सो रहे अधिकारी, नहीं होती जांच
लोहे के बांट की जगह पत्थर का टुकड़ा रखकर तौली जा रही सब्जी
एक तरफ मंहगाई दूसरी तरफ दुकानदारों की कम तौलाई से लोगों की जेबें हो रहीं ढ़ीली
नगरप्रतिनिधि, रीवा
सडक़ के किनारे लगने वाली दुकानों से लेकर हाथठेला तक में बिक रही सब्जियों के नापतौल का खेल बिगड़ चुका है। दुकानदार खुलेआम लूट कर रहे हैं लेकिन प्रशासन मौन है। हर 6 माह में बांटों में लगने वाली सील भी सालों से नहीं लगी है, इसी वजह से सब्जी विक्रेताओं की दुकानों में लोहे के बांटों की जगह पत्थर ने ले ली है। इतना ही नहीं, कई दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक तराजू तो नजर आने लगे हैं, लेकिन सामान तौलते वक्त उनका जो मीटर डिस्प्ले होता है, वह ऐसा रखा जाता है कि जनता को दिखता ही नहीं। पूरे शहर में यही अंधेरगर्दी मची है और नापतौल विभाग के अधिकारी सो रहे हैं, उनके द्वारा न जांच की जा रही है, न सब्जी विक्रेताओं द्वारा की जा रही धांधली को रोकने के कोई प्रयास हो रहे हैं।
200 ग्राम का हो गया एक पाव
सब्जी विक्रेताओं की मनमानी इस तरह हावी है कि अब तो 200 ग्राम को ही एक पाव बना दिया गया है। एक पाव के नाम पर सब्जी विक्रेता 200 ग्राम सामान ही दे रहे हैं। इनकी इस दादागिरी पर कोई बोलने को भी तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि नापतौल विभाग ने सालों से कार्रवाई नहीं की है इसलिए सब्जी विक्रेताओं के हौसले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। अब तो इनका गुट भी बन गया है कोई ग्राहक विरोध करता है तो बाकी दुकानदार भी एक सुर में बात करने लगते हैं। जितने भी सब्जी विक्रेता सडक़ किनारे दुकान लगा रहे हैं, सभी अवैध कब्जाधारी हैं। अस्पताल चौक, सिरमौर चौराहा के आसपास मार्ग से नीम चौक सहित अन्य क्षेत्रों के यही हाल हैं। एक तो इन दुकानदारों द्वारा अवैध तरीके से दुकानें लगाई जाती हैं, फिर जनता को लूटा जाता है। पूरे शहर में यह खुलेआम हो रहा है, लेकिन प्रशासन मौन बैठा है। इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, यह समझ से परे है।
फुटपाथ में तो हद हो रही है
सबसे खराब हालात फुटपाथ मे लगी सब्जी दुकान क्षेत्रो के हैं। यहाँ नगर पालिका की मनाही के बाद भी सडक़ किनारे सब्जी दुकानें लग रहीं हैं। इन दुकानदारों को किसका संरक्षण है यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। फुटपाथ पर कब्जा कर होटलें संचालित हो रही हैं।
सब्जियों की भी होनी चाहिए जाँच
सब्जी दुकानदारों के तराजू और बांट के साथ प्रशासन को सब्जियों की भी जाँच करनी चाहिए। बाजार में ज्यादातर सब्जियाँ कलर और केमिकल वाली बेची जा रही हैं, जिनसे लोगों को तरह- तरह की बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। सब्जी का स्तर जाँचने की फुर्सत किसी को नहीं है। सब्जी विक्रेताओं द्वारा खुलेआम की जा रही लूट और सब्जी के स्तर पर प्रशासन भी मौन बना हुआ है, वह भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बराबर होती है वसूली
नगर निगम या अन्य अधिकारियों को सब्जी विक्रेताओं के कब्जे और लूट की पूरी जानकारी है, फिर भी कोई बोलने को तैयार नहीं है। हर दिन शाम को कुछ कर्मचारी वसूली के लिए जरूर पहुँच जाते हैं। उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं रहता कि दुकान कहाँ लग रही या दुकानदार जनता को लूट रहा है, उन्हें सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब होता है।