Headlines

वार्ड नंबर 5 के लिए कल होगी वोटिंग, मतदाताओं के घर-घर पहुंच रहे समर्थक, चुनाव तो बहुत छोटा लेकिन प्रतिष्ठा बड़ी ?

भाजपा और कांग्रेस दोनों लगा रही है जोर, दोनों के नेता लड़ रहे प्रतिष्ठा की लड़ाई
वॉर्ड के भाजपा कार्यकर्ता है परेशान, एक पार्टी है तो दूसरी ओर याराना संबंध
जीते कोई भी लेकिन अंदर ही अंदर भाजपा में चल रहा एक बड़ा खेला

अनिल त्रिपाठी, रीवा

चुनाव कोई भी हो वह महत्वपूर्ण माना जाता है। गांव की पंची हो या शहर की पार्षदी, अपने गुट को जितवाने के लिए हर नेता पूरी ताकत लगा देता है। अब शहर में वार्ड क्रमांक 5 अंतर्गत उपचुनाव हो रहा है, इस उपचुनाव में अपना कब्जा जमाने भाजपा और कांग्रेस जहां पूरी ताकत लगा रही है वही भाजपा को त्याग कर अपनी अहमियत दिखाने एक अन्य प्रत्याशी भी मैदान में है। जिससे यह मुकाबला बहुत ही रोचक माना जा रहा है। 11 सितंबर को वोटिंग होगी और उसके दूसरे दिन परिणाम भी आ जाएंगे। यह चुनाव इसलिए भी चर्चा में आ गया है कि अपने तीन दिन के रीवा प्रवास के दौरान उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी मोहल्ले में पहुंचकर भाजपा के लिए वोट मांग डाले। जिसको लेकर प्रतिक्रिया भी हुई लेकिन उपमुख्यमंत्री के समर्थकों का कहना रहा है कि वह पहले भाजपाई हैं इसके बाद अन्य महत्वपूर्ण पदों पर।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वार्ड क्रमांक 5 में वर्ष 2022 में जब चुनाव हुआ था तो संजय सिंह उर्फ संजू निर्दलीय रूप से यहां का चुनाव जीतकर पार्षद बने थे और उन्होंने तब भाजपा प्रत्याशी अरुण तिवारी मुन्नू को मात दी थी। लेकिन दुर्भाग्य से 4 महीने पहले उनका दुखद निधन हो गया जिसके बाद यह उपचुनाव हो रहा है।
इस बार भारतीय जनता पार्टी ने राजीव शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह बचपन से भाजपा से जुड़े हुए हैं और फिलहाल वार्ड प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे। कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रत्याशी अमित द्विवेदी बेटू पर ही भरोसा जताया है। जबकि इस क्षेत्र से दो बार पार्षद रह चुके अरुण तिवारी मुन्नू पुन: चुनाव लडऩे की इच्छा कर रहे थे लेकिन भाजपा ने जब उन्हें नकार दिया तो एन वक्त पर उन्होंने बगावत करते हुए पार्टी छोडऩे के साथ मैदान में उतरने का निर्णय लिया और भाजपा को बड़ा झटका दिया।
अगर पूरे मामले पर गौर किया जाए तो सच्चाई कुछ और ही है। हमारे सूत्र बताते हैं कि राजीव शर्मा को टिकट दिलाने के लिए पूर्व विधायक के पी त्रिपाठी ने हल्का सा जोर लगाया और टिकट दिलवा पाने में कामयाब हो गए। क्योंकि अरुण तिवारी मुन्नू के बारे में यह माना जा रहा था कि वह पूर्व विधायक के पी त्रिपाठी के राजनीतिक अंदरुनी विरोधी संजय द्विवेदी के अत्यंत करीब हैं। इसी चक्कर में अरुण तिवारी मुन्नू का पत्ता काटा गया।
उधर प्रचार अभियान में राजीव द्विवेदी के पक्ष में स्थानीय कुछ भाजपा कार्यकर्ता साथ चल रहे हैं तो वहीं उनके साथ लंबे चौड़े परिवार के सारे लोग एक साथ जुटे हुए है। उपमुख्यमंत्री ने भी अपने हिसाब से राजीव शर्मा का प्रचार का दिया है। दूसरी ओर अरुण तिवारी मुन्नू के पक्ष में कुछ स्थानीय कार्यकर्ता दबी तरीके से अंदर ही अंदर प्रचार कर रहे है। गत दिवस हुआ विवाद भी इसी चक्कर में सामने आया था। आज भी जब वार्ड का भ्रमण किया गया और कई स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आपस का मामला है, चल रहा है, लेकिन स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि वह किसके साथ हैं। उधर सूत्रों ने बताया है कि सोमवार की रात जो मैसेज भाजपा कार्यकर्ताओं के पास पहुंचा है उसने यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वार्ड क्रमांक 5 में भाजपा की जीत होनी चाहिए। अगले 24 घंटे महत्वपूर्ण है इसलिए सभी लग जाइए।
इस बीच भाजपा के आपसी द्वंद को देखते हुए कांग्रेस की सक्रियता पिछले चार-पांच दिनों से काफी बढ़ी रही। इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी अमित द्विवेदी को किस हद तक मिल पाएगा यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन यह सत्य है कि इस बार का कांग्रेस का प्रचार अभियान इसलिए तुलना में काफी हद तक बेहतर दिखा।

प्रतिष्ठा की लड़ाई , बात यहां तक आई
इस चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से भी जोड़ रहे हैं। जहां तक उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का सवाल है तो इस मामले में उनकी सोच सिर्फ यह है कि भारतीय जनता पार्टी का पार्षद होना चाहिए। लेकिन स्थानीय स्तर के कुछ नेता इसे प्रतिष्ठा पूर्ण लड़ाई मानते हुए पूरी ताकत लगा रहे हैं। इसमें भाजपा का दूसरा गुट भी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। रविवार की रात से सारे बलों का उपयोग करना शुरू कर दिया गया है। ताकि कोई कमी कोर कसर न रह जाए और वोट उनके पक्ष में पड़ जाएं। उधर प्रशासन ने सुरा की दुकाने तो बंद कर रखी है, लेकिन सैकड़ो पेटियों का इस्तेमाल खुलकर हो रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ जगह महात्मा गांधी से सुसज्जित हरे कागज भी वोट हथियाने के लिए गिफ्ट देना शुरू हो चुके हैं। क्योंकि मामला प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है, नेताओं को चाहिए जीत, कीमत चाहे जो भी लग जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *