मामले को लेकर नीचे से ऊपर तक मचा हुआ है हडक़ंप , बीमार शिक्षकों का अब इलाज करेंगी कलेक्टर मेम
शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं दे पा रहे कोई विधिवत जवाब, काउंसलिंग समाप्त होते ही अब सता रहा जांच का भय
संबंधित टीचर कह रहे, हमने नहीं दिया बीमारी का कभी आवेदन, सब दोष मढ रहे कंप्यूटर ऑपरेटर पर
बीमारी से ग्रसित शिक्षकों की जुबानी
हमें कोई बीमारी नहीं हैं: आशा द्विवेदी
मुझे ब्रेन ट्यूमर पेशेंट की लिस्ट में रखा गया है। जबकि, इसके लिए कोई आवेदन भी नहीं किया। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। रोज स्कूटी चलाकर घर से स्कूल आती हूं।
मालुम नहीं था कि मेरा भी नाम फीड है :निधी दुबे
मुझे ब्रेन ट्यूमर नहीं है। मैंने इस बारे में कोई आवेदन नहीं दिया। लगता है कि कोई गलती हुई है। अभी तक मुझे मेडिकल चेकअप के लिए कोई बुलावा नहीं मिला है।
मैने कोई आवेदन नहीं किया है : प्रतिमा दुबे
मुझे मालूम नहीं था कि मेरा नाम ब्रेन ट्यूमर के पेशेंट के रूप में दर्ज किया गया है। मैंने आवेदन नहीं किया था। मुझे नहीं पता कि ये कैसे दर्ज हो गया।
मै विकलांग हूं : उमेश कुमार
मेरे नाम के आगे बीमारी में किडनी ट्रांसप्लांट दर्ज है। हैंडीकैप भी लिखा है। मैं हैडीकैप तो हूं, इसके सारे सर्टिफिकेट भी हैं। लेकिन, किडनी ट्रांसप्लांट नहीं है।
दो दिन पहले हुई जानकारी : पुष्पा वर्मा
मुझे भी ब्रेन ट्यूमर के पेशेंट के तौर पर दर्ज किया गया है। इस बात की जानकारी मुझे 2 दिन पहले ही हुई है। अब तो मैं अपना नाम हटाने की मांग भी कर रही हूं।
विजय पाल सिंह सेंगर कब से पदस्थ: 1987 क्या बोले
मेरा नाम कैसे ब्रेन ट्यूमर के मरीजों की लिस्ट में आया, पता नहीं। नाम हटवाने के लिए एक बार संकुल प्राचार्य से संपर्क भी किया था, लेकिन हट नहीं पाया।
विशेष संवाददाता, रीवा
हायर सेकेंडरी स्कूल बदराव के 11 शिक्षकों को एक साथ ब्रेन ट्यूमर का मामला रीवा ही नहीं पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। विभाग में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है। कोई अधिकारी इस मामले में सही जवाब दे पानी में अपने को अक्षम सा महसूस कर रहा है। उच्च स्तर के अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक मामले की जांच करने की बात कह रहे हैं। हालांकि काउंसलिंग का दौर खत्म हो चुका है, लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हो पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिस स्कूल का यह मामला सामने आया है उसे स्कूल में दो शिक्षक लगातार 34 साल से पदस्थ हैं इसी प्रकार कई शिक्षक 20 साल से और 15 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब अतिशेष शिक्षक के रूप में इनका नाम आया तो पोर्टल में उनके नाम के आगे ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से ग्रस्त होना भी प्रदर्शित होने लगा। जब यह मामला मीडिया में उछलने लगा तो विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे। इस मामले में कलेक्टर से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक जांच की बात कहने लगे। अभी तक किसी ने इस मामले पर ध्यान नहीं दिया था।
सबसे बड़ी बात यह है कि रीवा जिले के स्कूलों में शिक्षकों की काफी कमी है लेकिन हायर सेकेंडरी स्कूल बदराव मैं लगभग 550 छात्रों के बीच में 34 शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। इन सभी शिक्षकों की पदस्थापना के बारे में यह कहा जा रहा है कि अधिकांश राजनीतिक संरक्षण वाले हैं अथवा विभाग से जुगाड़ लगाने वाले। विभाग के अधिकारी भी जरा सी लालच में आकर पदस्थापना करते चले गए और यह नहीं देखा कि कहां शिक्षकों की जरूरत है और कहां नहीं है। लेकिन अपने चाहे तो को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया। अब जब मामला फंस गया है तो अपनी-अपनी बचाने के लिए निचले स्तर के कंप्यूटर ऑपरेटर के हवाले पूरा मामला मढ़ा जाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर मीडिया में यह मामला नहीं उछलता और प्रदेश के अधिकारी संज्ञान में नहीं लेते तो शायद ब्रेन ट्यूमर का पोर्टल में दर्ज होने का फायदा इन सभी शिक्षकों को मिल जाता।
जांच के लिए दिये गये हैं निर्देश
जिले की कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल (आईएएस) ने सिर्फ एक दिन में 10 शिक्षकों का ब्रेन ट्यूमर ठीक कर दिया है। इन सभी शिक्षकों को लंबे समय से ब्रेन ट्यूमर था। प्रतिभा पाल ने 29 अगस्त को कुछ ऐसा किया कि, 30 अगस्त को सभी शिक्षक दौड़-दौड़ कर सबको बता रहे हैं कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर नहीं है। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि एजुकेशन पोर्टल पर जिन टीचरों के नाम के आगे गंभीर बीमारियां दर्ज हैं, उन्हें इसके सर्टिफिकेट देना होंगे। मेडिकल जांच कराई जाएगी। जिन्होंने भी गलत और झूठे आवेदन देकर गंभीर बीमारी का बहाना बनाया है, कार्रवाई करेंगे। जांच के निर्देश दिए हैं।
स्कूल में 557 स्टूडेंट्स पर 34 टीचर
गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, बदराव के प्राचार्य आरके जैन ने कहा- स्कूल में 557 स्टूडेंट्स, 34 टीचर और 1 कर्मचारी है। दो टीचर 37, दो टीचर 26, एक टीचर 14 तो एक अन्य टीचर 10 साल से यहीं पर पोस्टेड हैं। उधर, रीवा जिले में ही 50 से ज्यादा स्कूलों में टीचर्स की कमी है। कई स्कूलों में तो 4-5 टीचर ही पूरी व्यवस्था संभाल रहे हैं।
एक टीचर को ब्रेन ट्यूमर और हैंडिकैप दोनों बताया
इन 6 टीचर्स के अलावा स्कूल में 2018 से पदस्थ विनय कृष्ण तिवारी को भी ब्रेन ट्यूमर बताया गया है। पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने पर वे छुट्टी पर हैं। 1987 से पदस्थ भागवत प्रसाद पांडेय भी ब्रेन ट्यूमर मरीज की लिस्ट में हैं। अदिति सिंह, एमडी सिंह के नाम के आगे भी ब्रेन ट्यूमर दर्ज है। सुधाकर तिवारी के नाम के आगे ब्रेन ट्यूमर के साथ दिव्यांग भी दर्ज है। वे न तो दिव्यांग हैं, न ही उन्हें ब्रेन ट्यूमर है।
जिले में 200 शिक्षकों के नाम के आगे गंभीर बीमारियां दर्ज
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ सहायक संचालक राजेश मिश्रा ने बताया कि जिले में 200 शिक्षक ऐसे हैं, जिनके नाम के आगे अतिशेष शिक्षकों की सूची में गंभीर बीमारियां दर्ज हैं। जिले के हर ब्लॉक से ऐसे मामले हैं।