Headlines

न नाम न पता, न गुमास्ता न लाईसेन्स, बेकरी के संचालन में हो रही जमकर धांधली

नगर प्रतिनिधि, रीवा

शहर भर के दर्जन भर अलग- अलग मोहल्ले में बेक्रियों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिनके यहां ब्रेड, टोस्ट, पाव, पिज़्ज़ा बेस एवं अन्य खाद्य सामग्रियों का निर्माण कर शहर के साथ-साथ आसपास के कस्बाई इलाकों में धड़ल्ले से छोटे-बड़े दुकानदारों को सप्लाई की जा रही है। सबसे आश्चर्य की बात यह है इन बेक्रियों का संचालन नियम कायदा को ताक में रखकर किया जा रहा है। जबकि जिला मुख्यालय होने के कारण इन बेक्रियों पर खाद्य विभाग की पैनी नजर होनी चाहिए लेकिन ऐसा महसूस होता है कि खाद्य विभाग या तो जानबूझकर इन बेक्री संचालकों को अभयदान दिए हुए हैं या फिर यह भी हो सकता है कि इन बेक्री संचालकों को राजनीतिक राशूख के चलते जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।
जबकि हकीकत यह है कि ज्यादातर बेक्री संचालकों के पास ना तो गुमाश्ता है ना ही नगर निगम में पंजीयन है ना ही आईएसआई मार्का और ना ही एफ एस एस ए आई का प्रमाण पत्र भी है। इन बेक्रियों में खाद्य सामग्रियों का निर्माण ऐसे किया जाता है जैसे गाय भैंसों को भूसा एवं सानी दी जाती है। इन बेक्रियों में कदम कदम पर गंदगियों का अंबार रहता है। हर जगह मक्खियाँ भिन्न भिन्नति रहती हैं। यहां काम करने वाले वर्कर ना तो दस्ताने का उपयोग करते हैं और ना ही एप्रिन एवं कैप का इस्तेमाल। यह कहना गलत नहीं होगा कि इन बेक्रियों द्वारा निर्मित सामग्री का इस्तेमाल करने वाले लोग धीमे जहर का सेवन कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन ने बेक्री संचालकों के खिलाफ कार्यवाही ना कर किसी बड़ी घटना के होने का इंतजार कर रहा है
इस स्थानो पर संचालित है अवैध बेकरी
वर्तमान समय में शहर के घोघर मोहल्ले में स्थित पुरानी पोस्ट ऑफिस एवं ईदगाह के पास इसके अलावा फोर्ट रोड में स्थित फुसु की टाल के बगल में वहीं रानी तालाब के पास, पीटीएस चौराहा के पास स्थित पुराने यूनियन बैंक के पीछे, शहर से लगे ग्राम जोरी के अलावा, चोरहटा में स्थित उद्योग बिहार में एक दर्जन से अधिक बिस्किट एवं नमकीन की फैक्ट्री सहित आइसक्रीम का निर्माण किया जाता है। इस तरह के कारखाने में जहां एक ओर धड़ल्ले से घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग किया जाता है वहीं कई बेकरिया ऐसी है जो आवासीय मोहल्ले में संचालित हैं और वहां पर बड़ी-बड़ी भट्टी बनाकर लकड़ी एवं कोयले का कभी जमकर उपयोग किया जाता है। जिसकी वजह से सघन आबादी वाले इन मोहल्लों में कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की संभावना हमेशा बरकरार रहती है इन सब के बावजूद जिला प्रशासन सहित नगर निगम का अमला एवं स्वास्थ्य विभाग का अमला कभी भी निरीक्षण करने नहीं जाता जिनसे इस प्रकार के अवैध कारोबार को फलने-फूलने का अवसर मिलता है।
कुछ सालो पहले तक शहर में गिनी चुनी ही बेकरी थी किंतु देखते ही देखते पिछले कुछ वर्षों में शहर में आधा सैकड़ा से अधिक बेकरिया एवं कारखाने का संचालन किया जा रहा है जहां पर धडल्ले से घटिया खाद्य सामग्री का उपयोग कर बिस्कुट, नमकीन, केक, ब्रेड, टोस्ट सहित अन्य सामग्रियों का निर्माण एवं पैकेजिंग कर शहर की छोटी-मोटी एवं बड़ी दुकानों के साथ-साथ जिले भर के ग्रामीण स्थान में धड़ल्ले से सप्लाई किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *