विंध्य भारत

आलेख – अक्षय कुमार भगत,
मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय में महुआ (Madhuca longifolia) का विशेष महत्व है। यह केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक, आर्थिक और दैनिक जीवन का अहम हिस्सा है।
सिंगरौली जिले के विकासखंड चितरंगी स्थित डाला ग्राम में अपनी तीन पीढ़ियों से वैद्य रहे “नेपाल बैगा जी” से मिलने उनके घर गया तो उन्होंने मेरे स्वागतार्थ एक कांच के गिलास मे महुआ का पेय प्रस्तुत करते हुए कहा कि ये हमारी आतिथेयी सत्कार की परंपरा हैं। उन्होंने कहा महुआ वृक्ष प्राणवायु का बड़ा व बेहतरीन स्रोत है। इसके आसपास के वातावरण में पर्याप्त आक्सीजन होती है। महुआ के पेड़ का हरा-सफेद फूल एक सुपरफूड है और इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। हम महुआ के बीजों से खाना बनाने का तेल निकालते हैं और छाल से दवाइयां बनाते हैं। महुआ के फूल रसीले होते हैं और उनमें मिठास बहुत अधिक होती है। इसे धूप में सुखा कर पाउडर बनाया जाता है और फिर पूड़ी बनाने या महुआ का पेय बनाने के लिए किण्वित किया जाता है। उन्होंने बताया, “महुआ के लड्डू और बर्फी हमारे गांव के बच्चों के बीच हमेशा से पसंदीदा रहे हैं।”

- महुआ का सांस्कृतिक महत्व
नेपाल बैगा जी ने बताया महुआ का पेड़ आदिवासी रीति-रिवाजों और त्यौहारों का अभिन्न हिस्सा है। इसका फूल, फल और बीज सभी उपयोगी हैं। फूलों से जो शराब बनाई जाती है, उसका कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में प्रयोग किया जाता है। आदिवासी समाज में महुआ का उपयोग जंगल से जड़ी-बूटी (औषधि) ले कर आने के समय भी किया जाता हैं उस समय जंगल के देवता से औषधि ले जाने हेतु अनुमति के रूप मे महुआ पेय अर्पण करके उन्हे खुश करते हैं ।
- महुआ का औषधीय उपयोग
महुआ का औषधीय महत्व भी अद्वितीय है। इसके विभिन्न हिस्सों का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। महुआ के फूलों का उपयोग अपच, दस्त और भूख की कमी जैसी समस्याओं के उपचार में किया जाता है। इसके बीजों का तेल त्वचा रोगों और जोड़ों के दर्द में राहत प्रदान करता है। इसके अलावा महुआ की छाल का पेस्ट दांत और मसूड़ों की समस्याओं और मधुमेह जैसे बीमारियों को ठीक करने में मदद करता हैं। तो वहीं इसके पत्तों का काढा बुखार को कम करने के लिए एवं वात रोगों में इस्तेमाल किया जाता हैं।
- महुआ का आर्थिक महत्व
महुआ आदिवासी समुदायों की आर्थिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। महुआ के फूलों को सुखाकर बाजार में बेचा जाता है, जो उनके आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। महुआ के बीजों से तेल निकाला जाता है, जो खाना पकाने और दवाओं में प्रयोग किया जाता है।
- महुआ के संरक्षण, उत्पादन और विपणन में सरकार का सहयोग
मध्य प्रदेश सरकार महुआ के संरक्षण, उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देना हेतु कई सरकारी नीतियाँ और कार्यक्रम चला रही है। ताकि आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके। यहाँ प्रमुख योजना और कार्यक्रम का विवरण दिया गया है जिसका लाभ उठाया जा सकता हैं:
(ii). वन धन योजना
प्रधानमंत्री वन धन योजना के अंतर्गत “वन धन विकास केंद्रों” की स्थापना की जा रही है। इन केंद्रों का उद्देश्य महुआ समेत अन्य वन उत्पादों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के लिए आदिवासियों को प्रशिक्षण और संसाधन मुहैया कराना है।
(ii). वित्तीय सहायता और सब्सिडी
“किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)”
महुआ संग्रहण और प्रसंस्करण के लिए आदिवासी किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत ऋण सुविधा मुहैया कराई जाती है। इससे उन्हें महुआ के व्यापार और उत्पादन में निवेश करने में मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश सरकार की इन नीतियों का सही क्रियान्वयन न केवल महुआ के स्थायी उपयोग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में भी सुधार लाएगा। इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्राकृतिक धरोहर का लाभ उठा सकें। महुआ के प्रति आदिवासियों का प्रेम और समर्पण यह दर्शाता है कि वे प्रकृति के साथ कितनी घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं।