स्टाक में उपलब्ध नहीं था पोषण आहार
फिर भी कई परियोजनों को हुई आपूर्ति
दोषियों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई?
देवेन्द्र द्विवेदी, रीवा
जिस फर्जीवाड़े एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये तत्कालीन सरकार ने भोपाल में संचालित पोषण आहार संयंत्र को बंद कर प्रदेश के कई जिलों में नये-नये संयंत्र स्थापित किये थे किन्तु वहां भी वही गतिविधियां प्रारंभ हो गई। स्टाक न होने के बाद भी करोड़ों का राशन कागजों में सप्लाई कर दिया गया। कागजी आपूर्ति में परिवहन किये गये वाहनों का भी उल्लेख कर दिया गया। यहां तक कि परिवहन में ट्रैक्टर, टैंकर व आटो आदि वाहनों नम्बरों का उपयोग किया गया। समूहों के नाम भी फर्जी देयक आहरित किये गये। वाहनों के कई ऐसे नम्बरों का भी उपयोग किया गया जो काल्पनिक थे, जो वाहन पोर्टल में पंजीकृत भी नहीं थे। रीवा के पहडिय़ा में स्थापित पोषण आहार संयंत्र से रीवा एवं संभाग के विभिन्न जिलों की सैकड़ों परियोजनाओं तक इस तरह के टेक होम राशन के आपूर्ति का कागजी कारनामा किया गया। कागजी आपूर्ति मेेंं हलवा, बाल आहार, बर्फी, लड्डू, खिचड़ी आदि शामिल था। इस तरह से पोषण आहार संयंत्रो ंके माध्यम से करोड़ों का घोटाला किया गया। इस तरह की जानकारी महालेखाकार की आडिट में अभिलेखों में की हेराफेरी से सामने आई है जो वर्ष 2024 में प्रस्तुत की जा चुकी है।
सितम्बर 2020 से मार्च 2021 तक के अभिलेखों में दर्ज हैं कई मामले
अभिलेखो की जांच में पाया गया है कि पोषण आहार संयंत्र पहडिय़ा रीवा में दिनांक 25.9.2020 से 26.3.21 के बीच पोषण आहार की फर्जी सप्लाई की गई। खानापूर्ति के लिये विधिवत चालान भी काटे गये और परिवहन के लिये कई वाहनों का भी उल्लेख किया गया। जिन परियोजनाओं में इस तरह का राशन परिवहन किया जाना उल्लेखित किया गया उनका नाम भी रिकार्ड में दर्ज किया गया। जबकि वास्तविकता यह थी पोषण आहार संयंत्र से जिस समय सप्लाई की गई उस समय वहां स्टाक में राशन ही उपलब्ध नहीं था। फिर भी कागजों में पोषण आहार की आपूर्ति की गई। इससे पता चलता है कि पोषण आहार संयंत्रों की व्यवस्था पर किसी का भी नियंत्रण नहीं था। मनमानी एवं स्वेचछाचारिता के साथ सब कुछ चल रहा था। इस तरह की आपर्ति सीधी ग्रामीण, पुष्पराजगढ़, जवा, रामनगर, मैहर, रीवा ग्रामीण, कुसमी, अनूपपुर, कोतमा, रायपुर कर्चुलियान, हनुमना, रामपुर बाघेलान, जैतहरी, सिगरौली ग्रामीण, पुष्पराजगढ़, देवसर, चित्रकूट, सतना शहरी, चितरंगी आदि कई परियोजनाओं में की गई।
चालान के अनुसार प्राप्ति नहीं, फिर भी सत्यापन
कई परियोजनाओं में जहां राशन पहुचा ही नहीं वहां चालान के अनुसार राशन का सत्यापन भी कर दिया गया। इससे समझा जा सकता है कि परियोजनाओं में भी संयंत्र के अधिकारियों की लंबी सांठगांठ थी। सिरमौर-2 चालान क्रमांक १६८४ दिनांक 5.11.2018 में महिलाओ की बर्फी, लड्डू, खिचड़ी एवं बच्चों का हलवा, बाल आहार एवं खिचड़ी मात्रा लगभग 800 बैग कीमत लगभग १० लाख से अधिक फर्जी आपूर्ति जांच में पाई गई। इसी प्रकार चालान क्रमांक १८९४ दिनांक १०.८.१८ रीवा ग्रामीण-2 , हनुमना-1 में चालान क्रमांक २२५९ दिनांक ४.२.२०१९ को कागजी आपूर्ति दिखाई गई।
फर्जी चालान व परिवहन में वाहनों का भी हुआ उल्लेख
यह भी पाया गया कि संयंत्र में पोषण आहार स्टाक में उपलब्ध न होने के बावजूद कागजी आपूर्ति करने के लिये फर्जी अभिलेख भी तैयार किये गये। जहां कई चालान काटे गये, कई वाहनों का उल्लेख भी परिवहन करने के नाम पर किया गया। क्योंकि राशन की आपूर्ति बिना वाहन के संभव ही नहीं हो सकती इसलिये कई वाहनों के नम्बरों का भी उल्लेख किया गया। इन वाहनो में एमपी-17, यूपी-63, एमपी 53, एमपी 19, एमपी 16 आदि सिरीज के कई वाहनों का भी उल्लेख किया गया। काटे गये चालानों के अनुसार फर्जी बिल्टी भी तैयार की गई। फिर कई टन राशन कागजों ही सप्लाई कर दिया गया जिसकी कीमत करोड़ों की आंकी गई है। इतनी अधिक मात्रा में फर्जी आपूर्ति की राशि किसकी जेब में गई यह अभी तक जांच होना शेष है।
ऐसे वाहनों से आपूर्ति जोवाहन पोर्टल में भी नहीं मिले
टेक होम राशन की आपूर्ति में ऐसे वाहनों का भी पता चला जिनका व्यौरा वाहन पोर्टल में भी सीएजी को प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे काल्पनिक वाहनों में त्यौथर रीवा में आरजी-20 जीएफ ९३७५ से चालान क्रमांक १५९० दिनांक २.११.२०१८ से मात्रा 3.456एमटी कीमत 2.13 लाख आपूर्ति दिखाई गई। इसी प्रकार जिन वाहनों का वाहन पोर्टल में उल्लेख मिला उनमें सीजी10एससी ९८०७ पोर्टल में ट्रैक्टर के रूप में दर्ज पाया गया, चालान क्रमांक १५८५ दिनांक १३.१०.२०१९ से गंगेव-2 में टीएचआर की आपूर्ति मात्रा १२.३५ एमटी कीमत ७.७१ लाख, उसी वाहन से उसी तारीख मेंं चालान क्रमांक १५८३ से ०.१०८ एमटी एवं चालान क्रमंाक १५८३ से २२.५२ एमटी कीमत १४.१२ लाख की आपूर्ति, चालान क्रमांक ९१३ दिनांक १३.७.२०१९ एमपी20 एचबी ४२९० जो पार्टल में टैंकर के रूप में दर्ज था। इस वाहन से रायपुर कर्चुलियान क्र.1 में ३०.३९ एमटी कीमत १९.१२ लाख, गंगेव १ में चालान क्र. ४४३ दिनांक ३.६.२०१८ से वाहन क्रमांक एमपी-9 एचजी ६५१० से २५.५१ एमटी कीमत १६.०१ लाख का टेक होम राशन आपूर्ति किया जाना पाया गया है। यहां सवाल यह है कि एक तरफ सरकार कुपोषण को दूर करने की योजनायें संचालित कर रही है वहीं दूसरी तरफ पोषण आहार ही नहीं पहुचता, कागजी सप्लाई हो जाती है तो इससे कुपोषण कैसे दूर हो सकता है?
आपूर्ति में विलंब से प्रदायगी
जांच में पाया गया है कि टीएचआर की आपूर्ति की प्रदायगी में विलंब भी किया गया। किन्तु इस मामले में दोषी फर्मो पर अर्थदण्ड अधिरोपित नहीं किया। जिसके चलते करोड़ों की छति हुई। रीवा जिले में 2.46 करोड़ की छति होना प्रतिवेदित किया गया है। यहां फर्म का एमपीएटीएल के माध्यम से राशन की आपूर्ति की जा रही थी। जहां पाया गया कि कई परियोजनाओं में यह राशन 36 से 37 दिन विलम्ब से आपूर्ति किया गया। इसी प्रकार मध्यप्रदेश राज्य कृषि उद्योग विकास निगम से किये गये अनुबंध में अर्थदण्ड का प्रावधान नहीं होने से 22 से 64 दिन का विलम्ब होने से रीवा जिले के संयंत्र से 1.17 करोड़ छति पहुचाई गई।
समूहों के नाम पर भी संदिग्ध भुगतान
जांच में पाया गया है कि समूहों के नाम पर भी बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। रीवा में लक्ष्मी एसएचजी पहडिय़ा से श्वेता तिवारी के नाम पर यूबीआई में १३ देयकों से १,३४,७८२ संदिग्ध भुगतान होना पाया गया है। इसी प्रकार सत्य एसएचजी उमरिहा को वंदना सिंह पत्नी अंजनी सिंह के खाते में २० देयकों के माध्यम से लगभग 2 लाख से अधिक भुगतान किया जाना पाया गया है। इसी प्रकार किरण एसएचजी आदि के नाम पर संदिग्ध भुगतान किया जाना बताया गया है। इसके अलावा और कितने काल्पनिक समूहों के नाम पर भुगतान किया गया यह जांच का विषय है।