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सीएमएचओ कार्यालय एक बार फिर आया चर्चाओं में आशा और आउटसोर्स कर्मी की नियुक्ति के नाम पर ठगे जा रहे लोग

सीएमएचओ कार्यालय के कर्मचारी आये दिन खिला रहे नये-नये गुल
एपीएम के छेड़छाड़ मामले के बाद अब आशा और आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती का मामला आया सामने

नगर प्रतिनिधि, रीवा

जिले का मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। मामला आशा कार्यकर्ताओं तथा आउटसोर्स कर्मचारी की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। इस मामले में इस कर्मचारी का नाम सामने आया है जिस पर पिछले दिनों की संजीवनी केंद्र की एक महिला ने दुर्व्यवहार एवं महिला हिंसा का आरोप लगाते हुए विभागीय तथा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। मामला सामने आने के बाद फिर एक बार विभाग ही अधिकारियों तथा कर्मचारियों में हडक़ंप की स्थिति बन गई है।
उल्लेखनीय है कि अभी एक पखवाड़े पहले ही संजीवनी क्लिनिक चिरहुला में काम देखने वाले एपीएम शिव शंकर तिवारी पर यह आप लगी थी कि उनके द्वारा एक आउटसोर्स महिला कर्मचारी के साथ अभद्रता की। महिला ने अपने ऊपर आपबीती विभाग के अधिकारियों को सुनाने के साथ थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिणाम स्वरूप संबंधित एपीएम को वहां से हटा दिया गया था। यह मामला अभी चल ही रहा था कि अब नए सिरे से एक नया मामला सामने आ गया है। आधा दर्जन से ज्यादा आई शिकायतों में कहा गया है कि आशा कार्यकर्ता भर्ती के नाम पर एक एपीएम ने 20 हज़ार रुपए ले लिए हैं। मामले का जब भंडाफोड़ होने लगा तो अब एपीएम रुपए लौटाने की बात कहने लगा है। आरोप है कि उक्त एपीएम विभागीय अधिकारियों से अपने बेहतर रिश्ते बात कर यह वसूली कर रहा था। जो अब सामने आ गया है।
प्रीति नाम की महिला ने किया है शिकायत
पीटीएस चौराहे के पास रहने वाली प्रीति विश्वकर्मा नामक महिला ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि एपीएम द्वारा आशा कार्यकर्ता पद में भर्ती करने के नाम पर 20 हज़ार मांगे थे, नियुक्ति की लालच में आकर उसने पैसे भी दे दिए। अब जब नियुक्ति नहीं हुई तो उसने अपने पैसे मांगे तो शुरुआत में वह ना नुकुर करता रहा। बाद में उनके द्वारा यह कहा गया कि वह पैसे वापस कर देगा लेकिन पैसे अभी तक वापस नहीं किए हैं। इसी प्रकार अन्य पांच महिलाओं ने और शिकायतें दर्ज कराई हैं।
आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में हेरा-फेरी
जिले के खंड चिकित्सालयों में आउटसोर्स कर्मचारी की होने जा रही भर्ती में एक बार फिर घोटाला होने की आशंका जताई गई है सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आउटसोर्स आपेटरों की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा घोटाला होने जा रहा है इस पूरे भर्ती प्रक्रिया में बिना किसी को खबर किए दिनांक 20.09.2024 को महज दो घंटे के लिए गूगल लिंक पोर्टल ओपन कर चुपचाप तरीके से अपने निजी व्यक्तियों का आवेदन कराया गया है जबकि इस पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक कर आवेदन कराना होता है, इस संबंध में जानकारी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों के अलावा किसी अन्य अधिकारी कर्मचारी को नही हो पाई थी। ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए ब्लॉक चिकित्सा अधिकारियों द्वारा अपने चाहतों से आवेदन कराने की बात कही जा रही है बताया जाता है कि महज घंटे के लिए गूगल लिंक पोर्टल खोल कर चुपचाप अभ्यर्थिय आवेदन कर दिया गया है और भर्ती प्रक्रिया में लीपापोती करते हुए मनमानी तरीके से आउटसोर्स कर्मचारी भरे जाने की तैयारी कर ली गई है।
पूर्व में भी हुआ है भर्ती घोटाला
हमारे सूत्रों ने दावा किया है कि जिन अभ्यर्थियों से आवेदन 2 घंटे के अंदर गुपचुप तरीके से कराए गए हैं उन्हीं व्यक्तियों को नौकरी दी जाएगी यही उनकी योग्यता और भर्ती प्रक्रिया का मापदंड रहेगा अन्य व्यक्ति या पूर्व से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी जो इन दो घंटों में गूगल पोर्टल पर आवेदन करने से वंचित रह गए हैं उनकी पात्रता को अयोग्य माना जायेगा हालांकि अब भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए प्रदेश स्तर पर आउटसोर्स कर्मचारी की भर्ती की जा रही है लेकिन आउटसोर्स कर्मचारी की भर्ती करने वाली कंपनी पर भी सवाल उठने लगे हैं इससे पहले रीवा में एक आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती घोटाला हुआ था जहां रीवा शहर के नोडल अधिकारी सहित तत्कालीन सीएमएचओ और अन्य अधिकारियों पर कूट रचना करके आउटसोर्स कर्मचारी की भर्ती करने का आरोप लगा था शिकायत होने पर जांच हुई और जांच में अधिकारियों का भी पाया गया लेकिन अब तक दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कोई। कार्यवाही नहीं हुई और भर्ती घोटाले की फाइल धूल फांक रहीं हैं।
पुराने कर्मचारियों को नहीं मिली वेतन
इस तरह से स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम पर पहली बार आरो हैप नहीं लगे हैं इससे पहले भी कई तरह की अनियमिताओं के आरोप स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर लगते रहे हैं बताया जाता है कि पूर्व में पदस्थ आउटसोर्स कर्मचारियों को कई महीनो तक वेतन नहीं दिया गया है उन बेसहारा, असहाय, आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ नई भर्ती कुठारा घात से कम नहीं है क्योंकि जिन आउटसोर्स कर्मचारियों को 08 महीने से उनका गुजारा भत्ता या उनकी वेतन न मिली हों वह कहां जाएं और किससे फरियाद करें।
स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती करने वाली कंपनी ने यदि ऐसा किया है तो इस भर्ती प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए जिससे कि भर्ती प्रक्रिया में योग्य कर्मचारियों को मौका मिल सके गूगल लिंक ओपन कर दो घंटे में बिना जानकारी साझा किए की जाने वाली भर्ती प्रक्रिया आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ अन्याय की श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली में प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
पूरे मामले को दबाने की भी तेजी से किया जा रहे हैं प्रयास
इस मामले की जानकारी अधिकारियों तक होने के बाद अब मामले को दबाने के प्रयास किया जा रहे हैं तथा संबंधित को स्पष्ट रूप से यह भी कहा गया है कि वह जिनसे भी नियुक्ति के नाम पर पैसे लिए हैं वह उन्हें लौटा दे क्योंकि अब लगातार विभाग की बदनामी होने लगी है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि जिस कर्मचारी पर यह आरोप लग रहे हैं वह शुरू से ही विवादित रहे हैं तथा पूर्व में भी कई आरोप लग चुके हैं। लेकिन पर्याप्त राजनीतिक संरक्षण होने के कारण वह अपनी आदतों से बाज नहीं आ पा रहे हैं।

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