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एक वक्त था जब, कंगारुओं से सभी टीम के खिलाड़ी कांपते थे, डरते थे, मैच के दौरान अंदर ही अंदर हार मान बैठते थे, पूरे मैच में एक कप्तान जीतने की तो सोच ही नहि सकता था, सिर्फ ये सोचता था मैच के बाद क्या बोलूंगा,

शिवेंद्र तिवारी

एक वक्त था जब, कंगारुओं से सभी टीम के खिलाड़ी कांपते थे, डरते थे, मैच के दौरान अंदर ही अंदर हार मान बैठते थे, पूरे मैच में एक कप्तान जीतने की तो सोच ही नहि सकता था, सिर्फ ये सोचता था मैच के बाद क्या बोलूंगा,

उस वक्त में अगर ऑस्ट्रेलिया को कोई बल्लेबाज तंग करता था तो, वो उसे चिढ़ा चिढ़ाकर उसको गुस्सा करते, ओर वो खिलाड़ी उसी गुस्से में अपना विकेट दे जाता था,

एक दिन फिर क्रिकेट का उदय हुआ, पाक की टीम में रफ्तार के सौदागर सोयब अख्तर का सेलेक्सन होता है, ओर वो कंगारुओं से आखों में आंखे डालकर बात करता हे, अब चाहे रिकी पोंटिग हो, या फिर एंड्रू सायमंड्स, हर गेंद कान के पास से सीटी बजाती हुई जाती थी, कुछ गेंदे हेलमेट और कंधे में लगी भी, जिससे कंगारुओं के अंदर डर बैठना सुरु हुआ,

इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम की कमान 2007 में महेंद्र सिंह धोनी के हाथो में होती है, ओर धोनी ने सबसे पहले आलस्य से खेलने वाले खिलाड़ियों को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया, विराट/रैना/युवराज/जडेजा/, श्रीसंत जेसे युवा खिलाड़ियों को मोका दिया, ओर ये खिलाड़ी अपने मौके पर खरे उतरे,
श्रीसंत के उस पल को कोण भूल सकता है, जब मैथ्यू हेडन को आउट करने के बाद, पिच को जोर जोर से थपथपाया था, उसके बाद मिचेल जॉनसन ने विराट को छेड़ा, तो विराट ने पलटकर आंखों में आंखे डालकर उसका जवाब दिया, कंगारुओं की धरती पर ही शानदार सतक जड़ा, ओर जॉनसन को लगातार 3 चौके जड़े,
उसके बाद कंगारू भारत आए, ओर इशांत शर्मा भी उनका स्वागत करने में पिछे नही रहे, इशांत शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ से ही पंगा ले लिया, जो कंगारुओं को रास नहीं आया, ओर उसी गुस्से में सीरीज गवा बैठे,

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