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लकड़ी के अवैध परिवहन के मामले में डिप्टी रेंजर सस्पेंड, रेंजर को हटाया, विभाग की कार्यवाही से वन कर्मियों में आक्रोश, सामूहिक अवकाश की तैयारी

नगर प्रतिनिधि, रीवा

लकड़ी का अवैध कारोबार करने वाले ट्रक को प्रभारी एसडीओ ने छोड़ा दिया, लेकिन इस मामले में गाज डिप्टी रेंजर रामयश रावत पर गिरी है। रावत को निलंबित कर दिया गया है। रेंजर केके पांडे को भी सिरमौर वन परिक्षेत्र से हटा दिया गया है। विभाग के इस कार्यवाही से वन विभाग के कर्मचारियों में नाराजगी देखने को मिली है। बताया गया है कि अगर समय रहते न्याय नहीं मिला तो वन विभाग के कर्मचारी सामूहिक अवकाश में जाने का मन बना लिये हैं। हालाकि वन कर्मियों के नाराजगी की खबर विभाग के आला अधिकारियों को भी हो गई, अब देखना यह है कि इस संबंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा क्या निर्णय लिये जाते हैं।
मामला सिरमौर वन परिक्षेत्र का
यह मामला रीवा के सिरमौर इलाके का है। पुलिस ने लकड़ी से भरा ट्रक पकड़ा था। उसके बाद पुलिस ने ट्रक को वन विभाग को सुपुर्द कर दिया। ट्रक (यूपी 70 एफटी 4106) में बबूल की लकड़ी थी। ट्रक टीपी (टंप्रेरी परमिट) में बताए गए रूट से हटकर सिरमौर क्षेत्र में अवैध रूप से लोड किया जा रहा था। रेंजर और डिप्टी डेंजर ने ट्रक के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे, तभी प्रभारी एसडीओ हृदय लाल सिंह मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पूरी दस्तावेज देखे और ट्रक को छोड़ दिया।
सूत्र बताते हैं कि एसडीओ ने यह कार्रवाई आला अफसरों के दबाव में की है। सीसीएफ रीवा राजेश कुमार राय ने जानकारी मिलने के बाद रेंजर पाण्डेय को सिरमौर से हटा दिया और डिप्टी डेंजर रावत को निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई से रीवा वन मंडल के मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों में असंतोष है।
रेंजरों और डिप्टी रेंजरों का कहना है कि इस फैसले ने न केवल कर्मचारियों का मनोबल तोड़ा है, बल्कि विभाग में भय और असंतोष का माहौल पैदा कर दिया है। यह मामला न केवल वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न खड़ा करता है, बल्कि शासन की उदासीनता को भी उजागर करता है। उनका कहना है कि टीपी के दुरुपयोग की गहन जांच की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना चाहिए।
रीवा के वन विभाग में बड़े पैमाने पर हो रहे इस भ्रष्टाचार और माफिया गठजोड़ की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही है। कार्रवाई के विरोध में कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है। जब तक केके पांडेय और रामयश रावत को उनके मूल पदों पर बहाल नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
इनका कहना है
कर्मचारियों के असंतोष को लेकर जानकारी मिली है बात करने के लिए कल बुलाया गया है, कर्मचारियों के साथ बात की जायेगी इन्हें हम कर्मचारी नहीं बल्कि अपने परिवार के सदस्यों की तरह मानते और रखते हैं अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे एजेंसियों के माध्यम से भी जांच कराई जायेगी।
राजेश राय
सीसीएफ रीवा

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