Headlines

कब करवा पायेगा प्रशासन अपने आदेशों का ही पालन, जो खा गये वे मजे में, निर्णय के बाद भी करोड़ों की वसूली में विलंब क्यों?

आरआरसी के प्रकरणो का हाल
73 प्रकरणो की सूची हो गई है जारी
तहसीलदार को भी लिखा गया पत्र
मामला जनपद क्षेत्र त्यौंथर का
एक साल के प्रकरणों का यह है हाल

सिटीरिपोर्टर, रीवा

ग्रमीण विकास में विभिन्न जनपदों में ग्राम पंचायतों के सरपंचों के खिलाफ वसूली के कई प्रकरण लंबित हैं। सुनवाई हो चुकी है और तहसीलदार को वसूली करनी है। कलेक्टर रीवा के द्वारा तहसीलदारों को वसूली के संबंध में निर्देश दिये जाते हैं, बेठकों में भी निर्देशित किया जाता है किन्तु इसके बाद भी आरआरसी के तहत वसूली की कार्रवाई तहसीलों में नहीं होती। इससे समझा जा सकता है कि तहसीलों में शासन के राजस्व की वसूली का लेकर वहां के जिम्मेदार अधिकारी गंभीर नहीं हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल जनपद त्यौंथर क्षेत्र के ही 73 वसूली प्रकरणो को देखा जाय तो करोड़ों की वसूली वर्षो से लंबित है। जहां बार-बार केवल पत्र जारी हो रहे हैं। हालत यह है कि ग्राम पंचायतों में धारा 40/९२ के तहत निर्णीत प्रकरणों में वसूली की कार्यवाई के लिये बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी तहसीलदारों द्वारा लापरवाही की जाती है। इसके लिये तहसीलदार त्यौंथर को कलेक्टर रीवा से कई पत्र जारी किये जा चुके हैं। अब पुन: दिनांक 10 जुलाई को पत्र जारी कर आरआरसी के माध्यम से वसूली करने के निर्देश दिये गये हैं।
इन ग्राम पंचायतों से होनी है वसूली
जिला पंचायत से जारी सूची के अनुसार त्यौंथर क्षेत्र के जिन पंचायतों के तत्कालीन सरपंचों से वसूली की जानी है उनमें श्रीमती सियावती साकेत कोराव 1532790, गोंदखुर्द श्रीमती कलावती आदिवासी 102500, फरहदी श्रीमती देवकल 86037, कमलेश्वर सिंह कुर्मी 50 हजार, टगहा श्रीमती बिटोल 40650, कमलेश कुमारी 173193, रेखा देवी 393493, चौखड़ा मोतीलाल 139045, पन्नालाल 640469, मझगवां, श्रीमती कोईली 500841, विजय कुशवाहा 102740, कुठिला ंगगाधर 686022, अमावं श्रीमती रतन देवी 224000, छंगूलाल कोरी 24754, डाढक़ला श्रीमती गायत्री देवी 329500, लालजी कोल, 51979, बड़ागांव प्रभाकर सिंह 106722, गंगतीरा शिवदुलारे यादव 17428, पडि़वार श्रीमती विद्यवती तिवारी 25000, श्रीमती उमेशकली 12482, जमुई श्रीमती सुनीता त्रिपाठी 19592, चुनरी श्रीमती केशा देवी 45144, गोंदकला श्रीमती निर्मला देवी 528642, झोटिया श्रीमती शिवराजकली साहू 365917, कैथीपचकठा विधि कोल 33544, कुडऱी श्रीमती मंगलिया भुर्तिया 3640, तुर्कागोंदर कुशमकली 103123, परसिया कामता प्रसाद 182765, पनासी श्रीमती आशा सिंह 231266, लखवार श्रीमती श्यामकली जैसवाल 88396, गढ़ी श्रीमती सरिता देवी हरिजन 9157, बरेतीकला प्रभुनाथ 62694, सोहरवा बुद्धिमान 25000, देही रामश्रय 540935, रिसदा सुरसरी प्रसाद 108552, भुअरी त्रिपाठी 26509, खाम्हा संगमलाल कोल 43976, पुर्वामनीराम 109996, अंजोरा ज्योत्सना देवी 64560, रामगरीब कोल 89948, दुआरी कौशिल्या कोल 43763, डीह अंजाना सिंह 132402, वनवारी लाल 63800, सूती संतोषदेवी हरिजन 149814, नौबस्ता कौशिल्या आदिवासी 116732, अतरैला रूपा देवी 349749, रूकमणि रमण प्रताप सिंह 75000, पटहट शैलकुमारी कुर्मी 410500, बरूआ कौशल्या कोल 940303, बुदामा रामाश्रय 150945, घटेहा रामधनी 282721, सत्यभामा 321056, रामजी यादव 194415, पंछा सूर्यकली 24034, संतलाल कोल 101080, ढखरा मुन्नीलाल कोल 40000, लक्षमिनिया 87809, चंदपुर मौजीलाल 158461, रामकृपाल 233472, कोनियांकला रामनरेश 120533, अंजोरा गलसबा बेगम 57925, रिसदा छविलाल कोल 32361, सरूई गुलाबचंद यादव 102000, सूती संतोष देवी हरिजन 149814, सोहागी गीता आदिवासी 97724, नौबस्ता कौशिल्या आदिवासी 116372, घटेहा रामजी यादव 365000, कोटराकला श्रीमती सरस्वती सिंह 149581, बारीकला श्रीमती ऊषादेवी पाल 222540, रेही श्रीरामश्रय हरिजन 565526 के खिलाफ आरआरसी के तहत वसूली की जानी है।
अन्य जनपदों का भी यही हाल, वसूली में हीला-हवाली
ये तो एक जनपद की एक सूची है जो प्रकाश में आई है। इसी तरह से पता नही और कितनी सूचियां होंगी जिनमें वसूली नहीं हो पाई। अन्य जनपदों के पंचायतों को भी देखा जाय तो पता चलेगा कि कई करोड़ की राशि जो भ्रष्टाचार में उजागर हो चुकी है और जिन प्रकरणों में सुनवाई पूरी हो चुकी है उनमें भी वसूली को लेकर हीला हवाली की जा रही है। उपरोक्त सूची वर्ष 2020-21 के प्रकरणो से संबंधित है। इसी तरह से अनुमान लगाया जा सकता है कि पांच वर्षो के कार्यकाल में जहां करोड़ों की राशि विकास के नाम पर विभिन्न योजनाओं से जारी होती है वहां उसका किस तरह से दुरूपयोग किया जाता है। अधिकांश राशि भ्रष्टाचार में डूब जाती है जहां फिर शिकायतें, फिर जांच और फिर सुनवाई के नाम पर कार्रवाई चलती रहती है। जबकि भ्रष्टाचारी नये-नये कारनामे करते चले जाते हैं। ग्राम पंचायतों की तस्वीर नहीं बदल पाती। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कोई प्रभावी तंत्र नही है। कई बार तो ऐसे भी मामले प्रकाश में आते हैं जहां भ्रष्टाचारियों की प्राथमिक जांचो में जब कई लाख की वसूली प्रस्तावित की जाती है तो उसे भी कम करवाने के लिये षडय़ंत्र करवाये जाते हैं। जहां बार-बार जांचो के नाम पर दूसरी और तीसरी जांचे होती रहती हैं जब तक कि भ्रष्टाचार की राशि सीमित दायरे में कम से कम न हो जाय। इसलिये जांचों व कार्रवाईयों को लेकर भी ईमानदारी दिखाई नहीं देती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *