डीएड बीएड कॉलेज भी सीबीआई के रडार पर
एपीएस के अंतर्गत आने व ाले कई डीएड और बीएड कॉलेज संचालित हैं झोले में
शिक्षा के नाम पर छात्रों का भविष्य कर रहे हैं बरबाद
नगर प्रतिनिधि, रीवा
नर्सिंग, डीएड और बीएड महाविद्यालयों की जांच करने के लिए सीबीआई टीम के सतना पहुंचने की खबर लगते ही जिले में संचालित निजी नर्सिंग कॉलेज तथा डीएड तथा बीएड कॉलेज के संचालकों को सांप सूख गया है। इनमें इस बात का भय समा गया है कि कभी भी सीबीआई की टीम रीवा में दबिस देकर झोलाओं में संचालित महाविद्यालयों पर शिकंजा कस सकती है। इतना ही नहीं सतना में सीबीआई जांच दल के आने की सूचना से विश्वविद्यालय प्रबंधन भी डरा हुआ है क्योंकि डीएड और बीएड कॉलेज जमीं पर संचालित हैं या नहीं इसके सत्यापन की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के निरंतर संबंद्धता समिति की होती है।
नर्सिंग कॉलेज संबंधी जांच के लिए सीबीआई की टीम इन दिनो सतना के सर्किट हाउस में डेरा डाले हुए है। उक्त संबंध मे उच्च न्यायालय ने पूर्व की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा पाया था तथा पुन: जांच के निर्देश दिए थे। सीबीआई की टीम पिछले सप्ताह भर से दस्तावेज, गाइडलाइन और पालन संबंधी बिंदुओं की प्रतिपूर्ति खंगाल रही है तो वहीं प्राइवेट कालेज संचालकों की सांस फूली हुई है। दरअसल ज्यादातर प्राइवेट संचालक माफिया प्रवृत्ति के हैं जिन्हें शिक्षा और शिक्षा की नीति से कोई लेना देना नहीं, वह केवल पैसे का दुरुपयोग कर फर्जीवाडे के आधार पर मान्यता लेना और फिर उस पैसे के बदले कई गुना पैसा छापना जानते हैं। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में ही सीबीआई को भारी गड़बड़ी देखने को मिली है जिन्हें बिंदुवार संकलित किया जा रहा है जिससे कई प्राइवेट कालेज संचालक, प्रबंधक और प्राचार्य जैसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी अपने आप को सलाखों के पीछे देखने लगे हैं।
डीएड बीएड कॉलेजो ने किया महाघोटाला
सूत्रों की माने तो डीएड बीएड कॉलेज संचालकों ने पूरे प्रदेश में नियमों की अवहेलना और भ्रष्टाचार की सारी सीमा पार कर रखी है। डीएड बीएड कॉलेज की मान्यता, स्टाफ, प्रवेश, स्कॉलर आदि से संबंधित करीब बीस से अधिक बिंदुओं की जांच का पुलिंदा भी सीबीआई के पास है जिसे पिछले महीनों से शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत से जोडक़र देखा जा रहा है तो दूसरी ओर कुछ सूत्रों का कहना है कि उक्त जांच भी सीबीआई न्यायालय के निर्देश पर ही कर रही है। ज्ञात विंध्य क्षेत्र में डीएड और बीएड के कुछ कॉलेज ऐसे खुले हैं जो वास्तव में है ही नहीं यानी झोला और मोबाइल में चल रहे हैं तो कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं जो मान्यता किसी दूसरी जगह के नाम पर ले रखे हैं तथा सिटी ऑफिस के नाम पर दूसरी जगह कॉलेज चला रहे हैं। जिले साहित 80त्न से अधिक कॉलेज एनसीटीई और उच्च शिक्षा विभाग की गाइडलाइन में खरे नहीं उतर पा रहे हैं। एपीएस रीवा के अंतरगत आने वाले काई डी.एड और बेड महाविद्यालय सीबीआई के सीधे रडार में माने जा रहे हैं।
दर्जन भर डीएड बीएड कालेजों द्वारा फर्जी आधार पर मान्यता प्राप्त करने, फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति दिखाकर चौकीदार और चपरासी से कॉलेज चलवाने, शुल्क वसूल कर छात्रों को भगवान भरोसे छोड़ देने, बिना नियमित उपस्थिति और कॉलेज लगने के ही फर्जी पीएमएस स्कॉलरशिप और आवास स्कालरशिप दिलाने, बाहरी राज्यों के अवैध प्रवेश लेकर फर्जी उपस्थिति एवं बिना सीसीई प्रैक्टिकल परीक्षा के फर्जी अंक चढ़ाने, फर्जी डाइस कोड भरकर परीक्षा फॉर्म अग्रेषित करने, फर्जी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बनाने, फर्जी अंक सूची छापने सहित अनेक गंभीर शिकायतों का पुलिंदा सीबीआई के पास है। अनुमान लगाया जाता है अगर जांच जारी रही तो दर्जन भर से अधिक संचालक, प्रबंधक और फर्जी प्राचार्य का जेल जाना सुनिश्चित है।
छात्रों का कर रहे भविष्य चौपट
शिक्षा के मंदिर की आड़ में माफिया गिरी कर रहे कॉलेज दलाल अथवा अन्य माध्यमों से चिकनी चुपड़ी बातें, प्रलोभन देकर सीट भरने में कामयाब हो जाते हैं किंतु बाद में सभी छात्रों से मोटी रकम वसूल कर उन्हें चौकीदार के हवाले कर दिया जाता है, एकमात्र लक्ष्य शुल्क वसूली को ही कॉलेज चलाना मानकर बेशर्मी पूर्वक धाक से कॉलेज चलाए जा रहे हैं। अगर कोई छात्र नियमित कक्षा लगाने, यूजीसी एनसीटीई की गाइडलाइन के शिक्षकों द्वारा पढ़ाई करवाए जाने को लेकर अनुरोध करता है तो उसे फेल कर देने की धमकी देने हेतु कॉलेज बदनाम हैं। ज्यादातर कॉलेजों के पास गाइडलाइन की बिल्डिंग नहीं है किंतु जिनके पास कुछ कमरे है भी वे उसका दुरुपयोग धान गेहू भूसा बालू गिट्टी सीमेंट रखने किराया से उठाने जैसे अन्य अवैध कार्यों में कर रहे हैं करीब करीब ज्यादातर कॉलेज के पास लैब लाइब्रेरी सहित बिल्डिंग नहीं है।