Headlines

‘आवास प्लस’ में सबसे अधिक घोटाला, वास्तविक पात्र हितग्राही तरस रहे, पीएम आवास के नाम पर लुट गये गांव के गरीब

वसूली के लिये तैयार हुई फर्जी सूची
कई वास्तविक गरीबों से हुई वसूली
अब हो रहे योजना के लाभ से वंचित

देवेन्द्र द्विवेदी, रीवा

ग्रामीण क्षेत्रों में एक तरफ कई पात्र हितग्राही पीएम आवास से वंचित हैं वहीं दूसरी तरफ अपात्रों को आवास का लाभ दिया जा रहा है। कई हितग्राहियों का तो सूची में नाम तक दर्ज नहीं हो पाया तो कई ऐसे भी हैं जिनका नाम जोडऩे के नाम पर पंचायत से लेकर जनपदों तक धोखाधड़ी की गई है। नाम जोडऩे के नाम पर गरीबों से वसूली तक की गई और बाद में कहा जा रहा है कि नाम ही सूची में नहीं है। पंचायतों में इस तरह की कई फर्जी सूचियां भी कई लोगों को दी गई जिनमें वंचित गरीबों का नाम दर्ज होने का दावा किया गया था। किन्तु अब पता लग रहा है कि नाम ही गायब हो गया। इससे पता चलता है कि पंचायतों में गरीबों के साथ आवास के नाम पर व्यापक पैमाने पर धोखाधड़ी की गई है।
हर पंचायत में तैयार हुई थी फर्जी हितग्राहियों के सूची
आवास प्लास की बात की जाय तो पता चलता है कि जिले की हर पंचायत में हितग्राहियों की ऐसी-ऐसी सूचियां तैयार कर ली गई जहां कई हितग्राहियों के नाम फर्जी तरीके से जोड़ दिये गये। कई हितग्राहियों की सूचियों मे ंदो दो आईडी मिल रही हैं। जबकि भारत सरकार की बैध सूची में ऐसे नाम नहीं मिल सकते जो पंचायतों ने मनमानी तरीके से अपने-अपने कंप्यूटरों में दर्ज कर रखे हैं। भारत सरकार की सूचियों में जो नाम एक बार फाइनल कर दिया जाता है उसे न तो कोई काट सकता और न ही कोई जोड़ ही सकता है। मूल सूची में तो किसी का नाम जुड़ ही नहीं सकता वह तो एसईसीसी 2011 के अनुसार ही रहेगा। जबकि आवास प्लास में एक समय पर नये हितग्राहियों के नाम जरूर जोड़े गये थे किन्तु उसकी भी एक प्रक्रिया थी और एक समय सीमा निर्धारित की गई थी। उसके बाद आवास प्लस में भी कोई नये नाम नहीं जोड़े गये।
आवास प्लस के नाम पर हुई सबसे अधिक बेईमानी
उल्लेखनीय है कि पीएम आवास येाजना में जब आवास प्लास शुरू हुआ तो उसमें कई हितग्राहियों के नाम पर जोड़े गये। इसके लिये पात्र हितग्राहियों का सत्यापन किया जाना था और सूची में नाम जोड़ा जाना चाहिये था। किन्तु पंचायतों व जनपदों के बीच ऐसा खेल हुआ है कि पात्र गरीब हितग्राही का नाम ही नहीं जुड़ृ पाया जबकि जिस हितग्राही ने नाम जोडऩे के लिये नकद राशि दिया उसका नाम जोड़ दिया गया। बाद में आवास प्लस में नाम जुडऩा ही बंद हो गये। इसके बाद भी पंचायतों में नाम जोडऩे के नाम पर वसूली जारी रही।

अब खुलने लगी पोल, मामला हुआ गंभीर
वर्तमान समय पर पीएम आवास को लेकर अनियमितता की पोल खुलने लगी है। हालांकि आवासों के निर्माण से लेकर अन्य कई मामलों में कई शिकायतें पहले भी हो चुकी हैं और कुछ मामलों में जांच व कार्रवाई भी हुई हैं। यहां तक कि अपात्रों को लाभ देने के कुछ मामलों में वसूली तक हुई है। किन्तु अब जिस तरह से शिकायतों की बाढ़ दिखाई दे रही है उससे पता चलता है कि पीएम आवास योजना में वास्तविक पात्र हितग्राही के साथ भेदभाव किया गया है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है कि जहां गरीबों के पीएम आवास कम बने हुये हैं जबकि अमीरों के घरों के सामने पक्के पीएम आवास बने हुये दिखाई दे रहे हैं। जिनके पास चार पहिया वाहन पहले से थे, जिनके पास पक्के आवास पहले से ही थे, जिनके पास सैकड़ों एकड़ कृषि भूमियों से लेकर शहरों में भी पक्के मकान हैं। जिनके घरों में कई लोग सरकारी नौकरियों में हैं ऐसे कई लोगों को भी पीएम आवास योजना का लाभ दिया जाना समझ से परे हैं।

…तो इसलिये फर्जी सूची हुई तैयार
चूंकि पंचायतों को यह पता था कि किसी भी हितग्राही का नाम जुडऩे के तत्काल बाद तो आवास मिलना नहीं है। इसमें समय लगता है। यही कारण है कि पोर्टल में नाम जुडऩा बंद होने के बाद भी वसूली होती रही और फर्जी सूची तैयार कर, फर्जी आईडी डालकर कई हितग्राहियों को संतुष्ट करने के लिये फर्जी सूचियां तक दे दी गई। उन सूचियों के आधार पर कई लोग यह मान रहे थे उनका नाम जुड़ चुका है। इसलिये आवास का लाभ आज नहीं तो कल मिलेगा ही। किन्तु समय बीतने के बाद जब उन्हें लाभ नहीं मिला और पता किया गया तो अब बताया जा रहा है कि उनका नाम ही सूची में नहीं हैं। जबकि फर्जी सूचियां तैयार करने का खेल पंचायतों व जनपदों में हुआ।
राशि जारी होने के बाद आवास से वंचित गरीबों में बेचैनी
एक लंबे समय से जिन गरीबों को पंचायतों के सरपंच, सचिव व जीआरएस आश्वासन दे रखे थे वे वर्तमान समय पर इसलिये वेचैन हो रहे हैं क्योङ्क्षक पीएम आवास की पहली किश्त ििहतग्राहियों के खातों में जारी कर दी गई है। किन्तु यह राशि उन हितग्राहियों के खातों तक नहंी पहुची जिन्हें आश्वासन दिया जा रहा था, जिनसे आवास के नाम पर कई अभिलेख प्राप्त किये गये थे। जिन्हें बताया जा रहा था कि उनका नाम आवास सूची में दर्ज है। किन्तु आवास की राशि उन हितग्राहियों के खातों में जारी हो गई जिनका नाम तक चर्चा में नहीं था। इसलिये वंचित गरीब अब बेचैन हो रहे हैं। अब उनका नाम ही सूची से गायब कर दिया गया है। इसलिये मामला गंभीर हो जाता है कि फर्जी सूचियों के नाम पर पंचायतों में कितनी वसूली हुई? कितने फर्जी नाम पंचायातों के कंप्यूटरों में जोड़े जा चुके हैं। उन सूचियों की जांच होनी चाहिये। जनपदों में भी यदि इस तरह की फर्जी सूचियां तैयार करवाई गई हैं तो मूल सूची के आधार उन सूचियों की भी जांच होनी चाहिये। हितग्राहियों को जिन सूचियों को दिया गया है उन सूचियों की भी जांच होनी चाहिये। अब देखना होगा कि पीएम आवास योजना में सूचियों को लेकर हुये फर्जीवाड़े की जांच हो पाती है या नहीं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *