कई मीना की मशक्कत के बाद अब जाकर सफलता मिली है और ग्वालियर से सांभर के बदले सफेद बाघ मिलेंगे।

सफेद बाघ की मातृभूमि छुहिया घाटी
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि सफेद शेर की पैदाइश इसी इलाके में खोजी गई थी। लगभग 90 वर्ष पूर्व छुहिया घाटी में सफेद शेर प्रजाति का बाघ पहली बार पाया गया था और तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने पहले उसे पकड़ा और उसे किले के बाड़े में रखा गया था। धीरे-धीरे इस सफेद बाघ की ख्याति ऐसी फैली की इस सफेद बाघ के वंशजों को भारत के कई प्रमुख चिडिय़ाघरों में स्थापित कराया गया साथ ही ब्रिटेन को भी सफेद बाघ दिया गया था। व्हाइट टाइगर की जन्मस्थली के रूप में मशहूर रीवा काफी दिनों तक सफेद बाघ से मरहूम रहा लेकिन अब एक बार फिर सफेद बाघ चिडिय़ाघर में देखने को मिल रहा है। दूर-दूर से पर्यटक यहां पर व्हाइट टाइगर देखने आते हैं। यह सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र बिंदु है।

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