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गजब है भाई : 5000 भी ले लेते हैं अपर कलेक्टर ? 2 महीने बाद होना था रिटायर, इसलिए डायरेक्ट बन रहे थे डीलर

रीवा लोकायुक्त की बड़ी कार्यवाही, मऊगंज के अपर कलेक्टर को घूस लेते पकड़ा
मामला पहुंचा मुख्यमंत्री तक, कर दिया सस्पेंड, लोकायुक्त एसपी की हुई सराहना

विशेष संवाददाता, रीवा

कोई बाबू हो या पटवारी चार से 5000 की रिश्वत लेते पकड़ा जाता है तो यह माना जाता है कि छोटा कर्मचारी है 5000 में खुश हो गया होगा। लेकिन जब अपर कलेक्टर स्तर का अधिकारी 5000 की रिश्वत लेते पकड़ा जाता है तो प्रशासनिक अधिकारी भी शर्मा जाते हैं। रीवा लोकायुक्त संगठन की टीम ने नवगठित मऊगंज जिले में एक अपर कलेक्टर को 5000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। खास बात यह है कि उक्त अपर कलेक्टर को अगले दो महीने बाद रिटायर भी होना है। ऐसा लगता है जैसे वह पूरी तरह से जुटे हुए थे कि जितना मामला निपटा सके निपटा ले, उसी निपटाने के चक्कर में आज अपर कलेक्टर साहब खुद निपट गए।
उल्लेखनीय है कि विंध्य के इतिहास में राजस्व विभाग के पकड़े गए सभी अधिकारियों कर्मचारियों में ये सबसे बड़े अधिकारी बताए जा रहे हैं । बताया गया है कि फरियादी रामनिवास तिवारी ग्राम खूझवा तहसील नईगढ़ी जिला मऊगंज द्वारा लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय रीवा में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि बंटवारे के एक मामले में अपर कलेक्टर मऊगंज द्वारा रिश्वत मांगी जा रही है। लोकायुक्त टीम ने शिकायत तस्दीक करते हुए भ्रष्ट अधिकारी को पकडऩे का जाल बिछाया और आरोपी अशोक कुमार ओहरी अपर कलेक्टर जिला मऊगंज 5 हज़ार की रिश्वत लेते पकड़े गए। इसके पहले भी अधिकारी द्वारा फरियादी से 10 हज़ार रिश्वत ली जा चुकी थी। आरोपी अपर कलेक्टर को उनके कक्ष कार्यालय कलेक्टर जिला मऊगंज में पकड़ा गया है।
लोग करते रहे इस तरह की बातें
रीवा और मऊ गंज जिले में जितनी घूंसखोरी होती है उतनी मध्यप्रदेश के 55 जिलों में नहीं होती , लोकायुक्त संगठन की कार्यवाही इस बात का प्रमाण है। राजस्व और थानों में में तो बिना लेन देने के काम नहीं होते आए दिन इस बात की शिकायतें होती हैं। जिस तरह से अपर कलेक्टर के पद पर आसीन अधिकारी इस तरह की रिश्वतखोरी करेगा इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। इससे क्या कल्पना की जाएगी अधिकारियों की मानसिक फितरत क्या हो चुकी है। इससे पूरे राजस्व विभाग में एक नई कालिख पुत गई है। सच्चाई तो यह है कि इतनी छोटी राशि तो अब पटवारी या यातायात के सिपाही भी नहीं लेते, यातायात के सिपाही भी एक गाड़ी गिट्टी पकड़ कर बीस हजार सीधा मांगते हैं । पटवारी बीस हजार सीधे लेते हैं। वैसे अपर कलेक्टर अशोक कुमार ओहरी ने भी बीस हजार में ही सौदा किया था, जिसका एडवांस ले चुके थे, जबरदस्ती वसूली के चक्कर में अब उनका रिटायरमेंट भी गड़बड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर जारी हुआ निलंबन आदेश
इस मामले में प्रदेश की मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को भी जानकारी हुई तो उन्होंने तत्काल ही अपर कलेक्टर अशोक कुमार ओहरी को तत्काल निलंबित करने के निर्देश दे दिए हैं। ट्विटर में कहां गया है कि मध्य प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत रिश्वत लेने के मामले में अशोक कुमार ओहरी अपर कलेक्टर जिला मऊगंज को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश दिया गया है इस प्रकरण में लोकायुक्त द्वारा कार्यवाही की जा रही है नागरिक हितों के खिलाफ कर काम करने वाले किसी भी अधिकारी कर्मचारी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा मध्य प्रदेश सरकार अपने नागरिकों को बेहतर त्वरित और पारदर्शी तरीके से सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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