टी सी और डिप्टी टी सी के चक्कर में फस गई पेंच, नहीं जब जारी हो पा रहे परमिट
सभी मार्गों की हालत हुई खस्ता, कुंभ और वैवाहिक सीजन में आने वाली है भारी दिक्कत
मोटर मालिकों ने खड़ी कर ली है अपनी बसे, बढऩे वाली है जनता की परेशानी
अनिल त्रिपाठी, रीवा
अगर आप यात्री बस से कहीं जाने की इच्छा रखते हैं तो सबसे पहले पता लगा ले कि बस जाने वाली है अथवा नहीं क्योंकि कई मार्गो में चलने वाली बसें टेंपरेरी परमिट यानि कि टीपी परमिट के आधार सवारियां लेकर जा रही थी। अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार परमानेंट परमिट जारी होंगे जिसे डिप्टी टी सी ही जारी करेगा। लेकिन डिप्टी टी सी की कही पदस्थापना है ही नहीं। ऐसे में कड़ाके की ठंड के बीच उसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा।
गौरतलब है कि संभागीय मुख्यालय रीवा से सभी प्रमुख जिलों के लिए बसे चलती हैं इसमें परमानेंट परमिट केवल 20 फ़ीसदी ही है। शेष 80 फ़ीसदी बसों का संचालन टेंपरेरी परमिट के आधार पर ही लगातार कई सालों से चला आ रहा है। रीवा से सतना, रीवा से कटनी , रीवा से मैहर, रीवा से सीधी एवं अन्य छोटे मार्गों पर टेंपरेरी परमिट के आधार पर ही बसों का संचालन किया जा रहा है। यानी की जितनी भी बसें संचालित हो रही हैं उनमें से 80 फ़ीसदी का परमिट टेंपरेरी परमिट ही होता है जिसके लिए मोटर मालिक को हर महीने एक नियत रकम परिवहन विभाग को जमा करनी पड़ती है।
इस मामले में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में एक याचिका लगने के बाद यह निर्णय आया है कि हर महीने टेंपरेरी परमिट देने से मोटर मालिक को काफी नुकसान उठाना पड़ता है वहीं जिला परिवहन अधिकारी इस मामले में खास मनमानी करते हैं। क्योंकि नियमित परमिट जारी करने का अधिकार उप परिवहन आयुक्त को ही होता है और परिवहन आयुक्त की पदस्थापना अधिकांश जिलों में न होने से इसी व्यवस्था के तहत अभी तक संचालन होता चला आ रहा है। जिससे मोटर मालिक काफी व्यथित थे।
तो इसलिए हाथ खड़े कर दिए सबने…
रीवा संभाग अंतर्गत चार जिलों में जिला परिवहन अधिकारी की पदस्थापना है। सभी ने माननीय उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए किसी प्रकार का कोई परमिट जारी करने से अपने को अलग कर लिया है। उसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि पहले तो यहां पर परिवहन उप आयुक्त की पदस्थापना नहीं है दूसरा यह की सागर जिले के परिवहन अधिकारी को माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर लंबा जुर्माना लगा दिया गया है। इसलिए किसी लफड़े में फसने की बजाय कोई भी जिला परिवहन अधिकारी अब अस्थाई परमिट देने से पूरी तरह कतरा रहे हैं।
अब डिप्टी टी सी का ही टोटा है परिवहन विभाग में
एक जानकारी के अनुसार परिवहन उपायुक्त के पद पूरी तरह से खाली हैं। सभी संभागों में परिवहन उपायुक्त की पदस्थापना होनी चाहिए थी। लेकिन सीनियर अधिकारी सभी रिटायर हो चुके जबकि नए सिरे से पदस्थापना ही नहीं की गई है। ले देकर एक डिप्टी टी सी पूरे मध्य प्रदेश में है, उनके पास ही पूरा प्रभार था। जबकि होना यह चाहिए था कि हर संभाग में एक डिप्टी टी सी पदस्थ होना चाहिए था। अधिक से अधिक केवल यह हो सकता था कि एक परिवहन उपायुक्त को दो संभाग का प्रभाव दिया जाता लेकिन परिवहन विभाग के पास इस पद के कोई अधिकारी ही नहीं बचे थे।
टीपी परमिट बनाम लूट का कारोबार
हमेशा से ही यह आरोप लगाते रहे हैं कि टेंपरेरी परमिट दिए जाने के नाम पर अच्छी खासी लूट होती है। उदाहरण के लिए रीवा सतना की बस के लिए कोई परमिट जारी है तो उसे बस के आगे 5 मिनट पहले का एक अस्थाई परमिट जारी कर दिया जाता है उसके बदले 5 से ?10000 वसूले जाते रहे है। यह घोषित रेट था। अकेले रीवा ही नहीं, सभी जिला परिवहन कार्यालय की यही स्थिति थी। इससे अच्छी खासी कमाई होती थी। अब नए नियम जारी होने के बाद जिला परिवहन अधिकारी भी काफी निराश से हो चुके हैं क्योंकि एक मुश्त आमदनी का जरिया बंद हो जाएगा। साथ ही मनमानी भी नहीं हो पाएगी। खास बात यह थी कि ऐसे मामलों में दावा आपत्ति भी नहीं होती थी। ऊपर ही ऊपर खेल हो जाता था। यह स्थितियां पिछले 6 से 7 सालों से तेजी से पनपी थी।
होती थी मनमानी के साथ कमाई भी
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि टेंपरेरी परमिट दिए जाने के नाम पर अच्छी खासी मनमानी की जाती रही है। इस मनमानी के चलते जहां कई मोटर मालिक आपस में ही लड़ते रहते थे वहीं स्थाई परमिट दिए जाने के नाम पर खास लेन-देन भी होता रहा है। अब जब नौकरी पर आ पड़ी है तो सभी ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं और इसका खामियां जा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक अकेले रीवा जिले से 400 वर्षों के पहिए खड़े हो जाएंगे वहीं पूरे संभाग का अगर आंकलन किया जाए तो यह संख्या हजार के आसपास पहुंचने की उम्मीद है। जिससे यात्रियों को काफी दिक्कतें होने की आशंका बन चुकी है। इसका समाधान भी जल्दी होता नहीं दिखाई दे रहा है।
इनका कहना है…
अस्थाई परमिट न जारी होने से रीवा जिले की लगभग 400 बसों के पहिए खड़े हो गए हैं अगर जल्दी ही इसका निदान नहीं ढूंढा गया तो यात्रियों को परेशानी तो होगी ही वही मोटर मालिकों को बैंक आज को दिए जाने वाली किस्त में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
रमेश तिवारी, कोषाध्यक्ष
बस एसोसिएशन जिला रीवा