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खुलकर बोले सांसद- मैंने कभी किसी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी नहीं की, सिद्धार्थ के लिए तो कुछ बोला ही नहीं, मैं भी पार्टी फोरम में जाऊंगा

अल्प आय वर्ग समिति का जन्म ही भ्रष्टाचार के साथ हुआ
लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धार्थ ने कई लोगों को भाजपा में जाने से रोका

अनिल त्रिपाठी , रीवा

लोकसभा क्षेत्र रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा बोलते तो सही है, अब वह किसी को बुरा लग जाए तो क्या कर सकते हैं। उनके खिलाफ पार्टी फोरम में एक शिकायत दर्ज हुई है जिसका जवाब भी वह प्रदेश संगठन इकाई को देने वाले हैं। आज भी उन्होंने एक निजी चैनल से जब बात की तो उसी बेबाकी के साथ वह बात करते नजर आए, उनका मानना है सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।
सांसद जनार्दन मिश्रा ने एक यूट्यूब चैनल से चर्चा के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मैंने सिद्धार्थ तिवारी राज का कभी कोई विरोध ही नहीं किया, सिद्धार्थ के खिलाफ कभी एक शब्द बोला नहीं। अब मेरी टिप्पणी को लेकर वह दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं तो मैं क्या कह सकता हूं। जो मैंने बोला वह वर्ष 1995 से बोलने आ रहे थे। फिर उन्होंने जो बोला वह प्रेस का मुद्दा नहीं था। एक सवाल के जवाब में सांसद ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ सरपंचों और नेताओं को पार्टी की सदस्यता लेने से मना किया गया था। उस समय कांग्रेस के नेता रमाशंकर मिश्र जब भाजपा में शामिल हो गए थे तो उनके दामाद के ट्रांसफर को लेकर काफी कुछ बातें कह डाली थी, अब वह मेरे फायदे के लिए काम कर रहे थे या विरोध कर रहे थे यह तो वही बता सकते है। चर्चा के दौरान इन्होंने कहा कि कुछ सरपंचों और कई लोगों को उन्होंने भाजपा में शामिल होने से मना भी किया था। जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी की नीति थी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को भारतीय जनता पार्टी के साथ जोड़ा जाए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह जड़ काटने का काम कर रहे थे या सीखने का यह तो पार्टी जानेगी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की बहू अरुणा तिवारी द्वारा टिप्पणी के मामले पर उन्होंने कहा कि वह उनकी पुत्र बहू है और श्री तिवारी के राजनीतिक वारिस विवेक तिवारी बबला की पत्नी है इसलिए उनका विरोध करना बनता है, जायज भी है। उनके साथ व्यक्तिगत मेरी संवेदनाएं हैं और वह अपना काम कर रही है।
जनपद अध्यक्ष गंगेव विकास तिवारी को भारतीय जनता पार्टी में सदस्यता दिलाए जाने के मामले पर सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा कि वह कांग्रेस में थे लेकिन भाजपा की नीतियों से प्रेरित थे और लगातार हम लोगों से मिलते जुलते रहते थे तथा पार्टी में सदस्यता के लिए प्रयास कर रहे थे। पार्टी में शामिल हुए हैं। इस बीच अल्प आय सोसायटी विवाद से जुड़े होने की बात पर सांसद जनार्दन मिश्र ने कहा कि यह सोसाइटी स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के जमाने से आरोपी से घिरी हुई है। इस समिति का जन्म ही घोटाले के साथ शुरू हुआ है , यहां पर घोटाले ही घोटाले हैं। इस समिति का ना कहीं सर है और न कहीं पैर ।इस की जांच के मामले में उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में जांच है और एजेंसी अपना काम कर रही होगी। इसी बीच विकास तिवारी के सदस्यता मामले पर उन्होंने कहा कि वह तो भाजपा में आप आ गए हैं भाजपा में शामिल होने के लिए काफी संघर्ष किया और मेरी उनको शुभकामनाएं हैं। ( जैसा चैनल में कहा)
उल्लेखनीय है कि भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा की टिप्पणी के बाद उन्हीं की पार्टी के विधायक सिद्धार्थ तिवारी राज ने कमोबेश नाराजगी जताते हुए मामले की जानकारी प्रदेश संगठन इकाई को दी थी और प्रदेश संगठन इकाई ने इस मामले को गंभीरता से लिया था। इस मामले में सांसद जनार्दन मिश्र से प्रदेश इकाई ने जानकारी भी ली है। उधर सूत्रों ने बताया है कि इस मुद्दे पर पार्टी फोरम में जनार्दन मिश्रा अपनी बात रखेंगे। दूसरा मुद्दा यह भी है कि जनार्दन मिश्रा हमेशा सच बोलने के लिए ही जाने जाते हैं, स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के टिप्पणी के मुद्दे पर वह खुलेआम भूल चुके हैं कि मैं तो जो अभी बोल रहा हूं वह पिछले 20 साल से बोल रहा था, इसमें किसी के नाराज होने की क्या बात है। अब किसी के पार्टी में शामिल हो जाने से टिप्पणी थोड़ी खत्म हो जाती है। यह भी सही है कि इस घटनाक्रम को लेकर पार्टी में दो राय है। एक पक्ष यह कह रहा है कि जनार्दन मिश्रा ने कुछ नया बोला ही नहीं, वर्ष 1993 में स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद से भारतीय जनता पार्टी उनको हमेशा आड़े हाथों लिए रहती थी और वही एक मुद्दा चुनाव के दौरान पार्टी उठती थी वही बात एक बार फिर सांसद जनार्दन मिश्रा ने कही है। इसलिए उसका बुरा किसी को नहीं मानना चाहिए। दूसरी और पार्टी का एक पक्ष यह कह रहा है कि अब उनका नाती रीवा जिले की एक विधानसभा क्षेत्र से विधायक बन गया है, सांसद जनार्दन मिश्रा बात तो सही कह रहे हैं लेकिन नाती के भाजपा में शामिल होने के बाद टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। जबकि राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी स्थानीय स्तर पर कांग्रेस का खुलकर विरोध करती रही और कांग्रेस से ज्यादा विरोध उसे समय विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का करती रही है। समीक्षकों का कहना है कि अगर जनार्दन मिश्रा ने पुरानी ही बातों को रिपीट कर दिया तो अन्य को भी आत्मसात करना पड़ेगा। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की स्थितियों को देखते हुए सारे कांग्रेसी अब भाजपाई हो चुके हैं, इसलिए कुछ न कुछ कड़वा सच तो सुना ही पड़ेगा। अब सांसद जी से कौन बोले कि पुरानी बातें छोड़ दीजिए, क्योंकि पुराने समाजवादी और केवल एक थैला लेकर राजनीति शुरू करने वाले जनार्दन मिश्रा को किसी प्रकार का कोई स्वार्थ सिद्ध करना ही नहीं है, और जब स्वार्थ रहेगा नहीं तो आदमी सच बोलेगा ही। कुल मिलाकर चैनल में दी गई टिप्पणी के बाद एक बार फिर मामला गर्म होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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