एक वर्ष पूर्व हुए उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में जेडी कार्यालय स्वास्थ्य रीवा द्वारा २०१३ की स्थिती में एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों की पदोन्नति सूची जारी की गई। जिसमें विभाग ऐसे एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को भी पदोन्नति सूची में नाम जोड़ दिया जो कई वर्षों पहले सेवा निवृत्त हो चुके हैं तथा वहीं कई ऐसे कर्मचारी हैं जिनका स्वर्गवास हो गया है। हालाकि यह जेडी कार्यालय स्वास्थ्य में सब जान-बूझ कर किया गया है ताकि हाईकोर्ट में एमपीडब्ल्यू संबंधित चल रहे प्रकरण के निपटारे की अवधि और बढ़ सके।
११ वर्ष पहले हुई थी डीपीसी
वर्ष २०१३ में जेडी राजेन्द्र सिंह के कार्याकाल के दौरान एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों की संभागीय डीपीसी आयोजित हुई थी। जिसमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली तथा शहडोल समेत १९३ एमपीडब्ल्यू को पदोन्नति देकर सुपर वाईजर बनाया गया था। लेकिन इस डीपीसी में ऐसे एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को भी पदोन्नति दे दी गई जो पात्र नहीं थे जबकि पात्र एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित कर दिया गया। भेदभाव और अपारदर्शी डीपीसी होने की जैसी ही जानकारी पात्र एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को लगी तो स्वास्थ्य विभाग में बबाल मच गया।
डीपीसी की उच्च स्तर में हुई शिकायत
पात्र एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों में इस डीपीसी का विरोध करते हुए कलेक्टर समेत स्वास्थ्य संचालनालय में शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत के बाद भोपाल की एक टीम द्वारा रीवा पहुंचकर डीपीसी का परीक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि डीपीसी कमेटी द्वारा डीपीसी में काफी अनियमितता बरती गई हैं और डीपीसी को निरस्त कर दूसरी डीपीसी करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया।
संचालनालय आदेश के विरूद्ध पहुंचे हाई कोर्ट
डीपीसी निरस्त का आदेश होने के बाद जिन एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को पदोन्नति देकर सुपर वाईजर बनाया गया था वह सभी संचालनालय के आदेश के विरूद्ध हाई ेेकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां से उन्हें स्टे आर्डर मिल गया और अब तक स्टे आर्डर के आधार में ही १९३ एमपीडब्ल्यू सुपर वाईजर के पद पर काम कर रहे हैं।
पात्र एमपीडब्ल्यू भी कोर्ट के लगाये दौड़
पदोन्नति पाने वाले १९३ एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों को स्टे मिलने के बाद पदोन्नति के पात्र एमपीडब्ल्यू कर्मचारी भी कुछ न्यायालय में रिट-पिटीशन दायर किया। जहां से २०१३ की स्थिती में दूसरी डीपीसी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को आदेश जारी किया गया। लेकिन जेडी कार्यालय स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का पालन तब तक नहीं किया गया जब तक उच्च न्यायालय द्वारा दूसरी बार डीपीसी करने का फरमान जारी नहीं किया गया।
१८ सेवारत ३१ सेवा निवृत्त
उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर तत्कालीन जेडी बीएल मिश्रा व्हीपीसी चयन हेतु कर्मचारियों की गोपनीय चरित्राबली मंगाई गई थी जो क्षेत्रीय कार्यालय को समय अवधि के अंदर उपलब्ध भी करा दी गई लेकिन उस पर विचार न करते हुए जो २०१३ की स्थिती में नई सूची तैयार की गई उसमें सेवा निवृत्त, मृत और बर्खास्त सुदा कर्मचारियों का भी नाम जोड़ दिया गया। जिन मृतक कर्मचारियों का नाम नई डीपीसी में जोड़ा गया है उसमें सुनील कुमार मिश्रा तथा राजेन्द्र मिश्रा शामिल हैं। इसी प्रकार शिव गणेश ऐसे कर्मचारी हैं जो जवा सीएचसी में पदस्थ थे और गंभीर आरोपों के चलते इन्हे बर्खास्त कर दिया गया था इसके बावजूद भी इन्हें एमपीडब्ल्यू से सुपर वाईजर बना दिया गया। इसी प्रकार आमद खांन शहडोल, रामकिशन शर्मा, रामकिशोर सोनी सतना, भोला प्रसाद विश्वकर्मा सतना, रमाकांत तिवारी रीवा, आरके गर्ग अनूपपुर लालमणि शर्मा रीवा, लालमणि तिवारी रीवा, चन्द्रभूषण पाण्डेय सीधी कैलाश पटेल सीधी, ओमप्रकाश तिवारी रीवा, अजय कुमार द्विवेदी, गौरी तिवारी रीवा, सभापति शुक्ला रीवा, केपी मिश्रा शहडोल, शिवनाथ पटेल रीवा, भैयालाल तिवारी सहित ऐसे पचासों कर्मचारी हैं जो रिटायर्ड हो चुके हैं उसके बावजूद भी इनका नाम पदोन्नति सूची में रखा गया है।
बर्खास्त तथा मृतक कर्मचारियों का भी पदोन्नति सूची में नाम
