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दुर्घटनाओं का ग्राफ बरकरार, व्यवस्था हवा हवाई सोहागी पहाड़ की सडक़ हुई दो फाड़!

अंतिम घाटी के मोड में पहाड़ के ऊपर से धसक रहे बड़े-बड़े पत्थर
बाइक वाले रोज फिसल रहे, सडक़ बाटी दिख रही दो पार्ट में
रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने निर्माण मामले में किए थे कई खुलासे

विशेष संवाददाता, रीवा

राष्ट्रीय राजमार्ग अंतर्गत मनगवा से प्रयागराज के बीच चाकघाट के निकट सोहागी पहाड़ एक बार फिर दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहा है। सडक़ जहां जर्जर हो चुकी है वहीं अंतिम घाटी के बीच में पहाड़ से बड़े-बड़े पत्थर गिरकर बीच सडक़ में आ रहे हैं। कई जगह नालियां टूटकर पूरा पानी सडक़ में फैल रहा है वही कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण सडक़ दो पार्ट में फटी हुई दिख रही है। बाइक वाले बड़ी मुश्किल से पहाड़ पार कर पा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बस ट्रक वाले बड़ी हिम्मत के साथ धीरे-धीरे यह पहाड़ क्रॉस करते हैं।
गौरतलब है कि बीते साल जब लगातार दो बड़ी दुर्घटनाएं हुई थी और एक ट्रक में स्वर 16 लोगों की मौत हो गई थी जबकि दूसरी बस दुर्घटना में पांच लोगों की मौत हुई थी तो प्रशासन ने लगातार 2 महीने तक सोहागी पहाड़ के सुधार के लिए कवायद की थी। प्रशासन के निर्देश पर एनएमआरडीसी लगातार सर्वे करवा रहा था तो वही दूसरी ओर इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा से जुड़े विशेषज्ञों के दल में सोहागी पहाड़ मैं निर्माण के दौरान हुई कमियों को एक-एक मीटर तक तलाशने में जुटा रहा। दिन बीतते गए, अधिकारी भी बदल गए और प्रशासन सोहागी पहाड़ मैं व्याप्त अवस्थाओं को ठीक करना भी भूल गया। अब एक बार फिर से वही स्थिति आती हुई दिखाई दे रही है जिस पर अभी तक किसी की नजर नहीं पड़ी है। खास बात यह है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों का उस मार्ग पर आना-जाना बहुत कम होता है, लिहाजा उस ओर कोई ध्यान भी नहीं देता।
बताया गया है कि नेशनल हाईवे अंतर्गत सोहागी पहाड़ की स्थिति दिन व दिन बदतर होती जा रही है। सडक़ मार्ग में नाली नुमा गड्ढे बने हुए हैं जो और खराब स्थिति में जा रहे हैं, सडक़ में पानी जमा होने और कीचड़ की स्थिति में दो पहिया वाहन फिसलने का खतरा बढ़ जाता है तो वहीं बड़े वाहन भी सडक़ के बड़े गड्ढों के चक्कर में अपना संतुलन खो देते हैं, ऐसे में पूर्व की तरह सडक़ दुघर्टनाओं का खतरा बना हुआ है। ऐसे में एक बार फिर बंसल कंपनी द्वारा बनाई गई सोहागी पहाड़ की एमपीआरडीसी की एनएचएआई सडक़ फिर चर्चा में है।
जो स्थितियां बनती जा रही है उसे यह दिखाई दे रहा है कि मौत की घाटी के नाम से कुख्यात सोहागी पहाड़ एक बार फिर दुर्घटनाओं के इंतजार में बैठा हुआ है। सोहागी पहाड़ की इस कुख्यात सडक़ का पुराना इतिहास काफी भयावह रहा है। आरटीआई से प्राप्त जानकारी अनुसार यहां अब तक हजारों दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिसमे सैकड़ों मासूमों की जानें जा चुकी हैं और हजारों घायल हो चुके हैं। मानसून का सीजन है और एमपीआरडीसी द्वारा बनाई गई इस नेशनल हाईवे सडक़ पर एक बार फिर नालीनुमा आकृतियां और खतरनाक गड्ढे बन गए हैं जिससे वाहन अनियंत्रित होकर घाटियों से टकरा जाते हैं अथवा एक दूसरे से भिड़ जाते हैं जिससे आए दिन सोहागी घाटी में दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सोहागी पहाड़ में दुर्घटनाओं का इतिहास दशकों पुराना है पर जब से यह नई एमपीआरडीसी सडक़ बनाई गई है तब से विशेष तौर से अधिक दुर्घटनाएं देखने को मिल रही हैं। तकनीकी तौर पर देखा जाय तो सडक़ की सही डिजाइन और ज्योमेट्री न बनाए जाने के कारण यह ज्यादातर दुर्घटनाएं हो रही हैं।
आर टी आई से हुए थे सनसनीखेज खुलासे
इस मामले को पहले भी सामाजिक कार्यकर्ताओ ने उठाया था और इस पर कई आरटीआई भी दायर की थीं, जिसके बाद काफी सनसनीखेज खुलासे हुए थे। मामले पर इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा के प्रोफेसर की अध्यक्षता में जांच टीम भी गठित हुई थी। उनकी जांच रिपोर्ट में सडक़ निर्माण संबंधी कई खामियां भी प्रकाश में आईं लेकिन सब ठंडे बस्ते में डाल दी गई। तत्कालीन एडीएम शैलेंद्र सिंह की अगुआई में मामले की मजिस्ट्रियल जांच भी गठित की गई लेकिन कहां दफन हो गई किसी को कोई पता नहीं।
निर्माण कंपनी के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई
इन सबके बाबजूद भी मामला शांत नही हुआ और समय समय पर होती रही दुर्घटनाओं के बीच सोहागी पहाड़ में निर्माण करने वाली कंपनी के कारनामों के चर्चे भी होते रहे। जहां टोल वसूली में बंसल कंपनी कोई कसर नहीं छोड़ती, वहीं सडक़ सुरक्षा और दुर्घटनाओं पर चुप्पी साधे रहती है। बड़ा सवाल यह है कि निर्माण कम्पनी पर कार्यवाही करेगा कौन? लगातार यह आरोप लग रहे हैं कि कार्यवाही करने वाले शासन प्रशासन पर बैठे अधिकारी तो पहले ही बिक चुके हैं?

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