शिवेंद्र तिवारी

कल सुबह से मेरे मन में अजीब अजीब सवाल आ रहे थे. पता नहीं क्यों लेकिन मैं जीत के विषय में सोच ही नहीं पा रहा था. भले ही टीम फाइनल में आ चुकी थी और अब हम ऐतिहासिक जीत से महज कुछ कदमों की दूरी पर थे लेकिन मन में यकीन नहीं था की ट्रॉफी घर आएगी। दरअसल फाइनल में आकर हमनें इतने जख्म झेले हैं की अब मन पहले से मान लेता है की ये दिन हमारा नहीं है लेकिन कल ये बात आपने गलत साबित कर दी.
29 जून की रात जब हमारे कप्तान रोहित ने वर्ल्डकप की ट्रॉफी उठाई तो मानो जैसे हिंदुस्तानी की आँखों में आंसू थे. ये आंसू ख़ुशी, दर्द, गम, इंतजार और जाने कितनी रोती हुई अनगिनत रातों के लिए एक मरहम लेकर आए थे. कल पूरा देश एक था, लोग अनजान लोगों के साथ मिलकर खुशियां मन रहे थे, सड़क पर चलते हुए हर एक आदमी के चेहरे पर एक ख़ुशी थी और किसी से यह पूछने की जरूरत नहीं थी की इस ख़ुशी की वजह क्या है. हर किसी को रह रहकर पुरानी चीजें याद आती थीं और आखिर में आज ये ट्रॉफी देखकर उसके मन का दुःख ख़ुशी के आंसू में बदल जाता था. हो सकता है किसी के लिए ये महज एक जीत हो लेकिन मेरे लिए यह एक इंतजार का पूरा होने जैसा था. जैसे सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा लड़का अपने परिणाम की प्रतीक्षा करता है, जैसे लम्बे समय बाद घर जाने पर घर ले जाने वाली ट्रेन का इंतजार होता है, जैसे वर्षों बाद किसी फैसले के आने का इंतजार होता था ये लम्हा मेरे लिए वैसा ही था और जब इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं तो अपने साथ खुशियां लेकर आईं.
रोहित और विराट के लिए कुछ कह पाना मेरे बस में नहीं है. इन दोनों का नाम मेरे सामने आने पर शब्द काम और भावनाएं ज्यादा निकलती हैं. लगता है जैसे अभी मिल जाएं तो गले लगाकर इनको जी भरके रो लूँ लेकिन अभी केवल शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। शुक्रिया टीम का हौसला बनाए रखने के लिए, शुक्रिया ये यक़ीन दिलाते रहने के लिए हम जीतेंगे, शुक्रिया हमारे देश में हमारी टीम में होने के लिए. आज मैं पूरी दुनिया की टीमों से ये कह सकता हूँ की होंगे आपके पास हजारों खिलाड़ी लेकिन रोहित और विराट हमारे पास हैं. वो खिलाडी जो किसी मैच को बदल देने की क्षमता रखते हैं, जो किसी देश की जिम्मेदारी की अपने कन्धों पर उठाकर जीत का भरोसा दिलाते हैं और अंत में ट्रॉफी घर लेकर आते हैं.
टीम के हर एक खिलाड़ी का शुक्रिया, हर एक उस व्यक्ति का शुक्रिया जो मुश्किल होते मैच में एक उम्मीद की रौशनी पूरे देश के लिए लेकर खड़ा रहा. पूरा देश आज दोनों हाथ उठाकर आँखों में आंसू लिए पूरी टीम को केवल और केवल शुक्रिया कहना चाहता है.