शिवेंद्र तिवारी

हाथरस में 50 मरे… नहीं नहीं 70 से कम नहीं हैं, क्या बात करते हो डीएम ने अभी पुष्टि नहीं की है। डीएम न करे तो न करे उन्होंने 122 की गिनती की है… ये आंकड़े कल लोगो की चर्चा पर थे लेकिन आंकड़े महज गणित की संख्या नही हैं, बल्कि कल सुबह तक चलते फिरते लोग थे, को शाम तक लाश में तब्दील हो चुके थे। लाश में क्यों..??? क्योंकि सत्ता के दरबार से आस्था की अंधभक्ति को पोषित करने वाली अघोषित छूट और पल्लवित करने वाला वरद हस्त मिला हुआ है जिसमे फलने फूलने वाले कथित संत आस्था का कारोबार कर करोड़ो का माल इक्कठा कर अपनी संपत्ति बढ़ा रहे। अंधभक्ति में डूबे लाखों लोगों को अध्यात्म की आड़ में “लूटने” का काम कर रहे हैं। लूटी जा रही है उनकी जिंदगी, लूटी जा रही है उनकी श्रद्धा, लूटा जा रहा है उनका विश्वास, लूटा जा रहा है उनका चैन और खड़ा किया जा रहा छद्म ढोंग का साम्राज्य। खुद को ईश्वर या उसके बाद की शक्ति के रूप में स्थापित करने वाले ये बाबा सिर्फ संपत्ति के पूजक है। न इन्हे धर्म का पता है न अध्यात्म का, सिर्फ रुपयों की गमक और सिक्को की खनक से मोह है। हर आयोजन के पीछे की कहानी अगर पता करेंगे तो ज्ञात होगा की आयोजक को कितने गांधी कुर्बान करने पड़ते है इनके कार्यक्रम के लिए।
आज बात हो रही है भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ सूरज पाल की। जिसके सत्संग में 122 लोग में गए। ये सत्संग नहीं गैर इरादतन हत्या है जो बिना व्यवस्था के जोड़ी गई भीड़ को मरने के लिए छोड़ दिया गया। पहला दोषी तो वो है जिसने इस कार्यक्रम को बिना रूपरेखा, तैयारी और इंतजामात का जायजा लिए अनुमति दी। दूसरा दोषी वो है जिसने आयोजन की अनुमति हासिल करने के बाद आवश्यक व्यवस्था नही की। सबसे बड़ा दोषी वो है जिसने स्वयंभू बनते हुए ईश्वर से साक्षात्कार का ढोंग फैला लोगो को बेवकूफ बनाया और इससे भी बड़ी दोषी वो सत्ता है जिसे पता है की ईश्वर से कोई साक्षात्कार ऐसा नही होता लेकिन अपने नागरिकों को झूठ की भट्ठी में गिरता देख भी मौन रही।
बात इस बाबा तक की नहीं है। देश में कई बाबा हैं जो सत्ता की चाशनी में डूबकर अपनी फर्जी मिठास की सौदेबाजी में आस्था को बेच खा रहे हैं और सरकारें नतमस्तक हैं। जो अपने नालायक अपराधी भाई को नही सुधार सकता वो खुद को ईश्वरीय शक्तियों का आक्षेपक बता दूसरो को बाधा मुक्त करने की दुकान खोल कर बैठा है। सत्संग के नाम पर बुलडोजर की बात करता है फिर भी प्रदेश का मुखिया उससे मिलने जाता है। जब ये सब होगा तो जनता को ऐसी मौत मिलना तय है।
वक्त है सरकारें निर्णय लें। ऐसी दुकानों को बंद करें जो धर्म, आस्था की आड़ में चल रही है…