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अवैध पैथालाजियों का भी मामला विधानसभा में गूंजने की जरूरत, शासन के टैक्स की चोरी के साथ रोगियों के जान के साथ कर रहे खिलवाड़

पैथालॉजी और डॉयग्नोसिस सेंटर की जानकारी आम होना जरूरी
अप्रशिक्षितों के हाथों पैथालॉजी सेंटर, उल्टी सीधी देते हैं जांच रिपोर्ट

नगर प्रतिनिधि, रीवा

चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस और जीएमएच के लिफ्ट से संबंधित सवाल के साथ संचालित अवैध पैथालॉजी के संबंध में भी विधानसभा में सवाल गूंजने की जरूरत है। जिले में संचालित अवैध पैथालॉजी जहां रोगियों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं वहीं शासन के टैक्स की चोरी करने में भी पीछे नहीं हैं।
जिले ही नहीं संपूर्ण मध्य प्रदेश में अवैध नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर संचालित है ताज्जुब की बात तो यह है कि सरकार में बैठे सभी माननीयों और प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसकी बखूबी जानकारी है की स्वास्थ्य विभाग के हालात कैसे हैं अधिकांश निजी अस्पतालें शासन की गाइडलाइन को पूरा नहीं करती हैं तो वहीं कुछ निजी अस्पतालें तो पूरी तरह से अवैधानिक तरीके से संचालित है इससे भी अधिक जो चिंताजनक बात है वह अवैध पैथोलॉजी डायग्नोसिस सेंटर को लेकर कही जा सकती है जो कुकुरमुत्ते की तरह जिला मुख्यालय से लेकर गांव- गांव तक खुली हुई हैं ऐसे अवैध पैथोलॉजी सेंटरों में पैथोलॉजिस्ट कौन है इसका कोई रता- पता नहीं रहता अगर कायदे से जांच की जाए तो पता चलेगा कि एक ही पैथोलॉजिस्ट कई दर्जन पैथोलॉजी सेंटरों की कमाई का जरिया बना बैठा है जो नियम विरुद्ध है लेकिन जानकारी सार्वजनिक नहीं होने के कारण डिजिटल सिग्नेचर से जांच रिपोर्ट देकर जनता को तो ठगा ही जा रहा है सरकार को भी जमकर चूना लगाया जा रहा है इन अवैध पैथोलॉजी – डायग्नोसिस सेंटरों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जेब तो गर्म होती है लेकिन सरकार के खजाने तक रजिस्ट्रेशन और टैक्स का रुपया नहीं पहुंचता है
पैथोलॉजी सेंटरों की जानकारी सार्वजनिक होना जरूरी
जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की कमी नहीं है संभागीय मुख्यालय के अधिकारी क्षेत्रीय संचालक और जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा ब्लाक स्तर पर बीएमओ पदस्थ हैं और इसके क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह अवैध पैथोलॉजी सेंटर संचालित है इन पैथोलॉजी सेंटर में कौन पैथालॉजिस्ट है और लैब टेक्नीशियन कौन है इसकी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए क्योंकि जनता को अधिकार है कि जहां से वह जांच करवा रहे हैं वह पैथोलॉजी लैब शासन के सभी मापदंडों को पूरा करता है कि नहीं वर्तमान युग यांत्रिकी युग है शासन प्रशासन की सभी जानकारी पोर्टल में अपलोड होती हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग की पैथोलॉजी-डायग्नोसिस सेंटरों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तो होते हैं लेकिन कोई आधिकारिक ऐसा पोर्टल स्वास्थ्य विभाग का नहीं है जिसमें जनता को यह आसानी से पता चले की कौन सा पैथोलॉजी सेंटर-डायग्नोसिस सेंटर में पैथोलॉजिस्ट कौन है डिजिटल दुनिया में सबकुछ डिजिटल है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोसिस सेंटर सार्वजनिक रूप से जनता के जानकारी में नहीं है।
टैक्स चोरी और जनता के साथ धोखा
पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोसिस सेंटर की जानकारी डिजिटल युग में जनता के लिए सार्वजनिक नहीं होना जनता को धोखा देने से कम नहीं है तो वहीं ऐसे अवैध पैथोलॉजी और डायग्नोसिस सेंटर से सरकार के टैक्स की चोरी भी की जा रही है जबकि स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों को इतना अधिकार प्राप्त है कि अवैध रूप से कार्य करने वालों पर नकेल कस सकते हैं जिससे कि सरकार की टैक्स चोरी रोकी जा सके और जनता को भी धोखा देने से बचाया जा सके लेकिन जिम्मेदार किसी भी तरह से इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं इससे तो यही मायने निकाले जा सकते हैं कि अवैध पैथोलॉजी- डायग्नोसिस सेंटर तथा अवैध क्लिनिकों को अधिकारियों का ही संरक्षण प्राप्त है और इस अवैध धंधे से अधिकारियों की जेब गर्म हो रही है। सूत्र बताते हैं कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद उसका रिनुअल शुल्क नहीं जमा किया जाता पर्यावरण एनओसी और बायो वेस्ट शुल्क में भी गोलमाल रहता है जबकि ऐसी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां ऑनलाइन सार्वजनिक होनी चाहिए।
विधानसभा में गूंजेगा सवाल
गुढ़ विधायक ने विधानसभा में मेडिकल कॉलेज, संजय गांधी अस्पताल और डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस को लेकर सवाल लगाए हैं। अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1149 के तहत डिप्टी सीएम से ही सवाल पूछे हैं। गुढ़ विधायक इस मर्तबा विधानसभा में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। निजी प्रैक्टिस के कारण अस्पताल में डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते हैं। इनके कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता। संजय गांधी अस्पताल में अधीक्षक और डीन के कई बार निर्देशन के बाद भी व्यवस्थाएं नहीं सुधर रही हैं। डीएमई तक डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस को लेकर अल्टीमेटम दे चुके हैं। फिर भी सुधार नहीं हो रहा है। अब गुढ़ विधायक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर सरकार से सवाल जवाब करेंगे। डिप्टी सीएम ने गुढ़ विधायक ने पूछा है कि क्या चिकित्सा शिक्षा विभाग अंतर्गत पदस्थ चिकित्सक का प्राइवेट प्रैक्टिस करने की अनुमति प्रदान की गई है। इसे संबंधि जानकारी मांगी है।
पहेली बनी है वैध और अवैध की परिभाषा
सोचने वाली बात तो यह है कि वैध्य और अवैध क्या है इसकी परिभाषा क्या है यही प्रश्न पहेली बना हुआ है कि जब हमे यही पता नहीं कि वैध्य कौन है और अवैध कौन है कहने का तात्पर्य यह है कि जब सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक पोर्टल या अन्य डिजिटल प्लेटफार्म में किसी भी संस्था की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है तब ऐसी स्थिति में वैध्य और अवैध को साबित करना और परिभाषित करना काफी जटिल है और ऐसा जानबूझकर निजी लाभ और मुनाफाखोरी के लिए ही किया जाता है जबकि जनता को यह जानने का हक है कि पैथोलॉजी जहां से वह जांच करा रहे हैं इसमें पैथोलॉजिस्ट कौन है लैब टेक्नीशियन कौन है लेकिन कोई भी जानकारी शासन के आधिकारिक पोर्टल वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराई गई है।
कमीशनखोरी नियम कानून पर भारी
चाहे पैथोलॉजी – डायग्नोसिस सेंटर य फिर सोनोग्राफी सेंटर हो सभी जगह जमकर कमीशन खोरी हो रही है जबकि भ्रूण हत्या एक जटिल समस्या है सरकार कागजों में बहुत सारे नियम बनाती है लेकिन अभी तक पकड़े गए किसी सोनोग्राफी सेंटर के चिकित्सक का लाइसेंस कैंसिल नहीं हुए हैं सोनोग्राफी सेंटरों की जानकारी जनता के लिए सार्वजनिक नहीं की जाती इसके पीछे का कारण सरकार की असफलता नहीं बल्कि कमीशन खोरी का आधिपत्य कहा जा सकता है देखा जाए तो किसी भी डायग्नोसिस सेंटर की ऑनलाइन पोर्टल में जानकारी दर्ज नहीं है क्योंकि ऐसी संस्थाओं से चिकित्सकों को मोटी कमाई कमीशन के रूप में मिलती है और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जेब भी गर्म होती है यहां कमीशन खोरी शासन के सभी नियम कानून पर भारी नजर आ रही है।

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