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राजस्व विभाग में कई बार मिल जाता है लोगों को न्याय, डेढ़ दर्जन लोगों को मिल गई उनके हक की जमीन प्रेशर पॉलिटिक्स दरकिनार, गरीबों को मिली खेती वाली जमीन

मामला नईगढ़ी थाना क्षेत्र के ईटारन गांव का, सालों से लड़ रहे थे मुकदमा
पहले जुगाड़ करके तहसील से करवा लिया था बटवारा आदेश, अब फैसला पलट गया

विशेष संवाददाता, रीवा

अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय त्यौंथर की एक आदेश से यह साबित हो गया कि राजस्व न्यायालय में भी अभी भी लोगों को न्याय मिल जाता है। अधिकांश तौर पर यह शिकायतें आती रहती हैं कि राजस्व न्यायालय में मनमानी तौर पर निर्णय होते हैं जिसकी सिफारिश ज्यादा हो जाती है उसके हाथ पर फैसला दे दिया जाता है। लेकिन एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें 15 लोगों को उनके हक की जमीन उन्हें दिए जाने का आदेश पारित कर दिया गया है। इसके पीछे अनु विभागीय अधिकारी को कई बार प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत परेशान करने का भी प्रयास किया गया जिसमें भी संबंधित नाकामयाब रहे।
यह मामला ईटारन गांव थाना नई गढ़ी का था जो एसडीएम कार्यालय त्योंधर में विचाराधीन था। इस मामले के संबंध में बताया गया है कि 15 पक्षकारों ने इस आशय की शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके परिवार के अन्य लोगों ने गलत तरीके से बटवारा दर्ज कराते हुए लगभग 32 हैकटेयर जमीन खुर्द मुर्द कर दी है। यह अपील एसडीएम कार्यालय में प्रस्तुत की गई थी उसके बाद सभी पक्षकारों को सूचित किया गया था। इस मामले में सबसे पहला तथ्य यह सामने आया था कि हल्का पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में दिया था कि अनावेदक गणों द्वारा सूचना पत्र पर कहीं सूचित होने के हस्ताक्षर नहीं किए गए थे , उसके बाद भी दूसरे लोगों के हाथ में जमीन का बंटवारा कर दिया गया था । इसके अलावा आदेश पत्रिका का अवलोकन करने पर यह पाया गया कि अनावेदक गणों को समय पर न्यायालय में उपस्थित नहीं होने की तर्क पर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए बिना ही बटवारा आदेश पर पारित कर दिया गया था, जो न्यायालय नियम का पालन नहीं होना माना जाता है। इसी क्रम में उत्तर वादी अधिवक्ता ने अपने तर्क के पक्ष समर्थन के जवाब के साथ ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जिससे उत्तर वादी का तर्क प्रमाणित होने से खारिज होने योग्य है। इसी क्रम में यह भी देखा गया कि बंटवारे के पूर्व जो मृतक पक्षकार भूमि स्वामी थे उनका विधिवत वारिसाना नामांतरण के बाद जब खसरा अभिलेख में बारिशों का नाम आने के बाद ही पक्षकार बनाया जाना चाहिए था परंतु निचली अदालत ने नियमों का पालन किए बिना ही बटवारा आदेश पारित कर दिया गया जो निरस्तजी योग्य है। इसी प्रकार प्रकरण में संलग्न फर्द बटॉन मैं सहमति के हस्ताक्षर नहीं होने , साथ ही कटरा नईगढ़ी द्वसडक़ से लगी हुई कीमती आराजी बटवारा सभी खातेदारों के मध्य न किए जाने एवं समान विभाजन न होने से असमान बटवारा होने से संपूर्ण बटवारा कार्यवाही दूषित होने से न्यायालय द्वारा बंटवारा आदेश निरस्तगी योग्य है।
अंत ने अनु विभागीय अधिकारी राजस्व इस निर्णय पर पहुंचा कि उक्त बटवारा आदेश पारित करते समय अधीनस्थ न्यायालय द्वारा हर स्तर पर संगीता की धारा 178 के नियम व प्रक्रिया का उल्लंघन कर आदेश पारित किया है, प्रावधानों के विपरीत होने के चलते पूर्व के आदेश को निरस्त किया जाता है। तथा अपीलार्थी की अपील विधि संगत होने से स्वीकार की जाती है। कुल मिलाकर अब इस फैसले के बाद उन लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई है जो पिछले कई सालों से अपने हक की जमीन को पाने के लिए बेताब थे।
इसी मामले में बहस के दौरान हुई थी मारपीट
उक्त मामला पूरे रीवा जिले का एक चर्चित मामला माना जा रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि इसी मामले की बहस के दौरान अनुविभागीय दंडाधिकारी त्यौंथर फाइल फेंक दी गई थी और वकीलों द्वारा तरह-तरह के आरोप एसडीएम पर लगाए गए थे। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर कलेक्टर को भी दबाव में लेने का प्रयास चारों ओर से किया गया था। लेकिन मामले की हकीकत जानने के बाद कलेक्टर ने भी गंभीरता का परिचय दिया। इस मामले का फैसला आने के बाद उन 15 चेहरों पर अब मुस्कुराहट का दौर है जो अपनी बस कीमती जमीन पाने के लिए लंबे समय से इधर-उधर भटक रहे थे।

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