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आखिर फंस ही गया शिक्षा विभाग का रिश्वतखोर बाबू दयाशंकर अवस्थी, रिटायर्ड शिक्षक से बकाया भुगतान के लिए मांगे थे डेढ़ लाख रुपए, 50 हजार में हुए ट्रेप

नवंबर 2022 से बीईओ कार्यालय के चक्कर लगा रहा था सेवा निवृत्त शिक्षक
बिल बनाने के नाम पर बाबू कर रहा था परेशान, थक हार कर दजऱ् कराई शिकायत

विशेष संवाददाता, रीवा

भ्रष्टाचार कर, लोगों को परेशान कर अवैध रूप से कमाई करने वालों को अभी भी किसी प्रकार का डर भय नहीं रहता है। लगातार ट्रैप की कार्यवाही होने के बावजूद वह अपनी दबंगई दिखाते हुए लोगों को परेशान करते हैं और जबरदस्ती वसूली का प्रयास करते हैं। जब फंस जाते हैं तो मुंह छुपाते हुए चारों ओर इस बात के लिए गिड़गिड़ाते हैं कि उन्हें बचा लो। ऐसा ही दृश्य आज जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर रायपुर कर्चुलियान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने देखने को मिला, जहां एक सेवानिवृत्त शिक्षक को रिश्वतखोर बाबू ने उक्त स्थल पर बुलाया था। लेकिन लोकायुक्त की चौकन्नी टीम ने शातिर बाबू को वहीं पर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। उसे वक्त वह 50000 की रिश्वत ले रहा था।
शुक्रवार की दोपहर की गई कार्रवाई के बाद अकाउंटेंट दयाशंकर अवस्थी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। इस संबंध में बताया गया है कि गत दिवस रायपुर कर्चुलियान, सुरसा गांव के रहने वीरेंद्र कुमार शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि वह शिक्षा विभाग से सेवानिवृत हो चुके हैं। सेवा में रहते हुए अर्जित अवकाश का बिल लगाने की एवज में अकाउंटेंट दयाशंकर अवस्थी डेढ़ लाख रुपए रिश्वत की मांग कर रहे हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय रायपुर कर्चुलियान में पदस्थ अकाउंटेंट की शिकायत की जांच करने के बाद शिकायत प्रमाणित पाई गई। शुक्रवार की देर दोपहर लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए उक्त अकाउंटेंट को 50 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस अकाउंटेंट के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीकृत उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है।
अकाउंटेंट दयाशंकर अवस्थी शिकायतकर्ता वीरेंद्र कुमार शर्मा से उसके रिटायरमेंट के पश्चात अर्जित अवकाश नगदीकारण के बिल ट्रेजरी में लगाने के एवज में रिश्वत मांग रहा था। इस बात का सत्यापन लोकायुक्त संभाग रीवा के पुलिस अधीक्षक द्वारा कराया गया। इस पर पता चला कि आरोपी दयाशंकर अवस्थी द्वारा शिकायतकर्ता वीरेंद्र कुमार शर्मा से डेढ़ लाख़ रुपए रिश्वत की मांग की गई। इसमें से आज पहली किस्त 50 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ट्रैप किया गया है। लोकायुक्त संगठन की इस कार्यवाही में प्रवीण सिंह परिहार उप पुलिस अधीक्षक, प्रमेंद्र कुमार उप पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक राजेश खेड़े सहित 15 सदस्यीय टीम शामिल रहे।
बहुत परेशान किया इसने…
इस मामले में सेवानिवृत शिक्षक वीरेंद्र कुमार शर्मा निवासी सुरसा खुर्द ने चर्चा के दौरान बताया कि रिटायरमेंट के बाद बीईओ कार्यालय का यह बाबू बहुत परेशान किया। अकेला मैं नहीं हूं, अन्य सेवा निर्मित कर्मचारी भी इसी तरह भटकते रहते हैं। जिन्हें बगैर सेवा शुल्क के लिए उनके स्वत्वो का भुगतान नहीं मिल पाता है। इन्होंने आपबीती सुनाते हुए बताया कि नवंबर 2022 में वह रिटायर हुए थे। लगातार बीमार भी रहते हैं, ज्यादा कहीं आ जा नहीं पाते हैं। उसी का फायदा यह लोग उठा रहे थे। इन्होंने बताया कि नगदी करण अवकाश का 6 लाख़ रुपए से ज्यादा का बकाया भुगतान होना था इसी प्रकार 7वे वेतनमान का एरिया भुगतान बकाया था जिसको लेकर बार-बार अडंगा लगाया जा रहा था। जब मैंने बात की तो उन्होंने कहा कि 1 लाख़ 60 हज़ार का सेवा शुल्क दे दिया जाए तो यह सब कुछ फटाफट निपट जाएगा। बाद में डेढ़ लाख में समझौता हुआ। इसकी शिकायत मैंने लोकायुक्त संगठन में कर दी। मैं बहुत आहत था और मानसिक रूप से प्रताडि़त था जिसके चलते मैंने यह कार्रवाई कराने का फैसला किया। आज 50 हज़ार जब मैंने दिया तो लोकायुक्त संगठन ने इन्हें ट्रेप किया। इन्होंने कहा है कि अन्य सेवानिवृत्ति लोग भी ऐसे कर्मचारियों के चक्कर में परेशान रहते हैं, जिन्हें कुछ तो नसीहत मिलेगी।
डीईओ ऑफिस का भी बाबू हो चुका है ट्रैप
शिक्षा विभाग के जहां कुछ शिक्षक शराबखोरी करके शिक्षा विभाग को कलंकित कर रहे हैं वहीं बाबू अमला रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त के हाथों चढ़ रहे हैं। उक्त मामले के पहले डीईओ कार्यालय में पदस्थ रहे बाबू विजय शर्मा को एक शिक्षक के निलंबन से बहाली आदेश को लेकर ५ हजार रिश्वत लेते लोकायुक्त ने रंगे हाथ पकड़ा था। अगर यूं कहा जाय कि रिश्वतखोरी के मामले में शिक्षा विभाग अन्य विभागों को पीछे छोड़ते हुए इस समय पहले पायदान में है तो कोई अतिसंयोक्ति नही कहलायेगा। बढ़ते रिश्वतखोरी के मामले में सही ढग़ से अगर खोज-बीन की जाय तो शिक्षा विभाग में बैठे आला अधिकारी भी इस रोग से प्रभावित मिलेगें। ऐसा नहीं है कि रिश्वत में ली जाने वाली लंबी रकम को सिर्फ बाबू अमला पचा जाता है बल्कि हकीकत यह है कि इसमें अधिकारियों का भी आधे से अधिक का हिस्सा होता है और बली का बकरा छोटेे कर्मचारी बन जाते हैं।
विभाग साध लेता है चुप्पी
शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी का मामला इसलिए भी बढ़ रहा है कि रिश्वत लेते पकड़े गये कर्मचारियों के विरूद्ध विभाग कोई सख्त कार्यवाही नहीं करता। जबकि अन्य कुछ विभागों में देखने को मिलता है कि लोकायुक्त के रडार में आने के बाद संबंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाता है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी रिश्वतखोर कर्मचारियों को बचाने के प्रयास में रहता है।
विजय शर्मा आज भी डीईओ आफिस में
डीईओ ऑफिस में पदस्थ बाबू विजय शर्मा को लोकायुक्त की कार्यवाही के बाद विभाग निलंबित न करके कार्यवाही के नाम पर मनगंवा सीएम राइज स्कूल के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था लेकिन वास्तविकता यह है कि यह आदेश सिर्फ औपचारिक था और आज भी विजय शर्मा डीईओ कार्यालय में काम कर रहा है तथा अपनी पुरानी आदतों से वाज नहीं आया है।

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